भूमिहारी-झण्‍डा लेकर दौड़े एसएसपी दीपक कुमार

मेरा कोना

: छन्‍द-फन्‍द और जोड़-तोड़ में माहिर दीपक कुमार ने भूमिहारों का गृह-कलह सुलझाया : संपादक के घर एसटीएफ की गुंडागर्दी, 13 तथ्‍यों पर निगाह डाल लो, वरना तेरहवीं की तैयारी तो हो ही चुकी : एसटीएफ की करतूत की माफी दीपक ने क्‍यों मांगी, सवाल गरम है :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह स्‍वादिष्‍ट पंचमेली चाट है। इसे जो भी चखा है, बरबस चटखारे लगाने लगता है। एक ही मसाला, एक ही नमक, एक ही आलू, एक ही दोना-पत्‍तल, एक ही चम्‍मच, और एक ही स्‍वाद। अलग-अलग आंच वाले अलग-अलग स्‍टोव में विशेष तासीर में पकाई और फिर तली और भूनी गयी है यह चाट। भई वाह, जिसे भी चखा है, मस्‍त हो गया है। सूत्र बताते हैं कि लखनऊ में यह चाट फिलहाल प्रयोग के तहत तैयार की गयी है। इसके आविष्‍कारक हैं भूमिहार चाट कार्नर, जिसने अपनी एक धमाकेदार इंट्री ले कर अपने स्‍वाद के अपने झण्‍डे फहरा दिया है।

गोमती नगर में राकेश तिवारी नामक एक दबंग भूमिहार अपना मकान बना रहा था। उसने भवन निर्माण सामग्री अपने भूमिहार पड़ोसी सुभाष राय के दरवज्‍जे पर कुछ इस तरह ढेर लगा दिया कि रास्‍ता ही जाम हो गया। आना-जाना दूभर हो गया। कार फंस गयी, तो सुभाष राय ने इस पर ऐतराज किया। कई बार डायल-100 पर फोन करने अपनी दिक्‍कत बतायी। हर बार पुलिस ने राकेश को चेतावनी दी कि वह सुभाष राय के घर के सामने लगाये ढेर को हटा ले। पहले तो राकेश तिवारी ने इस पर सदाशयता दिखायी, लेकिन बाद में गुंडई पर आमादा हो गया। सुभाष राय दैनिक जनसंदेश टाइम्‍स के सम्‍पादक हैं।

कई दिन तक तो सुभाष राय ने सहन किया, लेकिन बाद में उसे कड़े शब्‍दों कहना शुरू कर दिया। इस पर राकेश तिवारी अपनी औकात में आ गये। अगले दिन राकेश तिवारी का एक रिश्‍तेदार रणजीत राय कई गाडि़यों में सुभाष राय के घर धमक पड़ा। पता चला कि रणजीत राय एसटीएफ में इंस्‍पेक्‍टर है, और उसके साथ सुभाष राय के घर घुसे लगे एसटीएफ के ही पुलिसवाले थे। उन लोगों ने सुभाष राय और उनकी पत्‍नी को बुरी तरह अपमानित और आतंकित किया। इतना ही नहीं, चेतावनी भी दी कि उनकी पत्रकारिता यथास्‍थान पर घुसेड़ दी जाएगी।

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बड़ा दारोगा

आहत सुभाष राय ने इस पूरे हादसे को अपनी वाल पर दर्ज किया, तो पूरा पत्रकार जगत में तूफान उमड़ पड़ा। विरोध व्‍यक्‍त करने के लिए गांधी प्रतिमा पर कड़ी धूप में भी भारी संख्‍या में पत्रकार जुट गये। सुभाष राय ने एसटीएफ के आईजी को पत्र लिखा, लेकिन उसका कोई भी जवाब नहीं आया। थाने पर भी वे मुकदमा दर्ज कराने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने एफआईआर ही दर्ज नहीं की। हालांकि शासन स्‍तर पर हंगामा पहुंचा, तो डीजीपी ओपी सिंह ने रणजीत राय को कानपुर तबादले पर भेज दिया। उधर पुलिस ने इस मामले में गलती मानने की पेशकश की।

कल 20 जून की शाम लखनऊ के वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार अपने लाव-लश्‍कर के साथ सुभाष राय के घर पहुंचे। हालांकि उनके आने से पहले ही सुभाष राय ने अपने कई मित्रों को बुला लिया था। ड्राइंगरूम भर गया था। दीपक कुमार ने सुभाष राय से इस घटना पर खेद व्‍यक्‍त किया और रणजीत राय की करतूत पर माफी मांगी। इस बारे में एक लिखित पत्र भी दीपक कुमार ने सुभाष राय को दिया है, लेकिन सुभाष राय ने इस पत्र को अपनी वाल पर सार्वजनिक नहीं किया है।

यहां कुछ तथ्‍य और कुछ सवाल उठ रहे हैं। पहले तो यह कि राकेश तिवारी, रणजीत राय, दीपक कुमार और सुभाष राय एक ही जाति यानी भूमिहार हैं। ( हालांकि इन चारों में इकलौते सुभाष राय ही ऐसे हैं, जो जाति-धर्म से परे सोचते हैं। उनकी छवि कभी भी किसी जाति-विशेष व्‍यक्ति के तौर पर नहीं रही। वे विशुद्ध लेखक, चिंतक और कवि-साहित्‍यकार हैं, जो अपना पेट पालने के लिए पत्रकारिता की दूकान पर मुनीमी करने बैठने पर मजबूर है। )

दूसरी बात यह कि लखनऊ में कानून-व्‍यवस्‍था की हालत यह है कि कई बार डायल-100 अपनी शिकायत दर्ज कराने का कोई भी मतलब नहीं रह गया है। तीसरी बात यह कि रणजीत को राकेश तिवारी के पक्ष में इतनी गुंडई करने का मकसद क्‍या था, क्‍या वह वाकई राकेश तिवारी का मित्र है, या फिर उस गुंडागर्दी की एवज में उसे मोटी रकम भी मिली थी। चौथी बात कि एसटीएफ या पुलिस के किसी इंस्‍पेक्‍टर की इतनी औकात कैसे हो सकती है कि वह कानून को धता देते हुए किसी गुंडे-मवाली की तरह व्‍यवहार करे। पांचवी बात कि सुभाष राय की अर्जी पर एसटीएफ के आईजी ने क्‍या कार्रवाई की। छठवीं बात कि थाने पर अर्जी देने के बावजूद विभूति खंड थाने ने एफआईआर दर्ज क्‍यों नहीं की।

सातवीं बात यह कि यह मामला तो एसटीएफ के इंस्‍पेक्‍टर और उसके एसटीएफकर्मियों की गुंडागर्दी का था, ऐसी हालत में लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने किस आधार पर प्रायश्चित किया, माफी मांगी और बाकायदा लिखित माफीनामा भी सुभाष राय को थमाया। आठवीं बात यह कि उस माफीनामा पर ऐसा क्‍या है, जिसे न तो दीपक कुमार ने सार्वजनिक किया और न ही सुभाष राय ने अपनी वाल पर शाया करने की जरूरत नहीं समझी। नौंवी बात यह कि इस माफीनामा केवल वरिष्‍ठ पत्रकार सुभाष राय के मामले में होने के चलते लिखा गया है जिनके पक्ष में पूरा पत्रकार समुदाय एकजुट हो गया था। दसवीं बात यह कि अपने लोगों की ऐसी करतूतों पर भी क्‍या भविष्‍य में दीपक कुमार इसी तरह शर्मिंदा होते रहेंगे।

ग्‍यारहवीं बात अपने पुलिसवालों की अतीत या भविष्‍य में होने वाली किन्‍हीं भी करतूतों पर दीपक कुमार सार्वजनिक रूप से क्षमा याचना करते रहेंगे। बारहवीं बात यह कि एसटीएफ के इंस्‍पेक्‍टर सहित अन्‍य एसटीएफकर्मियों पर क्‍या कार्रवाई की जाएगी। और तेरहवीं बात यह कि मुख्‍यमंत्री के प्रमुख सचिव पर रिश्‍वत मांगने का आरोप लगाने वाला अभिषेक गुप्‍ता और हाईकोर्ट के ख्‍यातिनाम अधिवक्‍ता प्रिंस लेनिन के घर घुसकर उनके बुजुर्ग माता-पिता और उनकी बहन के साथ हुई घटना के दोषी पुलिसवालों पर क्‍या कार्रवाई होगी, और दीपक कुमार इस मामले में ऐसा क्‍या करेंगे कि भविष्‍य में ऐसी हालत न हो पाये।

तो दोस्‍तों। यह तो है तेरह बिन्‍दु वाले प्रश्‍न और तथ्‍य।

इनका समाधान हो जाए तो ठीक, वरना प्रशासन और पुलिस की करतूतों के चलते राजधानी समेत पूरे यूपी में कानून-व्‍यवस्‍था की तेरहवीं आयोजित करने का तो पूरी व्‍यवस्‍था तैयारी चल ही रही है।

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