: 12 दिनों में 15 गायों की मौत, सरासर झूठ बोल रहे डीएम : शनिवार एकसाथ पांच गायों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ा : कल दिन भर रविकिशन से एक्टिंग के टिप्स लेते रहे डीएम :
दोलत्ती संवाददाता
जौनपुर : योगी सरकार के लिए बुरी खबर है। बहुत दर्दनाक भी। जौनपुर शहर के बीचोंबीच और उद्यान विभाग की जमीन पर बनी एक गौशाला में 12 दिन के दौरान 15 गायें तड़प तड़प कर दम तोड़ गई हैं। यह मौतें सिर्फ एक गौशाला की हैं। सूत्र बताते हैं कि पूरे जिले में इस समय गायों के मौत का मंजर भयावह है। लेकिन फिलहाल तो प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।
दोलत्ती संवाददाता के अनुसार अमर उजाला ने आज एक बड़ी खबर छाप कर डीएम समेत पूरे सरकारी अमले की कलई उतार डाली है। यहां के गौशाला की खबर बताती है कि इस गौशाला में 12 दिन के दौरान 15 गायों की मौत हो गई है। इस हादसे से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। आपको बता दें कि पिछले हफ्ते भी यहां के सुविधा कला विकासखंड के ठीक पीछे बने गौशाला में दो दर्जन से ज्यादा गायों की मौत की खबर स्थानीय अमर उजाला और हिंदुस्तान अखबार ने छापी थी। लेकिन जिलाधिकारी दिनेश सिंह ने पूरी बहादुरी के साथ अपना 56 इंच सीना दिखाया और उन अखबारों की खबरों को पूरी तरह झूठा करार दे दिया। जबकि हकीकत यही रही थी कि यही खबरें सच थीं और जिलाधिकारी का बयान-खंडन सरासर झूठ था। दोलत्ती के मुताबिक रोचक बात यह भी है कि जिलाधिकारी के इस खंडन को किसी भी अखबार ने फिलहाल नहीं छापा है। इसके चलते जिलाधिकारी की विश्वसनीयता का आकलन इन अखबारों की खबरों के सामने बिल्कुल बेपर्दा हो गया है।
और अब यह ताजा हादसा भी अखबारों में छप गया है कि जिलाधिकारी के कुशल नेतृत्व में एक गौशाला कि 12 दिनों के दौरान 15 गायों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। वह भी वहां, जो शहर के बीचोंबीच गोशाला बनायी गयी थी। यह गौशाला यहां के उद्यान विभाग की जमीन पर बनाया गया है, जहां अफसरों और कर्मचारियों की भारी भीड़ भी होती है।
चलते-चलते आपको जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह की क्रिया-प्रणाली पर भी चर्चा करा दिया जाए। दोलत्ती की खबर है कि कल 13 जनवरी को फिल्मी स्टार और गोरखपुर के सांसद रवि किशन के पिता की तेरहवीं के दिन जिलाधिकारी दिनेश सिंह लगातार दिन भर रवि किशन के घर जमे रहे। लोगों में यही चर्चाएं चलती रहीं कि दिनेश सिंह यहां पर इसलिए जमे हैं ताकि वे रवि किशन के साथ एक्टिंग के कुछ टिप्स सीख लें और मजेदार एक्टिंग का सलीका हासिल कर लें। ताकि उनके अभिनय में धार बन जाए।
भाड़ में जाए प्रशासन और ठेंगे में जाए गायों की जिन्दगी। अभिनय है, तो जहान हैं। सफलता हमेशा एक्टिंग से ही होती है, संवेदनशीलता से नहीं।