: जांच का बहाना, पांसा ठीक तो रकम और स्त्री-देह भी उपलब्ध : तनाव में हैं 181, एड्स कंट्रोल अभियान व नर्सिंग : मिर्जापुर, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, जौनपुर और बस्ती वगैरह में ऐसे हादसे आम : संविदा-दो
कुमार सौवीर
लखनऊ : ( गतांक से आगे) योगी-सरकार में और चाहे कुछ हुआ न हो, लेकिन सरकारी सेवाओं में घुस चुके बेईमान और दुराचारी डॉक्टर तो पूरी तरह नंगे हो गये हैं। अब हालत यह है कि केवल मरीजों से ही नहीं, बल्कि अपने अधीनस्थों को भी प्रताडि़त कर पैसा उगाहने का जरिया खोज लिया है। बेहाल हैं वे कर्मचारी, जो संविदा के तहत सरकारी अस्पतालों में तैनात हैं।
लेकिन सबसे भयावह हालत तो उन संविदा कर्मचारियों की है, जो महिला हैं। उनके पास दायित्व तो बेहिसाब हैं, लेकिन उन पर प्रताड़ना बेशुमार बढती जा रही है। इन महिलाकर्मियों का बात-बात पर सार्वजनिक रूप से अपमानित कर देना, बेवजह नोटिस थमा देना, बदले में घूस उगाहना तो रोजमर्रा की बात हो गयी है। कई डॉक्टर तो बाकायदा दुराचारी गिरोह की तरह महिला संविदाकर्मियों पर अनर्गल जांच बिठाते हैं और उसके बाद जांच में उसे बरी करने की एवज में मोटी रकम मांगते हैं।
ऐसी ही कुछ महिलाओं ने दोलत्ती संवाददाता को बताया कि उनके जांच अधिकारी महिला की अस्मिता, शील और सम्मान तक उगाह लेने पर आमादा रहते हैं। हैरत की बात है कि सरकारी डॉक्टरों की यह दुराचारी प्रवृत्ति पूर्वांचल और मध्य उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है।
दरअसल, संविदा पद्यति ही शोषण का मूल कारक बन चुकी है, और उसमें सबसे ज्यादा प्रताडि़त हुई हैं महिलाएं। उसमें भी चरम हालत है स्वास्थ्य विभाग की। चाहे वह महिला हेल्प लाइन 181 से जुड़ी हों, एड्स कंट्रोल अभियान से सम्बद्ध हों, या फिर नर्सिंग सेवाओं से। इन सभी सेवाओं में कार्यरत महिला कर्मचारियों को भयावह त्रासदी से जूझना पड़ रहा है। एक तो वे बमुश्किलन अपना पेट पालने भर का पारिश्रमिक पाती हैं, उस पर ऐसा मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना से भी उन्हें जूझना होता है।
हरदोई के एक चिकित्सा अधीक्षक ने तो एक एचआईवी-एड्स परामर्शदाता महिला ममता द्विवेदी का 15 हजार रुपया का वेतन ही रोक लिया। जब उस महिला ने इस बारे में महिला ने अधीक्षक से बात की, तो उससे पांच हजार रुपया महीना की रिश्वत मांग ली गयी। जब इस महिला ने इतनी रकम देने में असमर्थता जतायी तो अधीक्षक ने उससे प्रस्ताव दिया कि वह रात को बंगले पर आ जाया करो। अकेला ही रहता हूं। तुम्हारा पूरा ध्यान रखूंगा। ममता उस समय गर्भवती थी।
उस निहायत अभद्र और अश्लील प्रस्ताव पर महिला भड़क गयी और उसने अधीक्षक की शिकायत बड़े अफसरों तक कर दिया। जांच बैठायी गयी, तो जांच अधिकारी ने भी यही अश्लील प्रस्ताव रख दिया, लेकिन वह महिला ने हार नहीं मानी, और जूझती ही रही। आखिरकार छह महीने अधीक्षक का तबादला हुआ, और उस महिला को बाकी वेतन का भुगतान हो गया। लेकिन उस दौरान वे अवसाद और नैराश्य भाव से बुरी तरह त्रस्त रही।
मिर्जापुर के संयुक्त मंडलीय अस्पताल के प्रभारी निदेशक तो अपनी बदतमीजी के लिए कुख्यात थे।
इस निदेशक ने तो भरी मीटिंग में एक महिला कर्मचारियों से कहा था कि अगर नौकरी करनी होगी, तो तुमको हमारे लिंग पर तेल लगाना पड़ेगा और बिस्तर पर भी आना पड़ेगा। मीटिंग में तो पूरा सन्नाटा पसर गया, लेनिक उसके बाद उस महिला ने अपना हौसला जुटाया और निदेशक की करतूतों का खुलासा करना शुरू कर दिया। मामला अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुंचा, और आखिरकार उस डॉक्टर पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसका तबादला किया गया। जांच भी बैठायी गयी, लेकिन उसके बाद हुए प्रगति फिलहाल दोलत्ती के पास नहीं है। (क्रमश:)