झूठे बाबा और तलुआचाट प्रशासन ने चबा डालीं 25 जिन्‍दगियां

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: सपा के दिग्‍गजों की सरपरस्‍ती में शीश झुकाता रहा प्रशासन, और हादसा हो गया : पंकज महाराज ने प्रशासन से वायदा किया था कि प्रवचन नहीं होगा, मगर ढाई घंटा चला : जयगुरूदेव सम्‍प्रदाय अपनी साजिशों में लिप्‍त रहा, और प्रशासन उसकी हां में हां मिलाता रहा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जयगुरूदेव सम्‍प्रदाय के भक्ति-समागम को लेकर वाराणसी के सारे आला अफसर लगातार शीश झुकाये तैयार थे। जो भी कहा जाएगा, नाक रगड़ करके मान लिया जाएगा। कीमत चाहे कुछ भी अदा करनी पड़े। दरअसल यह जुगुलबन्‍दी चल रही थी जयगुरूदेव सम्‍प्रदाय और वाराणसी प्रशासन के बीच। और इसी गंदे रिश्‍तों ने कल वाराणसी के इस राजघाट पर 25 लाशों को जमीन पर बिखेर दिया। आपको बता दें कि राजघाट को अहिंसा का संकल्‍प लेने वाले बुद्ध का धर्म-क्षेत्र माना जाता है।

आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल वाराणसी में हुई भगदड़ की घटना को गम्भीरता से लेते हुए वाराणसी के अपर जिलाधिकारी (नगर) विन्ध्यवासिनी राय और सिटी मजिस्ट्रेट विजय बहादुर सिंह को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन क्‍या यही असल मसला है, क्‍या यही निदान है, क्‍या यही प्रशासन है, क्‍या यही सरकार की कार्यशैली है, यह सवाल अब ज्‍यादा भड़क चुके हैं। खासतौर पर तब, जबकि इस पूरे दौरान सरकार और प्रशासन ही नहीं, बल्कि जयगुरूदेव सम्‍प्रदाय की मुखियाओं की हरकतें बेहद संगीन और खतरनाक दिखने लगी हैं।

सच बात तो यही है कि जय गुरूदेव सम्‍प्रदाय और उसका मुखिया पंकज महाराज और उसकी चापलूसी में लगातार अपना माथा टेकने पर आमादा वाराणसी का प्रशासन ही इस पूरे सामूहिक हत्‍याकाण्‍ड के लिए जिम्‍मेदार है। इस पूरे हादसे को अगर आप चरणबद्ध तरीके से देखें, तो आपको साफ पता चल जाएगा कि अपने राजनीतिक झालर के बल-बूते पर इस सम्‍प्रदाय के मुखिया पंकज महराज ने नियम-कानूनों को लगातार धता बताया। मकसद यह कि कैसे भी हो, इस सम्‍प्रदाय की धाक और उसकी धमक गूंजने लगे।

इसीलिए इस सम्‍प्रदाय के मुखिया पंकज महराज के प्रवक्‍ता ने पहले तो यह दावा किया गया कि केवल तीन हजार लोगों का जमावड़ा होगा। इस दावे को वाराणसी के प्रशासन ने सिर-माथे पर ले लिया और कोर्निश करते हुए जयजयकारा लगाते हुए अपनी-मौज मस्‍ती में लिप्‍त हो गये प्रशासन के सारे अफसर और कारिन्‍दे। अभी यह चल ही रहा था कि इसी समप्रदाय के प्रवक्‍ता ने फिर यह बयान दे दिया कि चूंकि यह समागम भक्‍तों की भक्ति और उनकी श्रद्धा से ओपप्रोत है, इसलिए इसमें आने वाले भक्‍तों की संख्‍या थोड़ी-बहुत कम-ज्‍यादा हो सकती है। प्रशासन के अफसरों-कारिंदों ने इस पर भी जयजयकारा लगा दिया और प्रेम-स्‍नेह-श्रद्धा और समर्पण के साथ अपनी मौज-मस्‍ती में डूब गये।

हैरत की बात है कि वाराणसी और चंदौली के एक भी अफसर ने इस बारे में कोई भी चिन्‍ता नहीं की, कोई भी तैयारी नहीं की, कोई भी व्‍यावहारिक रणनीति नहीं बनायी, कोई भी सतर्कता या प्रभावी राहत की व्‍यवस्‍थाएं तैयार कीं, जो ऐसे हादसे को टाल सकता, या फिर उसके बाद कोई प्रभावी रणनीति बना सकता। पूरा का पूरा प्रशासन और पुलिस के आला अफसर इस पूरे दौरान जयगुरूदेव सम्‍प्रदाय के बाबाओं के चरण-स्‍पर्श करने में जुटे रहे। वजह यह कि यह पूरा का पूरा सम्‍प्रदाय ही हमेशा समाजवादी पार्टी के खासमखास लोगों की धार्मिक मंच के तौर पर बनाने पर आमादा रहा।

नतीजा ?

जयगुरूदेव सम्‍प्रदाय के आयोजन में वाराणसी में हुए हादसे की खबरें देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए: काशी में मृत्‍यु-नृत्‍य


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