अखिलेश के विद्रोह की वजह सौतेली मां और पिता का सौतेला व्‍यवहार

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: बहुत तेज भड़कती जा रही है खबर कि यूपी में सौतेली माँ और मुलायम के ‘सौतेले व्यवहार’ से आहत अखिलेश बनाएंगे नई पार्टी : पहले बाप, फिर सौतेली मां, और अब चाचा के साथ खट्टे रिश्‍तों की बेल कुछ न कुछ खास मुकाम तक पहुंचेगी जरूर : बहुत पहले से ही अखिलेश ने पार्टी मुख्‍यालय की ओर का रूख तक नहीं किया :


अश्वनी श्रीवास्तव

नई दिल्ली : यादव-कुल में ध्‍वंस की लपटें अब गुगनचुम्‍बी भड़कती जा रही हैं। दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक घराने समाजवादी पार्टी में अब धर-पटकी चल रही है। सतह पर तो यही खबर है कि चाचा और भतीजे में रिश्‍ते बुरी तरह जल-भुन चुके हैं। लेकिन जानकार बताते हैं कि शिवपाल सिंह यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच चल रहे झगडे की चिंगारी की आग अब पिता मुलायम सिंह यादव पुत्र के बीच छिड़ गयी है। उसमें भी तुर्रा यह कि अखिलेश यादव की सौतेली मां उस यज्ञ-कुण्‍ड में हवि-सामग्री चढ़ा रही बताते हैं। नतीजा यह कि खबर खासी पसर चुकी हैं कि इन्‍हीं हालातो के चलते अखिलेश यादव अब जल्दी ही अपनी नई पार्टी बनाकर चार महीने बाद यूपी के विधानसभा चुनाव में अपने बलबूते चुनाव लड़ने जा रहे हैं। लेकिन  यह डगर कोई खास आसान नहीं होगी अखिलेश के लिए। वजह यह कि समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव का रंग अब तक चटख ही है। इसके बावजूद कि अखिलेश की छवि ने प्रदेश के युवाओं को उनकी ओर खासा आकर्षक रिश्‍ता बना लिया है।

बहरहाल, पहली बात तो हो जाए सपा के घरेलू मोर्च पर तेज होती खटपट से, जो अब लगातार घमासान तक पहुंचती जा रही है। वैसे तो यह खटास अपनी सौतेली माँ से होकर कैकेयी बनी साधना गुप्‍ता की ख्‍वाहिशों के चलते है। जहां चर्चाओ के अनुसार साधना गुप्‍ता अपने बेटे प्रतीक को बेहद असरदार ओहदा थमाने के लिए पांसे चला रही हैं। यही वजह है कि, सूत्रों के मुताबिक, सीएम अखिलेश का यह निर्णय उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचने में कारगर साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल सीएम अखिलेश का यह निर्णय सही वक्त पर सही फैसला किया जाना बताया जा रहा है। इसकी प्रमुख वजह यह बताई जा रही है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव कि दूसरी पत्नी साधना गुप्ता अब अपने बेटे प्रतीक यादव को वह हक दिलाना चाहती हैं, जो अभी तक मुलायम ने उसको नहीं दिया. खबर है कि अखिलेश कि सौतेली माँ होने के कारण साधना गुप्ता अब कैकेयी बन चुकी हैं।

कुछ भी हो, अगर यह फैसला आखिरी है तो फिर अखिलेश यादव की जीवन की डगर में खासा बदलाव हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक परिवार में पिछले एक माह से अधिक समय से मची इस अंतर्कलह को लेकर अखिलेश अपने आपको परिवार से अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. जिसके चलते अखिलेश यादव ने पिछले कुछ दिनों से पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठना छोड़ दिया है। अखिलेश यादव किए नजदीकि सूत्रों का कहना है कि अखिलेश का यह फैसला कारगर साबित होगा। और अगर वह इस वक्त अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनाव अपने बलबूते लड़ेंगे तो सूबे की जनता उनके साथ होगी।

मुलायम के घर के भीतर तैनात सूत्रों के मुताबिक अक्सर परिवार में इस बात को लेकर कलह होती रहती है. इसीलिए सीएम अखिलेश अपने परिवार के साथ अलग रहने का मन बना चुके हैं. उधर यूपी के वरिष्ठ आईएएस अफसर ने भी बताया कि अखिलेश 17 नवंबर के बाद अपनी नई पार्टी कि घोषणा कर सकते हैं. बहरहाल अगर अखिलेश अपनी नई पार्टी बनाते हैं तो प्रदेश कि जनता का समर्थन उनके साथ होगा, जो सपा ही नहीं बीजेपी के लिए भी खतरे की घंटी साबित होगी.

साभार: दिल्‍ली में बसे अश्विनी श्रीवास्‍तव का नाम तेज-तर्रार पत्रकारों में से है। वे इस समय इंडिया संवाद से सम्‍बद्ध हैं।

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