अपनी सरकार की थाली छेद दी सीतापुर एमएलए ने

दोलत्ती

: मतलब नहीं निकला तो कमल को रौंद डाला, विधायक को नोटिस : जाति तेली का, धंधा बीसी-कमेटी का, सरकार को गालियां बेहिसाब :
दोलत्‍ती संवाददाता
लखनऊ : क्‍या धंधा-पानी और क्‍या राजनीति, घाट-घाट का पानी पी चुके हैं सीतापुर सदर के भाजपा विधायक राकेश राठौड़। लेकिन आजकल उनके दिमाग में “कमल विरोधी-कोरोना” चढ़ गया है। नतीजा यह कि वे हर ऐरे-गैरे नत्‍थू-खैरे को फोन पर अपनी ही सरकार पर गरियाना शुरू कर देते हैं। हालत यह है कि सीतापुर के लोगों के लिए राकेश राठौड़ की यह हालत दिलचस्‍प और हंसी-मजाक का मुद्दा बनती जा रही है, जबकि भाजपाई लोग अब उनको कटहा पुकारने लगे हैं, जिसके संक्रमण का कोई इलाज नहीं। वैसे खबर है कि प्रदेश भाजपा ने राकेश राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी कर दी है। बताते हैं कि यह नोटिस वाली दवाई लेने के बाद से ही राकेश राठौड़ जी का मुंह एकदम से ही बंद हो गया है और वे अपने सारे फोन-शोन को बंद करने खुद को ही कोरंटाइन में बंद कर लापता हो गये हैं।
“कमल विरोधी-कोरोना” यूं ही नहीं चढ गया है विधायक जी के भेजे में। दरअसल, तेली होने के चलते उन्‍हें खूब पता है कि किस चीज का तेल कैसे निकाला जाता है। लेकिन उनका यह धंधा कभी भी बिजनेस के तौर पर नहीं फल पाया। मगर हर चीज का तेल निकालने की प्रवृत्ति और उसका शौक उनका बना ही रहा। विधायक जी तीन भाई हैं, जिनमें से बाकी दो भाई अपनी दूकान चलाते हैं। सीतापुर के लोग बताते हैं कि विधायक जी ने बीसी-कमेटी चलाने का धंधा शुरू कर दिया और उसमें भी फर्स्‍ट-पार्टी बन कर मालामाल हो गये।
सीतापुर के कई लोगों ने दोलत्‍ती संवाददाता को बताया कि राकेश राठौड़ की टेंट में रकम ज्‍यादा कुलबुलाने लगी तो उन्‍होंने राजनीति के माध्‍यम से तेल निकालने की जुगत भिड़ा ली। इसके लिए वे पहले समाजवादी सायकिल-कोल्‍हू ले आये, लेकिन वहां की तकनीकी समझ में नहीं आयी तो वह बहुजन समाज पार्टी के हाथी-कोल्‍हू को चलाने लगे। मगर इसी बीच उन्‍हें अहसास हुआ कि कमल की फसल काफी फलने वाली है, इसलिए उन्‍होंने आनन-फानन भाजपा का पल्‍लू पकड़ लिया और सीतापुर सदर से विधायक बन गये। कहने की जरूरत नहीं कि उनका कोल्‍हू अच्‍छा-खासा चल पड़ा।
मगर बताते हैं कि राकेश राठौड़ को बड़े कोल्‍हू की जरूरत थी, जहां ज्‍यादा से ज्‍यादा तेल निकल पाये। इसीलिए उन्‍होंने भाजपा में जातीय-कोल्‍हू वाली जुगाड़-टेक्निक पर काम शुरू कर दिया। उनको लगा था कि वह अपनी जातीय कोल्‍हू के चलते भाजपा को अपने हिसाब से पेर सकेंगे, लेकिन उनके सपने पहले ही दांव में धरचुक्‍क गये और लेकिन उनका यह दांव फेल हो गया। इतना ही नहीं, उनकी ऐसी कोशिशों को भाजपा में पहले से ही सक्रिय जातीय दिग्‍गजों के साथ ही साथ पार्टी नेतृत्‍व ने पहले तो खारिज कर दिया। नतीजा यह कि अपनी मुंह की खा चुके विधायक राकेश राठौड़ अब भाजपा को पानी पी-पी कर गालियां बकने लगे हैं। उनका निशाना अब कमल के साथ ही साथ प्रधानमंत्री, केंद्र सरकार, योगी आदित्‍यनाथ और प्रदेश सरकार पर ही लगने लगा है।
बताते हैं कि करीब दो-तीन महीनों में विधायक जी बाकायदा सन्निपात में आकर अंट-शंट बोलना शुरू कर दिये हैं। उनका कहना है कि भाजपा अब आम आदमी के लिए नहीं बन पायी है। पागलों की टीम बनती जा रही है भाजपा और उसके नेता। नेताओं के दिमागी दिवालियापन की हालत यह है कि वे कोरोना का इलाज थाली पीट कर करके अपने पागलपन का प्रदर्शन कर रहे हैं और पूरे देश-दुनिया में अपनी छीछालेदर करा रहे हैं। इतना ही नहीं, कई फोन-रिकार्डिंग में तो राकेश राठौड़ ने भाजपा और उसके नेताओं को गालियां तक बक डाली हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने भाजपा के अपने सीतापुर के विधायक राकेश राठौड़ को नोटिस दिया है। इसमें कहा गया है कि विधायक एक हफ्ते में अपना जवाब स्पष्ट करें। दोलत्‍ती संवाददाता ने इस संबंध में राठौड़ की प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी क्यों उनके दोनों फोन बंद हैं।

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