पत्रकारों ने रखवाया था तकिया वाला कटा पैर !

सैड सांग

: एक प्रत्‍यक्षदर्शी जूनियर डॉक्‍टर ने मेरी बिटिया डॉट कॉम से किया खुलासा : घायल की बहन की जिद थी कि वह टांग साथ ले जाएगी, पूरे देश में वायरल होती इस तस्वीर की सच्चाई : ताकि मरीजों का मोहभंग मेडिकल कालेज से कर नर्सिंग होम्‍स की ओर से मोड़ा जा सके :

मेरी बिटिया संवाददाता

लखनऊ : (झांसी-कांड पर गतांक से आगे) क्‍या वाकई कुछ पत्रकारों ने ही रखवाया था झांसी मेडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर में घायल ड्राइवर के सिरहाने पर तकिया की जगह उसी घायल का कटा हुआ पैर? यह सवाल अब पूरी शिद्दत के साथ फिजाओं में तैरने लगा है। बताया जा रहा है कि यह पूरा कांड आसपास कुकुरमुत्‍तों की तरह उगे और लगातार लहलहा रहे नर्सिंग होम्‍स के मालिकों की शह पर बुना गया था। उद्देश्‍य यह था कि किसी भी तरह मेडिकल कालेज की विश्‍वसनीयता को तबाह-बर्बाद किया जाए, ताकि मरीजों का मोहभंग मेडिकल कालेज से कर नर्सिंग होम्‍स की ओर से मोड़ा जा सके।

इस रोंगटे खड़े कर देने वाले इस हादसे के बारे में कई चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आये हैं। एक प्रत्‍यक्षदर्शी जूनियर डॉक्‍टर ने मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददता से इस बारे में बातचीत के दौरान यह खुलासा किया है कि यह पूरा काण्‍ड किसी साजिश के तहत बुना गया था। एक अन्‍य मेडिकल छात्रा ने भी इस तथ्‍य की तस्‍दीक करते हुए बताया है कि घायल के रिश्‍तेदारों ने ही इस कुछ अन्‍य पत्रकारों के साथ इस मामले को बुना और फिर उसकी फोटो-वीडियो खिंचवा कर उसे वायरल कर दिया। सूत्र का कहना है कि कुछ नर्सिंग होम के संचालकों की गोद में रहने वाले चंद पत्रकारों ने इस मामले को साजिश के तौर पर बुना था। अब चूंकि मेडिकल कालेज और उसके ट्रामा सेंटर के डॉक्‍टरों की करतूतों के चलते अक्‍सर यहां मारपीट और गालीगलौज होता रहता है, इसलिए इस साजिश में लोगों को यह मौका मुफीद लगा और यह हादसा हो गया।

उधर महोबा के एक चिकित्‍सक निजाम उद्दीन ने यह स्‍वीकार किया है कि यह घटना का पहलू यह है कि यह सच दीखता लग रहा है। लेकिन इस डॉक्‍टर का यह भी दावा है कि इस घटना को एक साजिश के तहत रचा गया था, ताकि यह खबर और फोटो बिलकुल सच साबित हो जाए।  तो सही है लेकिन डॉक्टर और विभाग के लोगों का इसमें नाम मात्र दोष नहीं है दरअसल घटना यह हुई कि एक रोगी एक्सीडेंट की हालत में इमरजेंसी में मेडिकल कॉलेज पहुंचा डॉक्टर ने एंपुटेशन किया क्योंकि कोई विकल्प नहीं था।

निजाम उद्दीन का दावा है कि इस दौरान रोगी की बहन वहां पहुंचकर डॉक्टर से बहस करने लगी कि आप मेरे भाई का पैर जोड़िए जिसके लिए डॉक्टर ने असमर्थता जाहिर की तब वह लड़की बोली आप कुछ भी करना नहीं चाहते बहुत सारे डॉक्टर कटा हुआ पैर जोड़ देते हैं डॉक्टर ने समझाने का पूरा प्रयास किया तो वह लड़की गुस्से में बोली वापस करिए मेरे भाई का पैर मैं प्राइवेट नर्सिंग होम में अपने भाई का पैर जुड़वा लूंगी तब काफी वादविवाद होता देख डॉक्टर ने कहा कि इनको इनके भाई का पैर दे दो और डॉक्यूमेंट साइन कराने के बाद इनको जाने दो और डॉक्टर अपनी ड्यूटी रूम में चले गए इसी दौरान उसकी बहन और उसके एक रिश्तेदार ने पैर वापस लिया और अपने भाई के पास आकर पैर उसके सर के नीचे रखकर काफी वीडियो बनाए और फोटो भी खींची और सोशल नेटवर्क पर वायरल कर दी।

निजाम उद्दीन का सवाल है कि इसमें डॉक्टर की क्या गलती। पूरे हिंदुस्तान में बात का बतंगड़ बनाया जा रहा है। देखने वाली बात यह है कि आज रोगी के शुभचिंतक किस हद तक जाकर डॉक्टरों पर इस तरह के घटिया आरोप मढ रहे हैं। इस डॉक्‍टर का दावा है कि उसकी बात में पूरी सच्चाई है। क्योंकि मैंने अपनी बेटी जो झांसी मेडिकल कॉलेज की फाइनल ईयर की छात्रा है, से बेहद आत्मीयता से पूरी घटना जानी और समझी है।

आज की तारीख में मीडिया बिना जांच किए किस हद तक डॉक्टरों को खलनायक बनाने पर तुला है और सिर्फ सरकार को खुश करने में लगा हुआ है। (क्रमश:)

भले ही वह साजिश ही सही होगी, लेकिन जिन भी लोगों ने झांसी मेडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर की ऑपरेशन-स्‍ट्रेचर पर लिटे उस शख्‍स की तस्‍वीर देखी है, उन्‍हें डॉक्‍टरों की करतूतों पर घृणा और उबकाई ही आयी होगी। इस फोटो में घायल के सिरहाने पर तकिया की जगह उसी कटे पैर को रख दिया गया था, जो बस दुर्घटना में घायल होकर उसी शख्‍स का कट कर अलग हो गया था। इस खबर से जुड़ी खबरों के बाकी हिस्‍सों-अंकों को पढ़ने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-

कटी-टांग का तकिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *