बिन बकरा के बकरीद: खलीलाबाद के कई गांवों में सन्‍नाटा

सैड सांग
: करीब 10 बरस से चल रहा है मेंहदावल के कुछ गांवों में बकरा पकड़ अभियान : लोध बहुल गांवों ने सख्‍त सामाजिक रोक लगा दी है कि बकरीद मनाओ, मगर कुर्बानी नहीं : आसपास के कई गांवों में सरेआम होने वाली गोकशी से गुस्‍सा भड़का :

दोलत्‍ती संवाददाता
खलीलाबाद : दुनिया भर के मुसलमानों के लिए बकरीद भले ही खुशियों का सैलाब लाती हो, मगर यूपी के खलीलाबाद यानी संत कबीर नगर के एक गांव में बकरीद का मतलब केवल आंसू ही होते हैं। वजह है कि इस गांव में कुर्बानी हो ही नहीं सकती। ऐन बकरीद के कुछ दिन पहले ही पुलिसवाले पूरे गांव की छानबीन करते है, और जिस भी घर में बकरी की में में की आवाज मिल जाती है , पुलिसवाले वहां बेधड़क घर में घुस जाते हैं। तलाशी होती है, और बकरा मिलते ही पुलिसवाले उसे छीन कर थाने की हवालात में बंद कर देते हैं।
जी हां, यह मामला है खलीलाबाद के मेंहदावल तहसील के मौजा सिंहपुरवा का। इस मौजा का नाम है मुसहरा। यहां के नईम ने जिला प्रशासन और अल्‍पसंख्‍यक विभाग के अफसरानों से इस बाबत शिकायत की है। नईम का कहना है कि गांव के दबंग लोगों के चलते वे अपने बकरीद जैसे अवसरों को मना पाने में असमर्थ हो जाते हैं। जिला अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण अधिकारी ने इस बारे में एक पत्र जिला प्रशासन को भेजा है कि वे इस मामले में हस्‍तक्षेप करें। लेकिन अब तक कोई भी कार्रवाई जिला प्रशासन द्वारा नहीं की गयी है। बताते हैं कि आसपास के कुछ गांवों में यही हालत है।
हालांकि यह हालत पचासों बरस से जारी है। कारण यह है कि आसपास के गांवों में लोध जाति के लोगों की भारी तादात मौजूद है। इसी चलते वे पूरी दबंगई पर आमादा रहते हैं। बावजूद इसके कि यहां के गांवों में होने वाले साप्‍ताहिक मेलों में मांस की कई दूकानें लगती हैं और अधिकांश लोध परिवार भी मांसाहारी हैं। लेकिन उन्‍हें कुर्बानी पर ऐतराज है। बकरीद के कुछ दिन पहले से ही यहां के हर घर में पुलिस पहुंच कर तलाशी करती है, और जिस भी मुस्लिम परिवार में बकरा मिल जाता है, उसे बांध कर थाने में जमा कर दिया जाता है। ताकि कुर्बानी न हो सके। उधर दोलत्‍ती संवाददाता से बातचीत के दौरान खलीलाबाद के कई मुसलमानों ने शिकायत की कि जब से योगी सरकार आयी है, मुसलमानों का जीना हराम हो गया है।

कबीर की पुण्‍यभूमि में मचे इस बवाल से जुड़ी खबर को देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
बकरीद में खलीलाबाद के मुस्लिम गांवों में सन्‍नाटा

हालांकि खलीलाबाद के एक निवासी के अनुसार बकरीद पर गांववालों का यह ऐतराज इस जिले के कई गांवों में सरेआम होने वाली गो-कशी के विरोध में हैं। यहां के कई गांवों में मुसलमान आबादी 90 फीसदी तक है। बाकी दलित जाति के लोग हैं, जो यहां कटने वाली गाय को बचाने में असमर्थ हैं। बहरहाल, लखनऊ हाईकोर्ट के वकील और खलीलाबाद के रहने वाले मोहम्‍मद असलम इस मामले में योगी सरकार की साजिश नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि हमेशा से ही यही हालत रही है इस इलाके में। चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो, समाजवादी पार्टी की अथवा बसपा या फिर अब भाजपा की, इस का समाधान किसी ने भी करने की कोशिश नहीं की। हां, उनकी शिकायत जरूर है कि इस मसले का समाधान करने की कोशिश किसी भी सरकार ने नहीं की।
जहां कबीर ने अपने प्राण त्‍यागे हैं, वहां मुर्दनी फैली है। हर साल यही होता है। और यह कब तक चलता रहेगा, खुदा की कसम, किसी को भी इसकी कोई जानकारी नहीं। दरअसल, किसी को कोई जरूरत भी नहीं है कि वह इन गांववालों के फटे में अपना पांव घुसेड़ ले। कहने की जरूरत नहीं कि यह हालत भविष्‍य में इस पूरे क्षेत्र में साम्‍प्रदायिक तनाव का कारण बन सकती है।

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