प्रशासन न चेता, तो तबाह हो जाएगा द्वापर का लाक्षागृह

बिटिया खबर
: कसौंधन लाक्षागृह में ही महाराज युधिष्ठिर का तैयार हुआ था राज भवन : हण्डिया लाक्षागृह पर्यटन स्थल विकास समिति ने की हस्‍तक्ष्‍ाेप की मांग : बांध बनाकर उसे गंगा में विलुप्त होने से बचाया जा सकता : 

दोलत्‍ती संवाददाता

इलाहाबाद : द्वापर की संस्कृति व पौराणिक ऐतिहासिक घटनाओं का महत्वपूर्ण प्रमाण स्थल लाक्षागृह शासन व प्रशासन की लापरवाही के चलते विश्व संस्कृति एक दिन लुप्त हो जायेगा। इसकी सुरक्षा के लिए प्रयाग के हण्डिया लाक्षागृह पर्यटन स्थल विकास समिति के संस्थापक ओंकारनाथ त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है।
उन्होंने बताया कि महाभारत कालीन ऐतिहासिक एवं पौराणिक स्थल युधिष्ठिर के राज भवन के अवशेष किला कोटि की दुर्दशा एवं उपेक्षा की शिकार हो चुकी है। कसौंधन लाक्षागृह में ही महाराज युधिष्ठिर का राज भवन निर्मित किया गया था। लेकिन उनके विरोधी दुर्योधन कुन्ती माता सहित पांचों भाईयों को उसी में जलाकर मारडालने की योजना बनाई थी। किन्तु इस बात की जानकारी होते ही भीम स्वयं उसमें आग लगाकर अपनी माता कुन्ती व चारों भाइयों को लेकर सुरंग के रास्ते बच निकले और गंगा पार करके दक्षिण की ओर चले गए। वह स्थान वर्तमान में किला कोटि के नाम से जर्जर अवस्था में असहाय होकर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन उस पर किसी मुख्यमंत्री एवं राजनेता की नहीं पड़ रही है।
उन्होंने बताया कि हण्डिया तहसील के रेवेन्यू रिकार्ड में अंकित किला की सुरक्षा खतरे में होने व मां गंगा की बाढ़ से धीरे धीरे क्षतिग्रस्त होने से उसका लगभग आधा हिस्सा गंगा में समा चुका है। विगत सात वर्षोे में निरन्तर प्रयास करने व ग्राम प्रधान से लेकर मुख्यमंत्री तक इसके विकास के लिए गुहार लगाई जा चुकी है। इतना ही नहीं उमा भारतीय तक को सीधा सम्पर्क करके के लिखित मांग पत्र भी दिया गया है। लेकिन आजतक किसी ने इसे बचाने के लिए तनिक भी प्रयास नहीं किया। उन्होंने बताया कि समय रहते उत्तर प्रदेश के राजनेता व मुख्यमंत्री नहीं चेते तो द्वापर युगीन एक प्रमाण विलुप्त हो जायेगा। जिसके सुरक्षति रहने से सनातन धर्म का एक प्रमाण हमारे हिन्दू समाज के लिए सुरक्षित करने के लिए भविष्य में लाभकारी होगा। किले की सुरक्षा के लिए एक बांध बनाकर उसे गंगा में विलुप्त होने से बचाया जा सकता है।

 

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