: पेप्सी और प्रमोद महाजन की फार्मूला सीक्रेट था, लेकिन बेपर्दा हो गया : जून-03 में पाली-मारवाड़ की वसुंधरा रैली में भाजपा सांसद पुष्प जैन को नंगी गालियां दीं प्रमोद ने : छोटे भाई ने ही गोलियां से छलनी बनाया प्रमोद के पेट को : शिवानी हत्याकांड में उसके विवादित बेटे को अपना बताया, पुलिस ने मना किया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : भाजपा में अटल बिहारी बाजपेई को अपना लक्ष्मण मानने वाले प्रमोद महाजन की आज पुण्य-तिथि है। करीब 15 बरस पहले मुम्बई के उनके अलीशान मकान में उनके भाई ने प्रमोद के गोलियों से भून दिया था। उसका कहना था कि बड़ा भाई बनने के बावजूद प्रमोद ने उसे हमेशा निहायत उपेक्षित और गरीब के तौर पर सार्वजनिक रूप से अपमानित किया था। नतीजा, प्रमोद महाजन का अवसान हो गया।
सन-04 में मध्य प्रदेश के चुनाव में प्रमोद महाजन को केंद्रित भूमिका निभायी गयी थी। दरअसल, प्रमोद को पार्टी के आर्थिक खांचे को समृद्ध और उसे मजबूत करने का जिम्मा दिया था। इसके लिए कई गम्भीर आरोपों से भी जूझते रहे थे प्रमोद। वह तो पार्टी ने एकजुट कोशिश की थी, जिन्दगी भर प्रमोद महाजन सिर्फ राज्यसभा तक ही सीमित रह जाते। लेकिन प्रमोद पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता था। वे साफ बोलते थे कि प्रमोद महाजन अजेय है। उसको कोई नहीं हरा सकता। पेप्सी और प्रमोद महाजन की फार्मूला सीक्रेट है, जिसे तोड़ पाना असम्भव है।
लेकिन कुछ ही दिन बाद सबकुछ बेपर्दा हो गया। और ऐसा बेपर्दा हुआ कि प्रमोद महाजन को इस बात का भी वक्त नहीं मिल पाया कि वे समझ पाते कि उनके साथ क्या हुआ और उसको सुधारने में उनकी क्या भूमिका हो सकती है। लेकिन बात हाथ से बाहर निकल चुकी थी, और उनका सीक्रेट फार्मूला किसी भी लायक नहीं बचा।
आज एक घटना जरूर बता दूंगा आज प्रमोद महाजन के पुण्य-दिवस पर। शायद यह मामला प्रमोद के अब तक अनछुए पहलू को अनावृत्त कर सके। यह घटना जून-03 की है। उस वक्त मैं अपने परिवार की भूख का समाधान करने के लिए जोधपुर से सटे पाली-मारवाड़ जिले में दैनिक भास्कर समाचार पत्र का ब्यूरो-प्रमुख हुआ करता था। मैं अपनी ही शैली में समाचारों के साथ तेज तूफान की तरह जुटा रहता था। उधर अशोक गहलोत की सरकार और डॉ गिरिजा व्यास के सांगठनिक ढांचे में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने राजस्थान को चुन लिया भाजपा के इस अभियान में वसुंधरा सिंधिया के तूफानी दौरे में पूरे प्रदेश को छान लेने की कोशिश की थी। एक दौरे में सिंधिया ने प्रमोद महाजन को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश की। प्रमोद सहमत हो गये।
सिंधिया का रथ कई जिलों में होते हुए एक दोहपर के बाद पाली-मारवाड़ तक पहुंचा। उसके पहले वे पूरे जिले को छान चुके थे। रात करीब दस बजे के करीब सिंधिया और प्रमोद का रथ जिला मुख्यालय पहुंचा। मुख्य शहर के बड़े तिराहे पर ही करीब पांच हजार लोगों की भीड़ जुट चुकी थी। मगर इसके पहले ही आरक्षण के मसले पर अपना आंदोलन कर रहे लोगों की टोली भी छापापार अंदाज में सक्रिय हो चुकी थी। सभा के तिराहे पर भी जैसे ही सिंधिया के बाद प्रमोद महाजन ने बोलना शुरू किया था, आरक्षण वालों ने नारे लगाना शुरू कर दिया था।
जहां तक मैं समझ पाता हूं कि उसके पहले तक किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम में इस तरह की प्रतिकूल हवा नहीं चली थी। लेकिन इन आरक्षण वालों ने फिजां ही बदलने का अभियान छेड़ दिया था। लेकिन कुछ ही देन बाद प्रमोद महाजन अचानक आक्रामक हो गये। उस समय के स्थानीय भाजपा सांसद पुष्प जैन को मंच पर स्थान पर नहीं मिला था। इसीलिए वे सभा के अंतिम छोर पर डिवाइडर पर बैठे थे। पुष्प जैन जैसी बड़ी शख्सियत के लिए यह माहौल वाकई अपमानजनक ही था, लेकिन पुष्प जैन ने खुद को एडजस्ट कर लिया था।
लेकिन आरक्षण वालों के हंगामे के बाद प्रमोद महाजन की उन लोगों को तो कुछ भी नहीं चली, लेकिन उन्होंने भरी सभा में ही पुष्प जैन को मां-बहन की गालियां देते हुए उन्हें झिड़का और खौखियाते हुए बोले कि जो भी सभा का माहौल बिगाड़े, उसका हाथ-पांव तोड़ डालो।
इसके बाद कहने की कोशिश जरूरत ही नहीं पड़ी थी। और न ही कोई मैं आज ही कुछ समझ पा रहा हूं।
सिवाय इसके कि प्रमोद महाजन पार्टी या बड़े नेताओं के लिए भले ही अनिवार्य, आवश्यक और अपरिहार्य बन चुके होंगे, लेकिन उनका सहज शिष्टाचार का प्रदर्शन तो करना ही चाहिए था। इस मामले वे बेहद बेशर्म और बेहया व्यक्ति ही बन पाये।
अगर उस समय के भास्कर में, जिसके आप व्यूरो चीफ थे, में समाचार प्रकाशित हुआ हो, तो कटिंग्स भी पोस्ट करिये। अगर नहीं छापा था तो क्यों। अब श्रद्धांजलि के बजाय ये सब क्यों।