तुम चोर नहीं, लेकिन बताओ 45 लाख कहां डकारा

दोलत्ती

: हाईकोर्ट में बार एसोसियेशन के अध्‍यक्ष जुटे तिरिया-चरित्‍तर में : सुनवाई के दौरान याचिकाओं पर रोना-धोना शुरू, बोले कि हमको चोर कहा जा रहा :
दोलत्‍ती संवाददाता
लखनऊ : हाईकोर्ट में आज एक अजीबो-गरीब माहौल दिखायी पड़ा। याचिका दायर हुई थी हाईकोर्ट के वकीलों के संगठन अवध बार एसोसियेशन के पदाधिकारियों द्वारा बार में 45 लाख रूपयों की गड़बडी को लेकर। मुकदमा दायर किया गया था हाईकोर्ट के पांच वकीलों की ओर से। लेकिन बार के निवर्तमान अध्‍यक्ष ने इस मामले को भावुक हालत में खुद को पेश किया। बोले कि याचिका दायर करने वालों का मकसद ही आरोप-जन्‍य है। उनका कहना था कि वे और उनकी कार्यकारिणी के लोग पूरी तरह ईमानदार हैं।
आज इस मुकदमें की सुनवाई सीनियर जज कोर्ट में हुई। यह याचिका हाईकोर्ट के पांच वकीलों द्वारा एक सुर में ही दायर की गयी थी। सुनवाई के दौरान अवध बार की तरफ से निवर्तमान अध्यक्ष आनंद मणि त्रिपाठी उपस्थित हुए। रिट पिटीशन में लगाये गये बार के धन के दुरुपयोग पर आनंदमणि त्रिपाठी इतने आहत दिखे कि कहा कि उनकी कार्यकारिणी को चोर कहा जा रहा है। जो पूरी तरह गलत हैं।
उधर इसी क्रम में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले जीएल यादव ने अपनी वाल पर लिखा है कि:- मैं खुद उन पांच याचिकाकर्ताओं में से एक हूं। अतः मेरा कहना है कि ऐसा कोई शब्द प्रयोग नहीं किया गया है। हां गैर कानूनी ढंग से (कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी ) लगभग 45 लाख रूपये निकालने, समय पर एजीएम न करवाने, ए जी एम में आय व्यय का लेखा जोखा न देने और कुलदीप पति त्रिपाठी को चुनाव अधिकारी बनाने तथा कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद एल्डर कमेटी को चार्ज न देकर अवैध रूप से कार्यवाहक बनकर बार से पैसे निकालने का आरोप अवश्य लगाया गया है जो पूर्णतः सत्य हैं। श्री त्रिपाठी ने इन आरोपों का जवाब देने के स्थान पर कहा कि याचिकाकर्ता लोग बेइमान है और दुर्भावनावश ये पेटीशन फाइल किया है। कहा कि वो कुछ भी जवाब नहीं देगें तो कोर्ट ने अवध बार के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप नरायन माथुर को एमिकस क्यूरी नियुक्त करते हुए सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया।
दोस्तों यदि आप लोगों को लगे कि मैंने याचिका दाखिल करके जागरूक सदस्य का कर्तव्य निभाया है तो इस याचिका में इन्टरवीनर की हैसियत से प्रार्थना पत्र देकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान उपस्थित हों।
इस मामले पर युवा महिला अधिवक्‍ता शिवानी कुलश्रेष्‍ठ ने लिखा है कि सर ए.के क्रैपक और डीके यादव के केस में सुप्रीम कोर्ट पूर्व में कह चुकी हैं कि किसी भी प्रक्रिया में यदि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों की अवहेलना की जाती हैं तो वह प्रक्रिया दूषित हैं। दोनो पक्षों को सुने बिना, किसी यथोचित बात पर नही पहुंचा जा सकता। ऐसी दूषित बार को तत्काल प्रभाव से भंग कर देना चाहिए तथा जिम्मेदार लोगों पर मानसिक यातना पहुंचाए जाने का वाद संस्थित करना चाहिए। जब हाईकोर्ट की इतनी बड़ी बार ही अक्षम हैं तो फिर आम नागरिक के अधिकारों को कैसे प्रोटेक्ट किया जायेगा?
Akshaya Katiyar great job
Rajit Ram पूर्ण समर्थन.
Surendra Yadav Good work
Rajit Ram इसको भी देख लीजिये.
Umashankar Srivastava Chor hai bhai
Umashankar Srivastava Aatma bik chuki hai
Umashankar Srivastava Paise ke liye sb kuch kr skta hai
RD Shahi Don’t worry . I know their limits .
Ram Naresh Singh हम आपके साथ हैं और रहेंगे
Umashankar Srivastava Hm log aapke sath hai aap mard hai ye sale chor aapka kuch nhi kr sktilathi me tail lgaye
Umashankar Srivastava Jinka jmeer naitikta bik chuki ho vo aapko nhi ghel pa yega g ft jayeg judge bnne ke chaker me kya kr rhe aap nhi sara lko janta gnde hai kalnk hai
Suraj Yadav I’m with you each and every dimension
Adv Krishna Gopal Yadav Ham sab app ke sath hai dada
Vimal Pandey Good work
Saqib Siddiqui I am with you bhaiyya

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