रेप आरोपित वकील पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, जज पर भी कडी टिप्पणी

दोलत्ती

: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस जज पर भी कडी आपत्ति जतायी : We are surprised that the High Court should act in the teeth of our order : चीफ स्टैंडिंग कौंसिलर थे शैलेंद्र चौहान, बर्खास्त हुए : चैम्‍बर में वकील युवती को नशीला पेय पिला कर किया था बलात्‍कार :

कुमार सौवीर

लखनऊ : कानून का पैरोकार होने के बावजूद कानून का माखौल बनाने की साजिश करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने तेवर सख्त करते हुए बलात्कार के आरोपित एक बडे वकील के पक्ष में लखनऊ हाईकोर्ट से जारी स्टे को आज फाइनली खारिज कर दिया। इतना ही नहीं, अदालत ने इस मामले में लखनऊ हाईकोर्ट के उस जज द्वारा दिये गये स्थगन आदेश के तौर:तरीकों पर कडी आपत्ति भी जतायी है। इसके साथ ही तय हो गया है कि इस मामले में कानून को खिलौना समझने वाले बडे सरकारी वकील शैलेंद्र सिंह चौहान के गिरफ़तारी के सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं।

यह आदेश तीन जजों की अदालत ने एक-स्वर में सुनाया है। इस अदालत में जस्टिस रोहिंटन फाली नारीमन, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी शामिल हैं। अदालत ने इस मामले में तीन सितम्बर-20 को हाईकोर्ट के आदेश द्वारा शैलेंद्र सिंह चौहान के पक्ष में जारी स्थगनादेश को भी खारिज कर दिया है। खास बात तो यह है कि इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ हाईकोर्ट के जज के फैसले पर कडी टिप्पणी कर दी है। अदालत ने साफ लिखा है कि: –

We are surprised that the High Court should act in the teeth of our order dated 05.08.2020. This is a very serious case which must be investigated properly so that the truth ultimately will come out.

आपको बता दें कि करीब दो महीना पहले लखनऊ हाईकोर्ट में सरकारी मामलों पर पैरवी करने के लिए उप्र सरकार द्वारा तैनात चीफ एडीशनल चीफ स्टैंडिंग कौंसिलर पद पर तैनात करीब 61 बरस के शैलेंद्र कुमार सिंह चौहान पर उनकी बेटी की उम्र वाली 27 बरस की एक युवती अधिवक्ता ने बलात्कार का आरोप लगाया था। आरोप के अनुसार शैलेंद्र सिंह चौहान ने अपने चैम्बर में आयी इस युवती को कोल्डड्रिंक में कोई नशीला पदार्थ मिलाया और उसके बेहोश हो जाने पर उसके साथ बलात्कार किया था।
इस मामले में पहले तो लखनऊ पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी की, लेकिन बाद में दबाव बनने पर एफआईआर दर्ज तो कर ली, लेकिन न तो शैलेंद्र चौहान के खिलाफ कोई कार्रवाई की, और न ही मामले की जांच पर कोई ठोस कार्रवाई शुरू की।

इस मामले पर शैलेंद्र चौहान ने अपनी गिरफतारी की कार्रवाई को रोकने के लिए हाईकोर्ट से राहत हासिल कर ली, लेकिन इसके इसके बाद जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने शैलेंद्र चौहान के पक्ष में जारी आदेश को खारिज कर दिया। मगर इसके बावजूद शैलेंद्र चौहान पर सरकार के बडे ओहदेदार लोगों का प्रश्रय था, इसलिए पुलिस ने शैलेंद्र चौहान पर कोई भी कार्रवाई नहीं की। उधर शैलेंद्र चौहान ने लखनऊ जिला सेशन जज की अदालत से अपनी गिरफ़तारी पर रोक लगाने के लिए एंटी सेपेट्री बेल की याचिका दायर की, लेकिन जज ने यह याचिका खारिज कर दी।

इसके बावजूद अभी कुछ ही दिन पहले ही सेशन जज के आदेश के खिलाफ शैलेंद्र चौहान ने हाईकोर्ट में एक नयी याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट के सिंगल जज की अदालत ने शैलेंद्र चौहान की जमानत मंजूर कर दी। इसके बाद से ही माना जाने लगा था कि शैलेंद्र चौहान पर अब कोई भी दवाब नहीं बन पायेगा। जाहिर है कि उसके बाद से पुलिस ने भी इस मामले में अपनी कागजी फाइल भी बंद कर दी थी।

लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद शैलेंद्र चौहान के बचाव की पूरी बुनावट का मामला ही चारों खाने चित्त हो गया। तय हो गया है कि शैलेंद्र चौहान के बचाव के सारे दरवाजे पूरी तरह बंद हो चुके हैं।

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