जो धोखेबाज भाजपा की शरण में आये वह निर्दोष, बाकी जाएंगे जेल

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: एलटीसी घोटाला करने वालों पर केंद्र सरकार की भृकुटि अब नये सवाल खड़ा कर रही : ब्रजेश पाठक समेत कई घोटालेबाजों को भाजपा ने अपनी गोद में दुलराया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : भाजपा के झण्‍डे का रंग दो-रंगा है। लेकिन अब तो ऐसा लगने लगा है कि भाजपा का चरित्र भी अब लगातार दुरंगा हो गया है। खुद को नैतिकवादी, शुचितावादी, ईमानदार और स्‍पष्‍ट-सुथरी छवि की पार्टी कहलाने का दम भरने वाली पार्टी की केंद्र सरकार के एक ताजा आदेश ने अपनी सारी स्‍वस्‍थ व नैतिकता को पूरी तरह धो डाला है। अब सवाल यह उठने लगे हैं कि दूसरों को आपराधिक और अनैतिक करार देने वाली भाजपा खुद ऐसे कींचड़ में सराबोर होकर अब किस मुंह से जनता के सामने आ खड़ी हो पायेगी।

ताजा मामला है एलटीसी का, जिसके दुरूपयोग को लेकर भाजपा की केंद्र सरकार ने कल ही खासा हंगामा खड़ा कर दिया है। केंद्र सरकार के एक ताजा आदेश में साफ कहा गया है कि एलटीसी की सुविधा में घोटाला, गड़बड़ी या बेईमानी को अब सरकार कत्‍तई बर्दाश्‍त नहीं करेगी। अगर कहीं भी ऐसा कोई मामला सामने आएगा तो सरकार उसके खिलाफ सख्‍त कार्रवाई करेगी। इस आदेश में सरकार ने कुबूल किया है कि कई मामलों में ऐसे घोटाले अब तक सरकार की नजर में आये हैं। लेकिन ऐसी घटनाओं से सरकार अब सख्‍ती से निपटेगी, वजह यह कि  इससे सरकार की छवि पर एक अमिट दाग बैठ जाता है।  है कि

एलटीसी, मतलब अवकाश नकदीकरण की सुविधा। यह सुविधा सरकार देती है। केंद्र में इसके अधिकारी होते हैं केंद्र सरकार के कर्मचारी, अधिकारी और सरकार में सांवैधानिक पदों पर बैठे पदाधिकारी वगैरह। लोकसभा और राज्‍य सभा के सदस्‍य भी इसमें शामिल होते हैं। एक दिन पहले केंद्र सरकार ने एक सख्‍त आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि सरकार अब एलटीसी का दुरूपयोग किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगी। आदेश के आदेश के अनुसार जो भी लोग ऐसे घोटालों में शामिल-संलिप्‍त पाये जाएंगे, उनके खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की जाएगी।

अब आपको बता दें कि इस समय सीबीआई नौ लोगों पर केस दर्ज कर उनके खिलाफ चार्जशीट अदालत में दायर कर चुकी है, जो संसद के बहुचर्चित एलटीसी घोटाले में फंसे थे। इनमें से बहुजन समाज पार्टी के तब के सांसद ब्रजेश पाठक और राजद के सांसद समेत सात नेता और पूर्व सांसद भी शामिल हैं। हैरत की बात है कि केंद्र सरकार ने इस बहुचर्चित घोटाले पर लगातार राख ही डाली थी, क्‍योंकि उनमें से ज्‍यादातर नेता तो भाजपा की शरण में आ चुके थे। ब्रजेश पाठक तो इसी कारण बसपा छोड़ कर भाजपा में पहुंचे ताकि उन पर इस घोटाले की आंच से ताप न लग सके। उधर भाजपा ने अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को पूरी हिकारत के साथ कूड़ेदान में डाल कर ब्रजेश पाठक को लखनऊ की मध्‍य सीट से अपना प्रत्‍याशी तक बना दिया है। कहने की जरूरत नहीं कि इस मध्‍य सीट पर ब्रजेश पाठक की उम्‍मीददारी को भाजपा के जमीनी और पुराने कार्यकर्ता हजम नहीं कर पा रहे हैं।

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