साहसी दीपिका, मुझे साहसी लड़कियाँ पसंद हैं

दोलत्ती

: दीपिका जानती है कि इस साहस से वह अपने कट्टर प्रशंसक खो भी सकती है : ये कविता नहीं, स्‍क्रिप्‍ट है जो मैंने पिछले साल लिखी :
गीताश्री
नई दिल्‍ली : एक न्यूज़ चैनल के लिए लिखा था, तब जब “छपाक” फ़िल्म का पोस्टर ही रिलीज़ हुआ था. पोस्टर पर दीपिका का गेट-अप देखकर हम सब चौंक गए थे कि कोई हीरोइन ऐसा रोल कैसे स्वीकार कर सकती है? बिना मेकअप बाहर न निकलने वाली हमारी हीरोइनें इतना झुलसा हुआ चेहरा लेकर पर्दे पर आने को कैसे तैयार हुई? हम मुग्ध हुए. विनोद कापरी जी ने प्रेरित किया. प्रिया मल्लिक ने इसे पढ़ा. यू ट्यूब पर वो वीडियो होगा.
दीपिका को तब पोस्टर देख कर गले लगाने का जी चाहा था. आज दूसरी बार उनका साहस देखकर. मुझे साहसी लड़कियाँ पसंद हैं. भले आप उनके साहस को फ़िल्म के प्रचार से जोड़ कर देखें. ऐसा रोल स्वीकार करना ही बड़े साहस का काम था. दीपिका जानती है कि इस साहस से वह अपने कट्टर प्रशंसक खो भी सकती है. फिर भी वह निकली.
मान लेते हैं… तो क्या हम सब किताब लिख कर भोंपू नहीं बजाते. डुगडुगी नहीं पिटते?
पर्दे की नायिकाओं के सोशल कमिटमेंट नहीं हो सकते?
तब तो सुनिए जी …
ये दुनिया , ईश्वर का प्रचार है और हम सब उसके प्रचारक हैं.
छोड़िए … आइए पढ़ते हैं…
प्रिय दीपिका,
आज मैं तुम्हें गले लगाना चाहती हूं
इसलिए नहीं कि तुम बहुत सुदंर हो
इसलिए नहीं तुम बहुत बड़ी स्टार हो
इसलिए नहीं कि पदमावत फिल्म में
तुम क्या खूबसूरत दीख रही थी
या तुमने उसमें इतना खूबसूरत लहंगा पहना था
इसलिए भी नहीं कि तुमने
तुमने अपने प्रेमी रणवीर सिंह से शादी कर ली
इसलिए मैं तुम्हें गले लगाना चाहती हूं दीपिका
कि तुम आज एक अदभुत कहानी कहने जा रही हो
तुम्हारा एक पोस्टर देखा
उसे देख कर ऐसा लगा कि
तुम आज ऐसा कहानी कहने जा रही हो
जो कहना बहुत जरुरी थी
और जो कहानी कोई नहीं कह रहा
जिस कहानी को कोई नहीं कहता
उस कहानी को तुम कह रही हो
और जो बॉलीवुड के नॉर्म्स हैं कि यहां
सिर्फ बिकती है सुंदरता और ग्लैमर
तुम उस धारणा को तोड़ रही हो
ये अपने आप में कितने साहस की बात है तुम्हारे लिए
कि तुमने लक्ष्मी की कहानी चुनी
अपने ग्लैमर से बेपरवाह होकर
साहसपूर्वक फैसला किया
कि बनेगी उस पर फिल्म और
तुम उसका किरदार निभाओगी

दीपिका,
ये सिर्फ किसी एक लक्ष्मी की कहानी नहीं
उन हजारो लड़कियों की कहानी बन जाएगी
जिन पर होता है तेजाबी हमला
झुलस जाते हैं उनके चेहरे, उनकी आत्माएं
वे बिता देती हैं गुमनामी में अपनी झुलसी हुई तमाम जिंदगी
अपना चेहरा फिर नहीं दिखा पाती दुनिया को
तुमने उन सारी लड़कियों को चेहरा दिया है
तुम उन लड़कियों का चेहरा बन गई हो
उम्मीद का चेहरा,
वो सारी लड़कियां अब गर्व से सामने आएंगी
सारी लड़कियां देर-सबेर अपनी खूबसूरती देखेंगी
अपनी आत्मा के रोशन आइने में
खुद को निहारेंगी और लौटेंगी पुरानी जिंदगी में वापस
गहरे आत्मविश्वास के साथ, साहस के साथ
कम ही लड़कियां उस चेहरे के साथ सामने आती हैं
तुमने उन लोगो को भी मैसेज दिया
जिन लोगो ने उसके चेहरे को खराब किया
जिन लोगो ने उन चेहरो से दूरियां बनाई
अपने काबिल न समझा
क्या आपलोगो ने ये सोचा
कि उसकी जिंदगी बरबाद कर दी
अब तो इस जिंदगी पर फिल्म बन रही है
बोलो, क्या कर लोगे आप
कितना बिगाड़ोगे चेहरे, उजाड़ोगे जिंदगियां
जब बिगड़ी बनाने वाले तुम्हारे जैसे लोग हैं दीपिका
मैं इसलिए तुम्हें गले लगाना चाहती हूं
कि
तुमने उन्हें गमुनामी के अंधेरो से निकाला है
एक नया चेहरा दिया है…

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