: अखिलेश सरकार ने सारे पुलिसवालो को सरेआम मामू बना डाला : मन तो करता है कि सीधे इस सरकार के मुंह में जलता चइला घुसेड़ दूं : ऐसी छुट्टियां होने से बेहतर है कि आइंदा छुट्टी का नाम ही न सुना जाए : दावा कर रहे हैं जानकार पुलिसवाले कि एक भी पुलिसवाला एक भी छुट्टी कभी भी नहीं ले पायेगा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : कम से कम यूपी के शहरी क्षेत्र में पुलिसवालों को मामू कहा जाता है। खासतौर पर उन पुलिसवालों को मामू कहा जाता है जो सड़क या चौराहे की ड्यूटी पर होते हैं। लौंडे-लफाड़ी लोग अपनी बाइक तेज रफ्तार में फर्राटा भरते हैं, और चौराहे की ड्यूटी पर तैनात पुलिसवालों को चिढ़ाते हुए उन्हें मामू की चुटकी लेकर भाग निकल जाते हैं। अपनी ड्यूटी पर हलकान पुलिसवाले जब इन लौंड़े-लफाडि़यों की इन हरकतों को देखते हैं तो खिसियाकर सिर्फ आदर-फादर की गालियां देकर निपटा देते हैं। लेकिन जब दबोच लेते हैं तो नोट और प्राण एकसाथ खींच लेते हैं। इत्ता कि कई दिनों तक आदमी दूध-हल्दी पर निर्भर हो जाए।
यह तो कहानी है लौंडे-लफाडि़यों की। लेकिन जब इस तरह का मजाक अखिलेश यादव जैसा कोई मुख्यमंत्री करे तो किसी भी पुलिसवाले का अंग-रोम कूप में भक्क से आग लग सकती है। अखिलेश यादव ने सभी गैर-राजपत्रित पुलिसवालों को दस दिन के कार्य-दिवस के बाद एक दिन का अवकाश देने का जो झुनझुना थमाया है, उसको लेकर पुलिसवालों में भारी आक्रोश है। केवल पुलिसवाले ही क्यों, उनके घर के बाकी लोग और खासकर उनकी पत्नी तो साक्षात चूल्हा बन चुकी हैं।
मेरी बिटिया डॉट कॉम ने पुलिसवालों को मुख्यमंत्री द्वारा दस दिन पर एक दिन का अवकाश देने की जो घोषणा की है, उसका लेकर पुलिसवालों के घर हंगामा खड़ा हो चुका है। एक दारोगा की पत्नी ने इस सवाल पर तमक कर जवाब दिया:- अरे अइसन घोसना करे वालन के मूं में त जलता चइला घुस़ेड़ दिया जाना चाहिए। अरे अवकाश नहीं दे सकते हैं तो कोई बात नहीं, लेकिन उसको लेकर मजाक बनाने की क्या जरूरत थी। अरे यह नवरात्र, दशहरा, बकराईद के दिन चल रहे हैं, होली का मौका तो है नहीं। अरे मजाक की भी कोई सीमा होती है, है कि नहीं।
आपको बता दें कि यूपी सरकार के मुखिया अखिलेश यादव और डीजीपी जावीद अहमद द्वारा सभी गैर-राजपत्रित पुलिसवालों को दस दिन के बाद एक दिन छुट्टी के लॉलीपॉप की वास्तविकता को लेकर सभी पुलिस कर्मचारियों में खासा आक्रोश है। वजह है इस छुट्टी को लागू करने में किया गया मजाक। इस आदेश के अनुसार 10 दिन में एक बार मिलने वाली छुट्टी नॉन गज्टेड पुलिस वालों को ही मिलेगी। थाने, चौकी और सिविल पुलिस के जवानों को ही इस छुट्टी का लाभ मिलेगा। छुट्टी के दौरान जिले से बाहर नहीं जा सकेंगे। इमरजेंसी में एसएसपी छुट्टी कैंसिल कर सकते हैं। एसओ और टीआई की छुट्टी एसएसपी करेंगे।
एक इंस्पेक्टर ने बताया कि काबिलेगौर ये है क़ि अर्नलीव और कैजुअल लीव की रवानगी के सम्बन्ध में यह केवल एक सबसे बड़ निराशाजनक फैसला ही नहीं है, बल्कि उसे धोखाबाजी के तौर पर पेश किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कि ईएल, सीएल में रवानगी 2000 बजे (रात्रि 0800 बजे) और वापसी प्रात: 0800 होगी। डीजीपी जल्द जारी करेंगे छुट्टी का नया शासनादेश। लेकिन असल सवाल तो यह है कि अगर यही शर्त उस आदेश में होगा, तो फिर उसका औचित्य क्या होगा।