शिवकाशी की श्रीदेवी वाकई पटाखा बन दर्शकों के दिलों में उतरीं
: उम्र की गोल्डेन जुबिली पार कर रही है यह नायाब अदाकारा : रजत-पट पर महज चार साल की उम्र से आयी थीं श्रीदेवी : आज भी उम्र का असर नहीं पड़ा श्रीदेवी के काम पर :
रवि बुले
बॉलीवुड की सबसे हसीन अभिनेत्रियों में से एक श्रीदेवी मंगलवार को 50 साल की हो गईं। 13 अगस्त 1963 को श्रीदेवी अयप्पन के रूप मे जन्मी श्रीदेवी ने 15 बरसों की लंबी अवधि के बाद पिछले साल ‘इंग्लिश विंग्लिश’ से जो कमबैक किया, वह असाधारण है।
मात्र चार साल की उम्र में अपना फिल्मी कैरियर शुरू करने वाली श्रीदेवी ने हिंदी फिल्मों में 1980-90 के दशक में जिन ऊंचाइयों को छुआ, वह सुपरस्टार का दर्जा दिलाने को काफी है। 2013 में सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।
तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी श्रीदेवी की ख्याति है। सोलहवां सावन (1978) से हिंदी फिल्मों में कैरियर शुरू करने वाली श्री के खाते में हिम्मतवाला (1983), मवाली (1983), सदमा (1983), तोहफा (1984), मास्टरजी (1985), कर्मा (1986), मिस्टर इंडिया (1987), नगीना (1986), चालबाज (1989), चांदनी (1989) लम्हे (1991), खुदा गवाह (1992), लाड़ला (1994) और जुदाई (1997) जैसी बॉक्स ऑफिस पर कामयाब फिल्में दर्ज हैं।
आइए नजर डालते हैं श्रीदेवी की उन पांच भूमिकाओं पर जिनकी विविधता उनके अभिनय के नए-नए आयामों को सामने लाती है। श्रीदेवी के फिल्में जिन्हें आप बार-बार देख सकते हैः
सदमाः फिल्म में उन्होंने एक ऐसी लड़की की भूमिका निभाई, जिसकी न केवल याददाश्त चली जाती है, बल्कि उसका व्यवहार भी एकदम बच्चों की तरह हो जाती है। बात-बात पर मचलती, रूठती, जिद करती श्रीदेवी ने कमल हासन जैसे मंजे हुए एक्टर के साथ बराबरी का अभिनय किया। सिनेमा के कई जानकार इसे श्रीदेवी के कैरियर का श्रेष्ठतम अभिनय मानते हैं।
मिस्टर इंडियाः काटे नहीं कटते ये दिन ये रात… जैसे गीत पर श्रीदेवी की मादक अदाओं ने दर्शकों को उन पर लट्टू कर दिया। नायक की स्मृतियों को अपने जिस्म पर महसूस करते हुए श्रीदेवी ने जिस ढंग से आदिम इच्छाओं के नृत्य को पर्दे पर उतारा, वह सैकड़ों बार देखने पर भी नया मालूम पड़ता है। फिल्म में उनका चार्ली चैपलीन वाला अंदाज भी दर्शक कभी नहीं भूले।
नगीनाः कॉमर्शियल फिल्मों में श्रीदेवी के अभिनय का यह एक शिखर है। नागिन के पुनर्जन्म को लेकर बनी इस फिल्म में श्रीदेवी दर्शकों के दिलो-दिमाग पर छा गईं। नीले लैंस वाली उनकी आंखें लोगों के दिल में उतर गईं। इस फिल्म के बाद आई इस तरह की फिल्में नाकाम रहीं। नाग-नागिन के मिथक पर बनी यह आशातीत कामयाब फिल्म है।
चांदनीः बॉलीवुड की सबसे सफल फिल्मों में से एक चांदनी ने आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे यश चोपड़ा को नए सिरे से मजबूत बना दिया था। फिल्म के संगीत के साथ सफेद साड़ियों में लिपटी चांदनी को दर्शकों खूब प्यार दिया। स्विट्जरलैंड पहले भी यश चोपड़ा की पहचान था, लेकिन चांदनी ने स्विट्जरलैंड को लोगों की उस सूची में पहुंचा दिया, जहां वे इस दुनिया को छोड़ने से पहले कम से कम एक बार जाना चाहते हैं।
इंग्लिश विंग्लिशः शशि गोडबोले के रूप में श्रीदेवी ने पिछले साल जो वापसी की, वह अपने आप में इतिहास है। हिंदी फिल्मों की दुनिया में कोई हीरोइन अपनी वापसी इतने जोरदार ढंग से कराने में कामयाब नहीं रही। श्रीदेवी ने साबित किया कि उनके अंदर का अभिनेता उम्र बढ़ने के साथ और जवान हुआ है।(अमर उजाला)