पटना कांड की मास्टर-माइंड निकली आयशा

सैड सांग

 

सदस्यों के बीच चार महीने में एक करोड़ का बंटवारा

लखीसराय : 27 अक्टूबर को पटना में नरेंद्र मोदी की रैली में बम धमाके करने वाली महिला आयशा इस पूरे धमाका-कांड की मास्टर-माइंड थी। आयशा ने ही पिछले चार महीने के बीच करीब एक करोड़ रूपयों का बंटवारा अपने इस गिरोह के सदस्यों के बीच बांटा। आयशा को दबोचने वाली जांच एजेंसियों का दावा है कि इस बीच इस महिला ने निजी बैंकों में अपने गिरोह के सदस्यों के नाम पर एकाउंट खुलवाये थे और इस रकम से ही बम-धमाकों के रेशे बुने गये थे। खास बात तो यह है कि आयशा पहले हिन्दू थी, लेकिन बाद में उसने अपना नाम आयशा रख लिया था।

एजेंसियों की शुरुआती जांच में एक बार फिर आया इंडियन मुजाहिदीन का नाम। इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों की धरपकड़ और मास्टरमाइंड की तलाश शुरू हो गई। एनआईए की टीम आगे की जांच में जुटी थी।

उसके हाथ लगा एक नया सुराग बता रहा था कि बिहार के लखीसराय में बैठे कुछ लोग हवाला के जरिए पाकिस्तान से पैसे हासिल कर रहे हैं। शक था कि ये पैसे उन्होंने पटना ब्लास्ट में शामिल आतंकियों को भी दिए। जल्द ही लखीसराय पुलिस के पास इन लोगों के नाम भी पहुंचे। ये नाम और चौंकाने वाले थे। इनकी गिरफ्तारी हुई सात नवंबर को लखीसराय से।

दरअसल एनआईए की सूचना पर लखीसराय पुलिस ने एक निजी बैंक के एटीएम से पैसे निकालने पहुंचे चार लोगों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से 25 एटीएम कार्ड, 35 पास बुक और कई दस्तावेज बरामद हुए। एनआईए को शक है कि इन लोगों के जरिए पटना ब्लास्ट की फंडिंग हुई।

पुलिस के हाथ लगे ये चार लोग हैं विकास कुमार, पवन कुमार, गणेश प्रसाद और सुरेश साहू। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिस को सुरेश के भाई राजू साहू की तलाश है। अब पुलिस के सामने सवाल ये था कि अगर इनकी भूमिका पटना ब्लास्ट में है तो आखिर किस तरह से। आखिर इनका इंडियन मुजाहिदीन से भला क्या लेनादेना। विकास, पवन, गणेश और सुरेश से पूछताछ शुरू हो गई है। सामने आया इनके काम करने का तरीका और साथ ही पता चला कि आखिर कैसे इन्होंने पटना ब्लास्ट में शामिल आतंकियों को पैसे पहुंचाए।

शुरुआती जांच के मुताबिक हवाला का पैसा हासिल करने के लिए विकास, गोपाल, पवन और गणेश स्थानीय गरीब लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे। उन्हें 2 हजार रुपया देकर उनसे पासबुक, चेकबुक और एटीएम ले लेते थे। इन खातों में विदेश से रकम आती थी। पुलिस की शुरुआती जांच के मुताबिक इन चारों के मोबाइल पर एसएमएस के जरिए पाकिस्तान से कुछ खातों का नंबर आता था। इसके बाद ये चारों रकम निकालकर उन्हें उन खातों में जमा कर देते थे जिनकी सूचना इन्हें पाकिस्तान से मिलती थी। शुरुआती जांच में पता चला है कि पटना धमाकों में शामिल हर एक आतंकी को इसी तरीके से दस-दस हजार रुपये दिए गए। पुलिस को इन्हीं से एक और हैरतअंगेज जानकारी हासिल हुई। ये जानकारी थी पाकिस्तानी बॉस की।

पुलिस सूत्रों की मानें तो लखीसराय में गिरफ्तार विकास, गोपाल, पवन और गणेश की पाकिस्तानी बॉस एक महिला थी। ये चारों इस महिला का नाम भी बता रहे थे। वो बता रहे थे कि कैसे उसके इशारे पर वो हवाला का रैकेट चला रहे थे। सवाल ये है कि क्या ये चारों जानते थे कि उनकी पाकिस्तानी बॉस उनसे ये पैसे आतंकियों के पास भिजवा रही है। इस सवाल के जवाब से पहले तलाश पाकिस्तानी बॉस की हुई। पता चला कि वो कर्नाटक की रहने वाली है। तमाम पुलिस कोशिश के बाद उसे मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। अब वो बिहार पुलिस की हिरासत में है।

मैंगलोर से गिरफ्तार आयशा बानो तीन बच्चों की मां है। उसका पति जुबैर बीड़ी का बिजनेस करता है। शादी से पहले आयशा हिंदू थी। लेकिन जुबैर से शादी के बाद उसने धर्म परिवर्तन कर लिया। आयशा और जुबैर की गिरफ्तारी के बाद शुरू हुआ पूछताछ का सिलसिला। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आयशा ने ये खुलासा किया कि पिछले चार-पांच महीनों से उसके पास हवाला के जरिये एक करोड़ रुपये विदेश से आए। आयशा ने रुपये 20 निजी बैंकों के 35 एकाउंट में मंगाए। रुपया कब किसको देना है, इसकी जानकारी आयशा को वक्त-वक्त पर दी जाती थी। उसे काम करने का आदेश पाकिस्तान से मिलता था। आयशा वो आदेश लखीसराय में मौजूद अपने लोगों को देती थी। (क्रमश:)

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