हां तो बच्‍चों, यह बताओ कि गाली कितने प्रकार की होती हैं

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: उत्‍तर प्रदेश को अब गाली प्रदेश में तब्‍दील कर दिया जाना चाहिए : अखिलेश यादव को चाहिए कि वे यूपी में गाली शोध संस्‍थान खोल दें, अध्‍यक्ष हों शिवपाल सिंह यादव : उर्दू गाली का जिम्‍मा आजम खान को सौंपा जाना चाहिए : महिला गाली सामाख्‍या की डोर मेनका को थमाइये :

लखनऊ : ………. तो अब उत्तर प्रदेश के अगले चुनाव का केंद्रविन्दु होंगी गालियां ! यह सवाल उठाया है सदाशिव ब्रह्मेंन्‍द्र सरस्‍वती ने। उनके सवालों और सलाहों के हिसाब से तो अब उत्‍तर प्रदेश को अब गाली प्रदेश में तब्‍दील कर दिया जाना चाहिए। यूपी के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव को चाहिए कि वे यूपी में गाली शोध संस्‍थान खोल दें, जिसके अध्‍यक्ष हों शिवपाल सिंह यादव। जबकि उर्दू गाली का जिम्‍मा आजम खान को सौंपा जाना चाहिए। गालियों में महिलाओं के आरक्षण का जिम्‍मा महा-दयालु के तौर पर पहचानी जा चुकीं मेनका गांधी को महिला गाली सामाख्‍या की डोर थमा दिया जाना चाहिये।

सरस्‍वती जी ने अपनी वाल पर इसी पर करारा चोट की है। आध्‍यात्‍म और धर्म के पहले विधि और संस्‍कार विषय पर देश भर में अपना डंका बजा चुके डॉ एएन त्रिपाठी जी का दूसरा जन्‍म अब सूर्यध्‍वज दाण्‍डीस्‍वामी के तौर पर है। मगर वे लगातार समाज और मानवीय मूल्‍यों पर सोचते-करते ही रहते हैं। उन्‍होंने लिखा है कि: अब देश-प्रदेश को न तो विकास की आवश्यकता है न शिक्षा की न सुरक्षा की न न्याय की न धर्म की!

शिक्षा विभाग को अगले सत्र से गालियों को एक विषय के रूप में या राजनीतिशास्त्र और युद्धशास्त्र के अंग के रूप में पाठ्यक्रमों में शामिल करने की तैयारी करनी चाहिए। थोड़ा विद्वानों को भी झगड़ने दीजिये कि गाली की परिभाषा क्या है? यह कला है या विज्ञान ? इसके प्रवर्तक कौन हैं? इसका इतिहास क्या है? इसके गुण-दोष क्या हैं? समाज परिवर्तन में इसका क्या योगदान है? इसके कब कब कितने प्रयोग हुए और क्या परिणाम रहे? इत्यादि….। विश्विद्यालयों में एक गाली विभाग खोल दीजिये। गाली शोध संस्थान खोल दीजिये। गालियों को भी सम्मानजनक स्थान मिल जाएगा और अन्य भी बहुत से उद्देश्य पूरे होंगे।

Abhinav Chaturvedi : देवी द्रोपदी के चीरहरण और सांस्कृतिक सनातन सभ्यता के हो रहे चीरहरण में मुझे कोई फर्क नहीं दिखता…

Rajiv Srivastava : उत्तर प्रदेश की आम जनता अब इसी लायक है | जब वोटिंग सिर्फ जाति के आधार पर होगा तो अब यही होगा | हम और आप जैसे संवेदनशील लोग सिर्फ अपनी पीड़ा ही व्यक्त कर सकते हैं

Adv Pritam Singh : ek faida hai gaali ka……..jab apke sath anyay ho or uske khilaf aap kuch na kar pao to aap man ki bhadas nikalne ke liye gali ka paryog karte hain ………………… to man ko thodi shanti milti hai…..

Sadashiva Brahmendranand Saraswatee की फेसबुक वाल से

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