: जिम्मेदार हैं, नेता, मंत्री-जनप्रतिनिधि, ठेकेदार और इंजीनियर : करीब 30 फीसदी कमीशन पर ही सारा कामधाम चल रहा : भविष्य में इतिहास जब भी लिखा जाएगा, तो विकास के साथ ही पापड़ का अभिन्न तौर पर जिक्र जरूर किया जाएगा :
दोलत्ती संवाददाता
बस्ती : पूर्वांचल का जिला है बस्ती। आज सुबह यहां निर्माणाधीन हाईवे भरभरा कर ढह गया। इसमें हुए जनधन के नुकसान का तो बाद में पता चलेगा, बाद में ही मालूम हो पायेगा कि इस के ढहने की फौरी वजह क्या है। लेकिन इस हादसे ने इतना जरूर साफ कर दिया है कि विकास के लिए अपरिहार्य अंग यानी निर्माण का काम अब केवल कमीशनखोरी की बलिवेदी पर चढ़ चुका है। वह तो गनीमत रही कि अभी दो दिन पहले ही कांवडि़यों की सुविधा के लिए सरकार ने इस सड़क को तीन दिन के लिए बंद कर दिया था। वरना यहां एक बड़ा हादसा दर्ज हो सकता था।
तो तय हो गया है कि भविष्य में इतिहास जब भी लिखा जाएगा, तो विकास के साथ ही पापड़ का अभिन्न तौर पर जिक्र जरूर किया जाएगा। वजह है कि यहां विकास और पापड़ एक-दूसरे का पर्याय बन चुके हैं। जैसे चोली के साथ दामन, कुर्ते के साथ पायजामा और भगवा वस्त्रों में राजनीति। वगैरह वगैरह। पूर्वांचल में बस्ती जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग में आज जिस तरह यहां बन रहे एक फ्लाईओवर को पापड़ की तरह लोगों ने ढहते देखा है, उससे तो पूरा प्रदेश दहल गया है। आज सुबह करीब साढ़े सात बजे जब अपना कामधाम पर निकलने की तैयारी कर रहे थे, अचानक ही यहां का फ्लईओवर एक धमाके के साथ ढह गया। यह हालत तब है जब इसके तीन दिन बाद ही यूपी के सीएम योगी जी यहां के साप्ती घाट पर एक कार्यक्रम में शिरकत करने वाले हैं।
कहने वाले तो वही कह रहे हैं, जो उनके मुंह या दिमाग में आ जाता है। लेकिन खलीलाबाद में ढह गये र्फ्लाओवर लेकर सच बात तो यही है कि यह कारस्तानी विकास की नहीं रही है। बल्कि यह करतूत विकास के सौतेले भाई ने की है। इस मामले से जुड़े वीडियो को बांचने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
कारस्तानी विकास के सौतेले भाई की
यूपी में विकास का जन्म तो नहीं हो पाया, लेकिन यहां के कामकाज को प्रभावित करने के लिए यहां विकास का एक सौतेला भाई जरूर पैदा हो गया है। और इसके जन्म के लिए जिम्मेदार हैं, नेता, मंत्री-जनप्रतिनिधि, ठेकेदार और इंजीनियर। बताते हैं कि यहां करीब 30 फीसदी कमीशन पर ही सारा कामधाम चल रहा है। ऐसे में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ती ही रहें, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए।
अभी हाल ही वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन के ठीक बाहर जिस तरह एक फ्लाईओवर हरहराते हुए ढह गया था, वह कोई अनोखा किस्सा नहीं माना जा सकता है, जिसमें कई निर्दोष नागरिको की मौत भी हो गयी थी। आगरा एक्सप्रेस की नयी सड़क के निर्माण में हुई लूट का खामियाजा हाल ही वहां ढह चुके सपनों की तरह दिख गया है, जहां अखिलेश यादव ने आनन-फानन इसका निर्माण का अभियान छेड़ा था। और अपनी जिद और अपनी जल्दबाजी को अपने पक्ष में प्रचारित करने के लिए उसे वायुसेना के मिग उड़ाने की हवाई कोशिशें की थीं। इसके पहले भी लखनऊ के पॉलिटेक्निक चौराहे के फ्लाईओवर का एक हिस्सा ढह गया था, वह राजधानी तक पहुंच चुके भ्रष्टाचार का सजीव प्रमाण था।