: डीजी रहे एके जैन के कहने पर एक वृद्ध परिवार को रासुका में बंद करने की साजिश की मोहित ने : दुर्दांत अपराधी ददुआ के करीबी को उस परिवार की हवेली हड़पा देने की साजिश थी :
कुमार सौवीर
मोहम्मदाबाद करथिया (फर्रूखाबाद) : फर्रूखाबाद के एक युवक को गोलियों से भून डालने के हीरो मोहित अग्रवाल एक तेज-तर्रार पुलिस अफसर माने जाते हैं। फिलहाल कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक पर पर आसीन मोहित अग्रवाल के बारे में खासी ख्याति है। जानकार बताते हैं कि अपने करीब 25 बरस की नौकरी के दौरान आईजी मोहित अग्रवाल ने अधिकांश कामों को जिस तरीके से अपने काम को अंजाम दिया है, उससे उनके आकाओं और साथियों में तो खुशी की लहर उठती रहती है, लेकिन उनके अधिकांश कामों में कानून और संविधान ही नहीं, बल्कि इंसानियत भी चीख-चीख कर कराहनी शुरू कर देती है। फर्रूखाबाद में हुए करथिया कांड के बाद से ही मोहित अग्रवाल के चेहरे पर तो नकाब ही उतर गया। हालत यह है कि फर्रूखाबाद के मोहम्मदाबाद करथिया गांव में हुई इस घटना को मोहित अग्रवाल ने न केवल किसी बेहूदी और घटिया नौटंकी की तरह पेश कर दिया, बल्कि अपने अधीनस्थों में भी ऐसे ही रक्त का संचार कर दिया। उधर आम आदमी इस हादसे से बुरी तरह आहत और राजनीति, सत्ता और सरकार की विश्वसनीयता के मसले पर अविश्वसनीय मोड़ तक पहुंच चुका है।
दरअसल, आईजी मोहित अग्रवाल की इस मासूम-सी दिखने वाली पुलिसिया कहानी में केवल चालाकियां, चालबाजियां, फरेब और षड्यंत्र ही षडयंत्र भरा है। और इस ऑपरेशन का नेतृत्व कर चुके मोहित अग्रवाल पर अब तीखे सवाल उठने लगे हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि आईजी मोहित अग्रवाल पर उसका कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा। वजह यह कि मोहित अग्रवाल पर तो बहुत पहले से ही बहुत-बहुत और ढेर सारे गंभीर सवाल उठते ही रहे हैं। बताने वाले तो यह तक कहते हैं कि मोहित अग्रवाल बिना किसी अर्थ के कोई दायित्व निभाने में संकोच करते हैं।
इलाहाबाद के पूर्व मण्डलीय आयुक्त देवेंद्र नाथ दुबे ने दोलत्ती संवाददाता को बताया कि किस तरह मोहित अग्रवाल ने अपने रायबरेली में पुलिस कप्तान पद से वहां के एक निहायत शरीफ परिवार के वयोवृद्ध मुखिया समेत पूरे खानदान को रासुका में बंद कर देने की साजिश रची थी। देवेंद्र दुबे उस समय रायबरेली में जिलाधिकारी पर तैनात थे। मोहित अग्रवाल और उसके आका की साजिश थी कि इस वयोवृद्ध और उसके पूरे परिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धाराओं में जेल भेज दिया जाए, और इस तरह इस परिवार की विशाल हवेली खाली हो जाए। मंशा यह थी कि यूपी के दुर्दांत अपराधी ददुआ गिरोह के करीबी को रिश्तेदार को इस हवेली का कब्जा दिलवा दिया जाए। यह साजिश रची थी मोहित अग्रवाल के आका अरविंद कुमार जैन ने, जो उस वक्त लखनऊ में आईजी के पद पर आसीन थे।
आइये,दोलत्ती की अगली कड़ी में हम आपको दिखायेंगे, कि उस पूरे मामले में देवेंद्र दुबे जी ने क्या देखा और पाया।