: रामगोपाल यादव के कथित पत्र के बाद सपा में व्यभिचार का भी सार्वजनिक खुलासा हो गया : यादव के पत्र के सार्वजनिक होने के बाद ही रामगोपाल को पार्टी से दुत्कार कर निकाला गया : जानकार बताते हैं कि चरित्रहीनता-हीनता को समाजवाद तक गहरे तक पहुंचा दिया था सपा के कतिपय शीर्ष नेताओं ने : स्टेट गेस्ट हाउस में उस दिन खुली थी हकीकत की लंगोट :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यह करीब दस साल पहले की बात है। स्टेट गेस्ट हाउस काण्ड को पूरे एक दशक पूरे हो चुके थे। तब तक बेहद शालीन, शांत और संयत हुआ करता था राज्य अतिथि गृह और उसका माहौल। उसके पहले ठीक केवल एक सम्पादक और उसके एक रिपोर्टर को प्रदेश के एक मंत्री ने पहले दारू पिलायी थी, और उसके साथ सारा-कुल कर्म-कुकर्म करके उनकी फोटोज खिंचवा कर उस अखबार और उसके आनुषांगिक संस्थानों के दफ्तर में बंटवा दिया था।
उन पत्रकारों की यह हालत इसलिए की हुई थी, क्योंकि वह लोग लगातार उस मंत्री से डेढ़ लाख रूपयों की मांग कर रहे थे। यह रकम गेस्ट हाउस में उस सम्पादक के अवैध और लम्बे प्रवास के किराये और वहां हुई ऐयाशियों के भुगतान के तौर पर थीं। यह सम्पादक और उसका मुंहलगा चेला चाहता था कि यह रकम वह मंत्री खुद अदा करे। लेकिन उस मंत्री की हैसियत ही नहीं थी कि वह इतना पैसा जमा कर सके। वह कांग्रेस का जमाना था, लूट जरा कम ही हुआ करती थी। राजनीति लोग केवल वही लोग करते थे जो खुद खानदानी पैसा रखते थे। नतीजा यह हुआ कि उस मंत्री के खिलाफ उस अखबार ने उल्टा-पुल्टा छापना शुरू कर दिया। मंत्री की किरकिरी होने लगी। आजिज होकर उस मंत्री ने उन दोनों पत्रकारों को बुलाया और शराब से धुत्त कराके उनकी सारी शेखी नंगा करके कैमरे में कैद करा दिया।
उसके बाद गेस्ट हाउस कांड हुआ, जिसमें खुलेआम नंगी गालियां बकी गयीं। मायावती और उनके साथ चंद महिलाओं के साथ कुल गति-दुगर्ति की गयी। कपड़े फाड़े। जो भी हो सकता था, सपाई गुण्डों ने खुले आम कर दिया। पूरी गुंडई के साथ। प्रशासन मुलायम सिंह यादव के साथ था और पुलिस और प्रशासन के सारे अफसरों ने इस पूरे दौरान उस वक्त अपनी रवानगी किसी अन्य जगहों पर दर्ज करा ली थी। और फिर जमकर धज्जियां उड़ायी गयी थीं प्रशासन, कानून-व्यवस्था और पुलिस की। आजकल दिल्ली में एक बडे ओहदे पर जमे एक अफसर उस वक्त गेस्ट हाउस में ही थे। आज भी वे करीब बातचीत में यह शेखी मारा करते थे कि हमने उस औरत को एक थप्पड़ मार दिया था। कुछ भी हो, उसके बाद से गेस्ट हाउस में अराजकता का बोलबाला सरेआम और नियमित हो गया। बाद में एक पत्रकार को गेस्ट हाउस के भीतर राज्य सम्पत्ति के कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने जम कर पीटा था, जब वह शराब के नशे में कर्मचारियों-अधिकारियों को मां-बहन की गालियां देते हुए शैलेश कृष्णा को बुलाकर सभी को बर्खास्त करने की धमकी दे रहा था।
लेकिन सन-06 में इसी गेस्ट हाउस में एक और हादसा हो गया। हालांकि यह हादसा किसी बंद कमरे में ही हुआ। इसकी भनक आज भी वहां मौजूद चंद लोगों को ही है, जिनमें कई पत्रकार और सपा के कुछ नेता भी मौजूद थे।
हुआ यह कि एक राष्ट्रीय दैनिक समाचार के एक सम्पादक के सम्मान में इस कमरे में शराब की बिसात बिछ दी गयी थी। इसमें शराब, नान-वेज समेत पूरी भोजन-व्यवस्था शामिल थी। यह सम्पादक पूर्वांचल से थे, और उस दौर में दिल्ली में ही रहते थे, बाद में वे लखनऊ में तबादले पर आ गये। कई दौर शुरू हो चुके थे। लोग सुरूर पर थे। अचानक बातचीत समाजवादी पार्टी के चरित्र पर शुरू हो गयी। सपा के नेताओं ने अपने नेताओं के चरित्र पर बचाव करना शुरू किया। इसी बीच एक व्यवसायी ने टिप्पणी कर दी। बोला:- सपा के कई शीर्ष नेता तो लंगोट के बहुत ढीले बताये जाते हैं।
इस पर उस सम्पादक ने तमक कर सवाल उछालते हुए बातचीत को विस्तार दिया:- लंगोट के ढीले। अरे यह लोग लंगोट पहनते ही नहीं
बस, इसके बाद ही इस पार्टी का समापन कार्यक्रम सम्पादित हो गया।
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