राष्‍ट्रवादी खबरों का वेटर सुभाष चंद्रा: जी-टीवी धड़ाम, 12 हजार करोड़ डूबे

बिटिया खबर
: वित्तीय संकट में बर्बादी की कगार पर एस्सेल ग्रुप, चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने गलतियों के लिए माफी मांगी : सहारा इंडिया जैसी हालत में है यह समूह, हिस्सेदारी बेचकर पैसा चुकाने का भरोसा दिया :

दोलत्‍ती संवाददाता

नई दिल्‍ली : जी टीवी समूह वाले एक्‍सेल ग्रुप को तो आप खूब जानते होंगे। उसके मालिक और मीडिया में शीर्षस्‍थ राष्‍ट्रवादी प्रवचनकर्ता सुभाष चंद्रा और उसका आपराधिक प्रवृत्ति वाला दलाल नवीन चौधरी ने मिल कर किसी को भी राष्‍ट्रविरोधी करार देने की सुपारी ले रखी थी। आज उनकी हवा ही निकल गयी। ताजा खबर यह है कि सुभाष चंद्रा की हालत कमोबेश बर्बाद शख्‍स की तरह हो गयी है। सुभाष पर करीब बारह हजार करोड़ रूपयों की करारी चोट पहुंची है। इससे समूह की चूलें हिल गयीं और हालत यह हो गयी कि सुभाष चंद्रा ने अपनी करतूतों के लिए बाकायदा माफी मांग ली है। सुभाष चंद्रा ने कहा, ‘मैं बैंकरों, एनबीएफसी और म्यूचुअल फंडों से माफी मांगने को बाध्य हूं क्योंकि मेरा मानना है कि मैं आप लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया।’

आपको बता दें कि देश की एक और बड़ी कंपनी कर्ज के बोझ और वित्तीय संकट में घिर गई है। शुक्रवार को एस्सेल समूह के जी एंटरटेनमेंट, डिश टीवी और एस्सेल प्रोपैक के शेयरों में भारी गिरावट के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, वे काफी चौकाने वाले हैं। समूह के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने खुद इसकी पुष्टि करते अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी। उन्होंने इसके लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर आक्रामक तरीके से दांव लगाने और वीडियोकॉन का डीटूएच कारोबार खरीदने के निर्णय को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कर्जदाताओं से खेद जताते हुए कहा कि कुछ नकारात्मक ताकतें उन्हें जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज की हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए पूंजी जुटाने के प्रयासों से रोक रही हैं।

इस सारे प्रकरण से पता चलता है कि उद्योगपति और सरकार का संबंध कितना गहरा होता है यह अपनी करतूत छुपाने के लिए ही भाजपा सरकार का गुणगान करता था। चंद्रा ने यह तथ्य ऐसे समय स्वीकार किया है, जबकि जी का शेयर शुक्रवार को 26.43 प्रतिशत टूटकर 319.35 रुपये पर आ गया। वहीं समूह की अन्य कंपनी डिश टीवी का शेयर 32.74 प्रतिशत गिरकर 22.60 रुपये पर आ गया। चंद्रा ने खुले पत्र में कुल कर्ज की जानकारी देने से बचते हुए कहा कि IL&FS संकट के बाद से मुश्किलें बढ़ गईं हैं। उन्होंने अपनी कुछ गलतियों को स्वीकार करते हुए कहा कि इसके कारण सिर्फ एस्सेल इंफ्रा को ही 4000 से 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
जी के शेयरों में यह गिरावट उस मीडिया रिपोर्ट के बाद आई जिसमें दावा किया गया है कि सरकारी संस्था सीरीयस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) नित्यांक इंफ्रापावर कंपनी की जांच कर रही है, जिसने 8 नवंबर 2016 को की गई नोटबंदी के तुरंत बाद 3,000 करोड़ रुपये जमा कराए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया कि नित्यांक इंफ्रापावर और एक कथित सेल कंपनी ने वित्तीय लेन-देन किए, जिसमें सुभाष चंद्रा की अगुवाई वाले एस्सेल समूह से 2015 से 2017 के बीच जुड़ी कुछ कंपनियां भी शामिल थीं।
मीडिया रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि नित्यांक ने इसके अलावा साल 2016 के नवंबर में वीडियोकॉन और एस्सेल समूह के बीच हुए सौदे में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 18 दिसंबर को ईटी की रिपोर्ट में भी कुछ तथ्य सामने आए थे। हालांकि, एस्सेल प्रोपैक और जी ने बयान जारी कर कहा कि नित्यांक ग्रुप से एस्सेल ग्रुप का संबंध नहीं है। चंद्रा ने अपने ओपन लेटर में नित्यांक मामले पर कुछ नहीं कहा है।
चंद्रा ने कहा, ‘बिक्री के बाद हम सारा बकाया चुकाने में सक्षम होंगे, लेकिन यदि कर्जदाता हड़बड़ी करेंगे तो इससे उन्हें भी और हमें भी नुकसान होगा।’ उन्होंने दावा किया कि वह एक भी रुपया पचाना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक किसी भी प्रवर्तक ने अपनी सबसे शानदार कंपनी को बेचने की पहल नहीं की है, लेकिन वह कर रहे हैं।
चंद्रा ने दावा किया कि उन्होंने हाल ही में लंदन में बैठकें की हैं और इसमें उन्हें सफलता मिली है। उन्होंने कंपनी के शेयर के 26.43 प्रतिशत टूटने का जिक्र करते हुए कहा कि यह बिक्री की कोशिशों को रोकने की चाल है। उन्होंने कहा, ‘अधिकांश बुनियादी ढांचा कंपनियों की तरह हमने भी कुछ गलत दांव आजमाए। सामान्यत: ढांचागत क्षेत्र की कंपनियां ऐसी स्थिति में हाथ खड़े कर देती हैं और कर्ज देने वालों को एनपीए के साथ छोड़ देती हैं। लेकिन हमारे मामले में किसी स्थिति से नहीं भागने की हमारी जिद से हमें 4000 से 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।’
इसके कुछ ही घंटे पहले जी समूह के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैपिटल) में 14,000 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई है। जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज के शेयरों में नैशनल स्टॉक एक्सचेंज पर करीब 31 फीसदी की गिरावट आई और यह 299.92 पर बंद हुआ। यह साल 1999 के बाद से किसी एक दिन में कंपनी के शेयरों में आई सबसे बड़ी गिरावट है।
जी समूह की कंपनियों पर म्यूचुअल फंड और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का करीब 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें 7,000 करोड़ रुपये एमएफ कर्ज और 5,000 करोड़ रुपये एनबीएफसीज का कर्ज है। इसके कारण देश में एक और IL&FS संकट का खतरा पैदा हो गया है। बताया जा रहा है कि एमएफ कर्ज जोखिम पूरी तरह से जी के प्रमोटर के स्तर पर है। इसमें से बिरला एएफ से 2,900 करोड़ रुपये, एचडीएफसी से 1,000 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल से 750 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया है, जिसके फंसने का संकट है। वहीं, एनबीएफसी के मोर्चे पर माना जा रहा है कि एचडीएफसी लि. और एलएंडटी फाइनैंस का कर्ज फंसेगा।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि यह सप्ताहांत है और शेयर बाजार अब सोमवार को खुलेंगे, लिहाजा जी समूह के सभी शेयर सोमवार को औंधे मुंह गिर सकते हैं, क्योंकि एमएफ कर्ज सुरक्षित नहीं होते हैं। जी समूह के प्रमोटर सुभाष चंद्रा हरियाणा से राज्यसभा सदस्य हैं। देश अभी IL&FS संकट से ही नहीं उबर पाया था, तब तक इस तरह का यह दूसरा संकट भारतीय वित्तीय प्रणाली को झटका देने वाला है।

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