: जब मुलायम सिंह यादव कहते हैं कि सपा को मजबूत करने के लिए शिवपाल ने जी-तोड़ मेहनत की है, तो वे सिर्फ सच बोलते हैं : अपराध और अपराधियों को राजनीति और राजनीतिज्ञों के तौर पहचान दिलाने के लिए सपा ने जो अभियान छेड़ा, वह अप्रतिम है :
कुमार सौवीर
लखनऊ : समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार के बीच को लेकर जो लोग बहुत ज्यादा गम्भीर और उत्साहित हों, यहां उनकी बात नहीं हो रही है। लेकिन जो लोग इस पूरे झगड़े को करीब से देखना-समझना चाहते हों, जो चाहते हों कि आम आदमी के हितों के नाम पर कैसे निजी स्वार्थ साधे जाते हैं, उनके शोध-कर्म के लिए यह बेशर्म झगड़ा एक निहायत रोचक, लक्ष्योत्पादक और प्रभावी है।
पहले तो यह समझ ले लिया जाए कि यह झगड़ा किस बात और किन तत्वों के बीच का है। जाहिर है कि मुलायम सिंह यादव द्वारा पैदा की गयी इस राजनीतिक औलाद को मुलायम सिंह यादव ने अपने आप को खुद को एक मजबूत आधार हासिल कराने के लिए तैयार किया था, जिसमें समानधर्मी और समान उद्देश्य और चरित्र के लोग उसमें जोड़े गये। इन सभी में केवल एक ही मूलत: संकल्प थे और एक ही मार्ग व ध्येय भी। वह था कैसे भी हो, छिटपुट से लेकर बड़े अपराधों से जुड़े लोगों को एकजुट किया जाए और उन्हें राजनीति के पायदान तक पहुंचा दिया जाए, जो इसके पहले सामान्य तौर पर पुलिस थानों या जेल की सींखचों में आरक्षित थे। सपा ने उन लोगों को सत्ता के उस प्रकर्ष-उत्कृष्ट क्षेत्र तक पहुंचने के लिए पूरी ताकत जुटायी, जो अब तक शुचिता, त्याग, पाक-साफ संकल्प के लिए आरक्षित राष्ट्रभक्तों व राजनीतिज्ञों तक का हुआ करता था।
इसके पहले मुलायम सिंह यादव इटावा और आसपास के जिलों में संगठित अपराध से जुड़े लोगों के बीच एक बड़ा नाम के तौर पर पहचाने जाते थे। ऐसे समानधर्मी इन लोगों को एकजुट करने के लिए मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी खड़ी की। अपराध में सक्रिय स्याह-चेहरा वाले लोगों को जन-कल्याण और उत्कृष्ट राजनीति के क्षेत्र में धंसाने-कब्जाने वाले मुलायम के इस अभियान को उनके भाई शिवपाल सिंह यादव ने जी-जान से मेहनत की। शिवपाल ने अपराध से जुड़े लोगों को समाजवादी पार्टी के झंडे के तले एकजुट किया और अपराधियों के लिए एक पुख्ता शरण-स्थली के तौर पर समाजवादी पार्टी का डेरा बनाया। शिवपाल ने इसके लिए येन-केन-प्रकारेण भारी धन की आपूर्ति के भिन्न-विभिन्न रास्ते खोले और सपा को समृद्ध के लिए जी-तोड़ मेहनत की। मुलायम सिंह यादव जब यह बयान देते हैं कि सपा को खड़ा करने के लिए शिवपाल ने जी-तोड़ मेहनत की है, तो वे झूठ नहीं बोलते हैं, बल्कि सौ फीसदी सच ही बोलते हैं।
सच तो यही है कि शिवपाल ने बलिया से लेकर ललितपुर, जालौन से लेकर बहराइच, सहानपुर से लेकर बिजनौर और बरेली से अलीगढ़ तक यूपी में बेहिसाब मेहनत की। जिन बाहुबलियों और अपराधियों को जुटाने के लिए उनका योगदान अप्रतिम है। चाहे वह डीपी यादव को पार्टी में शामिल करने की बात हो, या फिर किसी अन्य अपराधी को पार्टी में मिल करने का अभियान हो। अमरमणि त्रिपाठी जैसे जघन्य अपराधी के साथ शिवपाल हमेशा कदमताल करते रहे। आखिरकार उसके बेटे अमनमणि को भी टिकट दे दिया, जबकि उस पर अपनी पत्नी की हत्या का मामला चल रहा है।
मुख्तार अंसारी वाले कौमी एकता दल को सपा में शामिल करने के प्रयास शिवपाल के इसी अभियान के अंग रहे हैं। उन्होंने सपा में अंतर्कलह को तो मंजूर कर लिया, लेकिन कौमी एकता दल को खारिज करने की ख्वाहिश नहीं दबा सके। चाहे वह राममूर्ति वर्मा का मामला हो, या फिर पंडित सिंह का। भले ही कुशीनगर में अपने मंत्री को अफसरों को गालियां देने वाले को बचाने के लिए मामला दबाने की कोशिश हो या फिर मासूम बच्चियों के साथ निहायत दर्दनाक-नृशंस बलात्कारों में फंसे अपने कार्यकर्ताओं को बचाने की कोशिश हो, शिवपाल सिंह यादव हमेशा कृत-संकल्पित रहे हैं। (क्रमश:)
समाजवादी पार्टी के अन्तर्कलह को समझने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:- सपा का बण्टाढार