शोहदों से बचने के लिए लगा हेडफोन बना हत्‍यारा

सैड सांग

हेडफोन की आवाज में दब गया ट्रेन का सायरन

और ट्रेन ने छात्रा के टुकडे-टुकडे कर दिये

हेडफोन लील गया छात्रा की जिंदगी

लखनऊ: शोहदों की छींटाकशी से बचने के लिए हेडफोन का सहारा राहत तो दे रहा था, मगर निशा को यह पता ही नहीं था कि यही बचाव का कवच उसकी मौत का कारण बन जाएगा। बीती शाम यही हो गया। कक्षा समाप्त हुई तो एमबीए छात्रा स्वाती श्रीवास्तव उर्फ निशा घर की ओर चल दीं। उन्होंने हेडफोन लगाया और रोज की तरह सीतापुर रोड पर पहुंचने के लिए पैदल ही जाने लगीं। बीच में रेलवे लाइन पड़ती है। कानों में लगे हेडफोन की तेज आवाज के आगे उन्हें तेजी से आती ट्रेन की आवाज सुनायी नहीं दी। दनदनाती हुई ट्रेन आयी और उन्हें टक्कर मारकर निकल गई। खून से लथपथ होकर वह रेल लाइन के किनारे गिर गईं। एक सहपाठी ने उन्हें ट्रामा सेंटर पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

उत्तर प्रदेश कार्पोरेशन लिमिटेड में इंजीनियर व बालागंज स्थित गौशाला रोड निवासी अशोक श्रीवास्तव की बेटी निशा लखनऊ विवि (न्यू कैंपस) से एमबीए कर रही थीं। रीटेल मैनेजमेंट में इस बार उनका दूसरा सेमेस्टर था। शुक्रवार को सुबह नौ से 12 बजे तक उनकी क्लास थी। छुट्टी के बाद वह घर जाने के लिए निकली। उन्हें सीतापुर रोड से टैंपो में बैठ कर आगे जाना था। लविवि न्यू कैंपस से सीतापुर रोड तक पहुंचने के लिए विद्यार्थियों ने कच्चे रास्ते से होकर शार्टकट बनाया है। इसके बीच में रेलवे लाइन भी पड़ती है। चूंकि रास्ता नहीं है, इसलिए कोई फाटक भी नहीं है। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रेलवे लाइन के पास मौजूद लोगों ने ट्रेन को आते देख निशा को रोकने के लिए पीछे से आवाज दी थी। इधर पटरी तक पहुंच चुकी निशा ट्रेन को आते देख नहीं सकीं और हेडफोन की वजह से न तो पीछे से चिल्लाते लोगों की आवाज उन तक पहुंची और न ही धड़धड़ाती आती ट्रेन की आवाज वह सुन पाईं। ट्रेन की जोरदार टक्कर लगने से वह छिटक कर दूर जा गिरीं। तमाशबीन इकट्ठा हो गए। मजमा लग गया लेकिन किसी ने उन्हें अस्पताल पहुंचाने की जहमत नहीं उठाई। तभी एमबीए फाइनेंस के छात्र शुभम उधर से गुजरे। उन्होंने निशा को घायल देखा तो लोगों से उन्हें अस्पताल पहुंचाने के लिए मिन्नतें की। कोई नहीं पसीजा तो वह भाग कर पास के एक मेडिकल सेंटर पर गए। दोस्तों को बुलाया, वहां से एंबुलेंस की और ट्रामा सेंटर ले गए। तब तक देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने निशा को मृत घोषित कर दिया। जाम में फंसी एंबुलेंस : एमबीए छात्र शुभम ने बताया कि घायल निशा को लेकर वह ट्रामा सेंटर भागे लेकिन एम्बुलेंस एक घंटे तक कई जगह जाम में फंसी रही। वह परेशान और बेबस थे। नतीजतन ट्रामा सेंटर पहुंचने के बाद भी निशा को बचाया नहीं जा सका। ट्रामा सेंटर में तांता : निशा के घायल होने की जानकारी पाकर लविवि न्यू कैम्पस के आईएमएस के ओएसडी डॉ.जेके शर्मा, कुलानुशासक प्रो.यूडी मिश्र, शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्र पहुंच गए। श्री शर्मा ने बताया कि शनिवार पूर्वाह्न 11 बजे परिसर में शोक सभा की जाएगी।

हादसों का शॉर्टकट: लखनऊ विश्वविद्यालय नये परिसर के विद्यार्थियों के लिए शार्टकट हादसों का कारण बन रहा है। चिनहट, सीतापुर रोड और पुराने लखनऊ की तरफ जाने वाले विद्यार्थी रोजाना इसी स्थान से निकलते हैं। लविवि प्रशासन कई बार इस रेलवे लाइन पर क्रासिंग या ओवरब्रिज बनवाने की मांग कर चुका है लेकिन लगातार हो रहे हादसों से भी रेलवे ने सबक नहीं लिया। आइएमएस के ओएसडी डॉ.जेके शर्मा ने बताया कि रेलवे लाइन के दोनों ओर बंद फाटक है ताकि कोई निकल न सके। अगर रेलवे अधिकारी सुन लेते तो इन घटनाओं से बचा जा सकता था। लविवि के दो छात्र पहले भी इस हादसे का शिकार हो चुके हैं। दो साल पहले एमबीए के एक छात्र की इसी स्थान पर ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। शिक्षकों ने बताया कि तीन साल पहले एक और छात्र यहां हादसे का शिकार हो चुका है। इन घटनाओं के बाद लखनऊ विवि प्रशासन ने रेलवे को पत्र लिखकर क्रासिंग या ओवरब्रिज बनाने की मांग की थी लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हुई। शुक्रवार को हुई स्वाती की मौत एक बार फिर रेलवे को आईना दिखा रही है। घटना के चश्मदीदों ने बताया कि छात्रा को काफी आवाज दी, लेकिन उसने नहीं सुना। वह लगभग रेलवे लाइन पार कर चुकी थी, क्षण भर में सब हो गया।

 

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