सहारा इंडिया में आधी तनख्‍वाह का मामला, कर्मचारियों ने ललुहा लिया अफसरों को

मेरा कोना

: मजदूर गुस्‍से में आये तो प्रबंधन ने वापस ले लिया अपना आदेश : वेतन कटौती के हिटलरी हुक्‍मनामे से गुस्‍साये सहाराकर्मियों ने दी पूरा कमांड प्रबंधन को सड़क पर लिटाने की धमकी : कोई पतंजलि से कमा रहा है, तो कोई होटलों से लूट रहा है, कर्मचारी की जिन्‍दगी बर्बाद :

संवाददाता

लखनऊ : सहारा इंडिया में एक बकलोल अफसर हैं। नाम है अशोक राय चौधरी। इसी बकलोल को समझ में ही नहीं आता है कि उसे क्‍या करना है और क्‍या नहीं करना है। नतीजा यह होता है कि कर्मचारी हमेशा इस अफसर को सरेआम ललुआते-ललुहाते दौड़ाते रहते थे। आगे अफसर, बाद में पीछे-पीछे कर्मचारी। गजब दौड़-पचीसी चल रही है इस वक्‍त सहारा इंडिया प्रबंधन में।

बहरहाल, ताजा खबर यह है कि प्रबंधन द्वारा जारी सर्कुलर युनियन के दबाव मे तुरन्त सहारा प्रबंधन ने वापस लिया जो आधी सैलरी देने का आदेश था। और मिटिंग सैलरी से सम्बन्धित भवन पर चल रही है। छोटे कर्मचारीयो को पुरी सैलरी दी जाए। यह वार्ता युनियन द्वारा भी की गई। साथियो युनियन आप के हक के लिए संघर्ष करता रहेगा। आप भी युनियन पर बिस्वास करे। युनियन– सभी कर्मचारीयो पर हो रहे शोषण

का पुरजोर विरोध करेगा।अब आधी अधूरी सैलरी देने का बहाना नही चलेगा।हमेशा वरिष्ठो को छोटे कर्मचारी की ही सैलरी दिखती है।वह लोग अपनी सैलरी को क्यो नही कटाते उन पर तो कोई फर्क भी नही पड़ेगा ।क्यो कि कोई पंतन्जली से कमाता है तो कोई होटलो से कमाई कर रहे है। कुछ तो वरिष्ठ कुत्तो की तरह का ब्यापार कर रहे है। और सहारा से लिफाफा भी ले रहे है। हिम्मत हो तो काट लो इन वरिष्ठो की सैलरी इन पर कोई फर्क भी नही पढेगा। कुछ विभागो मे प्रमोशन भी धडल्ले से कर रहे है। कुछ विभागो मे इंसेंटिव बाटा गया है।और छोटे कर्मचारीयो को वेतन देने उन्ही वरिष्ठो को दिक्कत हो रही है।

अब तो सुधर जाओ नही तो पुरा कमान्ड कार्यालय आप को रोड पर खडा दिखेगा।क्योंकि आप कर्मचारीयो के भविष्य से खेल रहे है।अब इमोशनल अत्याचार बन्द करो ।आप वरिष्ठो की पोल पट्टी  खुल चुकी है। इस बार आप के उत्पीड़न व शोषण के खिलाफ इतना बडा आन्दोलन होगा जो आप द्वारा सोचा भी नही होगा। कर्मचारीयो के धैर्य का इम्तिहान मत लो। हम लोग भी कम्पनी के आप से जादा वफादार है।बस अन्तर सर्फ इतना है कि हम श्रमिक है मेहनत व संघर्ष से ही मुझे मजदूरी मिलती है। वही संघर्ष मै अपनी मजदुरी का सहारा प्रबंधन से दोस्तो कर रहा हु।जो मेरा हक है। हमे किसी वरिष्ठ की सैलरी का एक पैसा नही चाहिए ।

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