: डीएम का बगलगीर काले चश्मावाले ने अभियुक्त को रिपोर्टर बनाया, बोला रिहा करो : एक नाबालिग को भगाने, रेप और बेचने के आरोप में मूर्तिहा पुलिस ने भेजा था सूरज शुक्ला ने : अखबार ने सूरज को पहचानने से इनकार किया, लेकिन एमपी शुक्ला की दादागिरी : सूचना विभाग ने पतित शुक्ला को कैसे पत्रकार माना, कैसे :
कुमार सौवीर
लखनऊ : ग्रामीण पत्रकार संघ या एसोसियेशन का संजाल यूपी के संभवत: सभी जिलो के स्तर पर बन चुका है। इतना ही नहीं, इस संघ ने अपना फंदा और ज्यादा कसने के लिए तो अब तहसीलों तक में अपनी शाखा का गठन कर लिया है। इन संगठनों में ग्रामीण क्षेत्रों में पत्रकारिता कर रहे लोगों को सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक पहचान दिलाने और उनको सुविधाएं मुहैया करने का अभियान छेड़ना बताया जाता है। लेकिन हैरत की बात है कि ऐसे संगठनों ने अपने सदस्यों को खबर सूंघने, खोजने, तथ्य जुटाने, तरतीबवार खबर को लिखने, भाषा और लिपि में होने वाली वाक्य विन्यास तय करने, वर्तनी और व्याकरण को जानने में होने वाली भयावह और अक्सर अनर्थ कर बैठने वाली करतूतों को पहचानने, इंगित करने, उसमें सुधार लाने जैसे कोई भी काम या अभियान कभी भी नहीं छेड़े हैं। बल्कि इसके बजाय यह संघ अपनी यूनियन का झंडा और डंडा लेकर दूर-दराज के लोगां को भी पत्रकार होने के नाम पर गुंडागर्दी और अवैध रंगदारी उगाहने में जुटे हुए हैं। इतना ही नही, अपनी ताकत को अधिकाधिक बढ़ाने की चाल में ऐसे ग्रामीण पत्रकारों ने ऐसे लोगों को भी पत्रकार बना कर उन्हें अपने संघ से जोड़ लिया है, जो करिया-अच्छर होते हैं, दिमागी अपाहिज होते हैं और जिन्हें पत्रकारिता का एबीसीडी तक नहीं होता है। बल्कि सच तो यही होता है कि ऐसे लोग पुलिस से वांछित होते हैं, लेकिन पुलिस से पीछा छुड़ाने के लिए वे ग्रामीण पत्रकार संघ के चरणों में अपना शीश अर्पित कर देते हैं।
बहराइच में भी यही हुआ। सूत्रों के अनुसार मूर्तिहा के एक लफंगा और आपराधिक चरित्र का एक युवक एक नाबालिग को फुलसाया और उसे लेकर भाग गया। रेप भी किया और बताते हैं कि शायद उसे बेचने की कवायद को भी संपादित कर दी। लेकिन मामला खुल गया। मूर्तिहा थाने की पुलिस को पता चला तो उसने आनन-फानन सूरज शुक्ला नामक उस घिनौने अपराधी को दबोच कर हवालात में बंद कर दिया। सूरज की करतूतों से जनता तो बेहद गुस्से में थी, उसके पकड़ जाने से नागरिकों ने सुकून महसूस किया। लेकिन यह सुकून ग्रामीण पत्रकार संघ, बहराइच के अध्यक्ष को कत्तई नहीं भाया।
विश्वस्त सूत्रों अपने करतूतों से पत्रकारिता का चेहरा काला और बदरंग कर चुके और पत्रकार एसोसियेशन के जिला अध्यक्ष के तौर पर बैठे एसपी मिश्रा को यह बात अपने खिलाफ जाती दिखायी पड़ी। पता चला है कि सूरज शुक्ला को यह जानते हुए भी कि सूरज शुक्ला पर पास्को जैसा घिनौना आरोप लग चुका है, एसपी मिश्रा ने ही अपने संगठन का सदस्य बना कर उसे समाज का जागरूक, सतर्क और निष्ठावान पत्रकार घोषित कर रखा था। जानकारों के अनुसार एसपी मिश्रा ही इस करतूत पर मोहर लगाते हुए मिश्रा के हम-प्याला, हम निवाला घोषित हो चुके जिला सूचना अधिकारी ने भी सूरज को पत्रकार के तौर पर प्रचारित करने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
इसके अपने इसी कुत्सित कुकृत्य के चलते सूरज शुक्ला की गिरफ्तारी के बीस मिनट बाद ही जिला ग्रामीण पत्रकार संघ के अध्यक्ष एसपी मिश्रा अपने आठ-दस चिलांडलुओं को लेकर सीधे डीएम के घर पहुंच गये और सूरज को सूरज शुक्ला को तत्काल रिहा करने पर दबाव बनाने लगे। इतने पर भी मन नहीं भरा तो बाहर निकलने पर एसपी मिश्रा ने एक महिला अधिकारी को रिहाई का एक ज्ञापन भी थमा दिया।
हैरत की बात है कि ग्रामीण पत्रकार संघ के अध्यक्ष सूरज शुक्ला को स्कॉलर टाइम्स नामक एक अखबार का रिपोर्टर साबित करते हुए डीएम, एसपी समेत दीगर अधिकारियों के पास दौड़-भाग कर रहे हैं, लेकिन सच बात तो यही है कि स्कॉलर टाइम्स के संपादक ने लिखित तौर पर यह लिख दिया है कि सूरज शुक्ला नामक कोई भी व्यक्ति उनके किसी भी गांव, तहसील, परगना, जिला या किसी आसपास के जिला, प्रदेश, देश या अंतर्राष्ट्रीय स्तर भी नियुक्त नहीं है।
इसी मसले पर एक अन्य अनजान व्यक्ति ने दोलत्ती संवाददाता को कुछ इस तरह एक पत्र भेज कर घटना की जानकारी भेजी है। इस पत्रकार के अनुसार जनपद बहराइच सूचना कार्यालय दबाव बनाकर एक व्यक्ति को पत्रकार घोषित कर अधिकारियों को भ्रमित कर रहे हैं कुछ पत्रकार ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के पत्रकार एस पी मिश्रा जी द्वारा पत्रकारों को बटोर कर और सूचना कार्यालय अधिकारी को मिलाकर इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं अपना दबदबा कायम रखने के लिए सभी को भ्रमित कर रहे हैं स्कॉलर टाइम संपादक से बात करने पर पता चला कि वह स्कॉलर टाइम पेपर का पत्रकार नहीं है साथ में स्कॉलर टाइम पेपर के संपादक का नंबर संकलन किया जा रहा है और जिसमें थानाध्यक्ष की छवि को खराब कर रहे हैं जो कि फर्जी मामले को लेकर थानाध्यक्ष के ऊपर दबाव बनाया जा रहा था कि मुकदमा दर्ज किया जाए जब थाना अध्यक्ष महोदय द्वारा मुकदमा नहीं दर्ज किया गया तो उस मुकदमे में सूरज शुक्ला नाम व्यक्ति को जेल भेज दिया थानाध्यक्ष ने तभी उस पर कुछ मुख्यालय के पत्रकार अपना दबदबा कायम करने के लिए पलटन और पेपर के पत्रकारों को बटोर कर थाना अध्यक्ष को हटाने की मांग कर रहे हैं जिसमें थानाध्यक्ष निर्दोष है साथ में थानाध्यक्ष का भी नंबर संकलन किया जा रहा है बात करके जानकारी ले सकते हैं आखिरकार ऐसे पत्रकार कैसे हो सकते हैं जो कि सच्चाई को छुपा कर अपना दबदबा अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए गलत कार्य को अंजाम दे रहे हैं खबर प्रकाशित करने के लिए नाम को गोपनीय रखने की कृपा करें