: नितीश कुमार ने सांसद बनाया, तो भाजपा ने राज्यसभा में उपसभापति : चंद्रशेखर इस्तीफा देने वाले हैं पर उन्होंने यह खबर किसी को बताई नहीं : एक पाठक के रूप में कई लोग, कई मुद्दों पर हरिवंश की राय जानने को तरस गए :
संजय कुमार सिंह
नई दिल्ली : हिन्दी पत्रकारिता करते हुए राज्यसभा के उपाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने के लिए पत्रकार हरिवंश निश्चित रूप से प्रशंसा के पात्र हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उनकी खूब तारीफ की। पर यह बता ही दिया कि निष्पक्ष और जनहित की पत्रकारिता करते हुए सत्ता के करीब पहुंचना हरिवंश के लिए भी संभव नहीं था। उन्होंने बताया कि हरिवंश ने पत्रकारिता से ज्यादा महत्व संबंधों को दिया और खबर अपने अखबार को भी नहीं दी। पहली ही बार में राज्यसभा का उपाध्यक्ष बन जाना साधारण नहीं है। और यह यूं ही नहीं है।
हरिवंश भारतीय राजनीति में एक अलग ही धारा कहे जा सकने वाले चंद्रशेखर के प्रिय थे। जयप्रकाश नारायण के प्रशंसक हैं। अंतरात्मा की आवाज तक को राजनीति के लिए भुना लेने वाले नीतिश कुमार के समर्थन से राज्य सभा में पहुंचे और देश जब गोभक्तों, कांवड़ियों, भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा समर्थक ट्रोल की गंदगी से परेशान है तो भाजपा के समर्थन से उपसभापति बन गए। यह संबंधों की राजनीति या पत्रकारिता ही है जो ऐसी सफलता दिलाती है। वरना तमाम मामलों पर चुप रह जाना पत्रकार के लिए साधारण नहीं है। कहने की जरूरत नहीं है कि एक पाठक के रूप में कई लोग, कई मुद्दों पर हरिवंश की राय जानने को तरस गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रशेखर के करीबी और मीडिया सलाहकार रहते हुए उन्हें पता था कि चंद्रशेखर इस्तीफा देने वाले हैं पर उन्होंने यह खबर किसी को बताई नहीं। यह खबर नहीं छपी। वैसे, इस मामले में सच्चाई यही होगी कि उस समय वे संपादक नहीं होंगे और पत्रकारिता उनकी पहली प्राथमिकता नहीं थी। फिर भी, सफलता के लिए किया वही जाता है जिससे संबंध बने। प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक कर दिया कि हरिवंश जी ने भी वही किया। पत्रकारिता अगर राजनीति की सीढ़ी है तो संबंध बनाना हाईस्पीड लिफ्ट।
हरिवंश जी अपना पूरा नाम नहीं लिखते हैं और अब जब सब कुछ सार्वजनिक है तो लोग चकित हैं कि यह सब कैसे हुआ? मौजूदा स्थिति के लिए भले ही इस समय की राजनीति और माहौल को दोषी बना दिया जाए पर चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनते ही उनके करीबी के रूप में चर्चित होने के बाद कुछ छिपा हुआ नहीं था। कुछ लोग नहीं जान पाए यह अलग बात है।