सफाईकर्मियों की लूट है, जो लूट सके सो लूट

दोलत्ती


: अयोध्‍या के आयुक्‍त के घर छह और डीएम के घर चार सफाईकर्मचारी अटैच, गांवों में सफाई ठेंगे पर : सैकड़ों सफाईकर्मी ब्लॉक व विकास भवन में अटैच:

कुमार सौवीर

अयोध्‍या : जिले में फैली मुफ्तखोरी की महामारी कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक होती जा रही है। इस को दूर करने के लिए बड़ा फरमान सुनाना जरूरी हो गया है। पूर्व बसपा सरकार में तैनात किए गए सफाई कर्मचारियों को ग्राम सभा स्थल पर साफ सफाई के लिए सरकार द्वारा पद सृजित कर नियुक्तियां की गई थी। सरकारी नौकरी की चाह रखने वाले सैकड़ों लोगों ने फार्म भरकर नौकरियां प्राप्त कर ली थी लेकिन सफाई जैसा कार्य करने में उन्हें शर्म महसूस होती रही। सफाई कर्मियों ने अपने ग्राम सभाओं के प्रधानों को सेटिंग गेटिंग करते हुए ब्लॉक को व जिला मुख्यालयों पर किसी न किसी विभाग में अपने आपको अटैच कर लिया।

ग्रामीणों की शिकायतों पर भी यह अपने आपको आप इसमें अटैच बाबू बताते हुए कभी सफाई कार्य करने अपने क्षेत्र में नहीं गए। बीते 10 सालों में जहां इनकी तनख्वाह पच्चीस हजार के लगभग हो गई है वही आज भी इन्हें सफाई कार्य किसी भी हालत में पसंद नहीं। सूत्रों की माने तो विकास भवन महकमे में ही दो दर्जन से अधिक सफाई कर्मी सूट बूट पहने दिखाई दे जाएंगे जिन्हें देखकर आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि आप कभी अपनी नौकरी के दौरान अपने ग्राम क्षेत्र में जाकर सफाई का कार्य किए होंगे।

आइये हम आपको ले चलते हैं अयोध्‍या मंडल और जिला पर तैनात बड़े-बड़े आला अफसरों के घर और दफ्तर की ओर। दोलत्‍ती संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक अयोध्‍या के मंडलायुक्त के पास कुल छल सफाईकर्मचारियों को अटैच कर लिया गया है। जबकि जिलाधिकारी के घर में चार सफाईकर्मचारी तैनात हैं। अब जब सफाईकर्मचारियों की लूट मची हुई है, तो उसमें संयुक्‍त विकास आयुक्‍त भी पीछे कैसे रहें। इसलिए उनके घर भी दो सफाई कर्मचारी तैनात कर लिये गये हैं।

इनमे डीआरडीए में दो सफाई कर्मी एक पी डी का ड्राइवर और एक चपरासी एक उनके घर पर खाना बनाने वाला, डीडीओ के पास तीन सफाईकर्मी अर्दली, चपरासी और खाना बनाने के लिए, डीपीआरओ के पास चार सफाई कर्मी जिनमें एक सरकारी गाड़ी का चालक एक खानसामा तथा चपरासी के तौर पर वर्षो से अटैच हैं। सीडीओ के कार्यालय और आवास को मिला कर कुल छः सफाईकर्मी तैनात हैं।

यही नहीं डीसी मनरेगा जो ब्लाकों का भी कार्य देखते हैं ने इससे चार हाथ आगे जाकर सफाईकर्मी को उसकी गाड़ी के साथ अपने पास वर्षो से अटैच कर रखा है। मनरेगा के मद से इसकी गाड़ी के किराए का भुगतान भी करते हैं।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छता को आंदोलन बनाते हुए खुद अपने हाथ से सफाई कर देश की जनता के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया था ऐसे में सफाई जैसे कार्य को घटिया समझने वाले सफाई कर्मियों की बड़ी फेहरिस्त है लेकिन तनखा उठाने के मामले में यह अव्वल है ।

दर्जनों सफाई कर्मी ऐसे हैं जो नौकरी के साथ-साथ प्रॉपर्टी डीलिंग का भी बड़ा काम कर रहे हैं। महकमे की इस गंभीर महामारी को समझने और दूर करने के प्रयास की जरूरत है। सभी सफाई कर्मियों को अपने ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर सफाई करते हुए फोटो अपलोड करने का फरमान सुनाया जाए।

सूत्र बताते है आज के युग में लगभग 90 फीसदी सफाई कर्मियों के पास एंड्रॉयड फोन मौजूद है जिसको वह बखूबी चलाते हैं ऐसे में फोटो अपलोड का बहाना उनकी सफाई कार्य से घृणा और गंदी मानसिकता का प्रतीक समझा जा सकता है । देखना है जिला प्रशासन सफाई कर्मियों से सफाई करा पाते हैं यह सफाई कर्मियों का कॉकस उन्हें झुकने पर मजबूर कर देता है । कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी इन सफाई कर्मियों ने अपनी ग्राम सभाओं में ना तो सफाई का कार्य किया है ना ही सैनिटाइजर कराने पहुंचे हैं । जनप्रतिनिधि होने के कारण ग्राम प्रधानों ने ही इसका जिम्मा अपने कांधे ले रखा है ।

आदेश के अनुसार जिले के सभी सफाईकर्मी एंगिल कैम ऐप के माध्यम से साफ सफाई स्वच्छ्ता एवं सैनेटिजेसन कार्य की फ़ोटो एवं एक्सेल फॉमेट सूचना रोजाना दोपहर 12 बजे से पूर्व उपलब्ध कराना है।किन्तु मुफ्तखोरी लत में तल्लीन हो चुके सफाईकर्मी और आराम पसंद अधिकारी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी के आदेशों की खिल्ली उड़ा रहे हैं।

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