पुरूष का चरित्र ही स्‍वार्थी है। क्‍या सीता, क्‍या सोनिया

दोलत्ती

: बिहार के लोग पश्चिम के घर अपनी बेटी ब्‍याहने में हिचकते हैं : उन्‍हें न बेटियों का सम्मान करने का सलीका है, न संवेदना, न इंसानियत, न तमीज, और न संस्कार :
कुमार सौवीर
लखनऊ : छपरा में प्रसिद्ध और वरिष्ठतम वकील हैं श्री बीरेंद्र नारायण सिंह। खानदानी शख्सियत है, और बड़े जमींदार भी माने जाते हैं। वयोवृद्ध है, और फिलहाल शारीरिक रूप से कमजोर रहने के चलते ज्यादा चलना-फिरना मुमकिन नहीं होता। लेकिन हनक जस की तस बरकरार है। व्यक्तित्व में सरलता तो है, लेकिन हठ भी काफी है। थोड़ा जातीय दंभ भी। लेकिन जो भी कहते हैं, साफ और बेलौस।
एक बातचीत के दौरान बोले कि, “हम बिहार के लोग अपनी बेटियों का विवाह यूपी समेत पश्चिम में नहीं करना पसंद नहीं करते हैं। ”
जाहिर है कि मेरे जहन में सवालों के बादल उमड़ने लगे। पूछा, “क्यों ?”
“कयोंकि उन्हें बेटियों का सम्मान करने का न तो सलीका है, न संवेदना है, न इंसानियत है, न तमीज, और न ही संस्कार। वे हमारी बेटियों के साथ अपमानजनक व्यवहार ही करते हैं। हमेशा। और अपने ऐसे व्‍यवहार का सार्वजनिक प्रदर्शन कर अपनी निर्लज्जता और अपनी कमीनगी दिखाने में तनिक भी संकोच महसूस नहीं करते।”
मैने जिज्ञासा दिखाई, ” यह हालत कब से है ?”
“प्राचीनकाल से ही। सतयुग और त्रेता में भी तो यही होता रहा था। आज भी वह नृशंसता का भाव उनमें मौजूद है। अपनी कमजोरी, लालच, पराजय और घटियापन वे लोग हमारी बेटियों के साथ अपमानजनक व्यवहार करके स्थापित करते हैं।”
सवाल उछाला कि “सतयुग और त्रेतायुग में भी ?”
“सीता के साथ क्या व्यवहार किया गया था? सीता तो मिथिला की बेटी थी ? अरे तुम अपनी महानता स्थापित करना चाहते हो तो करते रहो। किसने रोका है तुम्हें ? मगर निरीह, अपने मायके से दूर पर-आश्रित विवाहिता महिला के साथ ऐसा निर्मम व्यवहार क्यों कर रहे हो? और हैरत की बात है कि राम तो दूर, उस पूरे खानदान तो दूर, पूरे अयोध्या राज्य में एक भी ऐसा व्यक्तिनुमा प्राणी ऐसा नहीं था जो सीता के साथ हुए इस मर्मान्तक व्यवहार पर एक बार भी सवाल खड़ा करने का साहस दिखा पाता। आज भी वही हालत बरकरार है।”
सोचता हूं कि बात तो सच ही कही थी श्री बीरेंद्र नारायण सिंह जी ने। अपनी लालच, अहंकार, दहशतगर्दी और अपनी सत्ता को बचाये रखने के लिए मर्दों ने न जाने कितनी सोनिया गांधी के अलावा कितनी लाखों-करोङो महिलाओं का जीवन तबाह करने में तनिक भी संकोच नहीं किया। ऐसे लोग कभी ऐसी महिलाओं की सम्‍पत्ति हड़प लेते हैं, तो कभी उनकी इज्‍जत। कभी उनका भविष्‍य तबाह कर देते हैं, तो कभी उनका मनोबल। कभी उनके साथ बेहूदगी भरा व्‍यवहार करते हैं, तो कभी उसे अनर्गल आरोप छिड़क कर उसे निर्वस्‍त्र कर देते हैं।
अपने झूठे सम्मान को स्थापित करने के लिए मर्द कितना गिर सकता है, अकल्पनीय है।

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