: हत्या के सवा साल बाद जागेंद्र के खून ने किया मौत की असलियत का खुलासा : जघन्य अपराध जांच इकाई ने किया खुलासा, अखिलेश सरकार ने इस हत्याकाण्ड पर डाली थी राख : मृत्युपूर्व बयान में जागेन्द्र ने कहा था कि हत्या की साजिश बुनी थी मंत्री राममूर्ति वर्मा ने : पुलिस की विशेष जांच इकाई ने साफ कहा कि कोतवाल श्रीप्रकाश राय ने दर्ज किया था जागेंद्र पर फर्जी मुकदमा, फाइनल रिपोर्ट अदालत में दाखिल :
कुमार सौवीर
लखनऊ : शाहजहांपुर के जाबांज पत्रकार जागेंद्र सिंह को जिन्दा फूंकने के बहुचर्चित मामले में अब एक नया सनसनीखेज मोड़ आ गया है। खुलासा हुआ है कि जागेंद्र सिंह को पुलिस के कोतवाल श्रीप्रकाश राय ने मार डालने के लिए हरचंद साजिशें बुनी थीं। इसके लिए श्रीप्रकाश ने जागेंद्र पर फर्जी मुकदमा बनाया और उसके आधार पर ही जागेंद्र को दबोचने के लिए उसके घर भारी पुलिस की छापामारी कर डाली। लेकिन जब जागेंद्र ने अपनी गिरफ्तारी का विरोध किया तो कोतवाल श्रीप्रकाश राय ने छत से ही मिट्टी का तेल डाल कर जागेंद्र को जिन्दा ही फूंक डाला।
यह हादसा है पहली जून-15 का। उसके आठ दिन बाद लखनऊ के सिविल अस्पताल में बुरी तरह जले हुए जागेंद्र की मौत हो गयी। लेकिन मौत से पहले जागेंद्र ने साफ आरोप लगाया किया कि अखिलेश सरकार के धाकड़ मंत्री राममूर्ति वर्मा ने उसकी मौत का सौदा किया था। मौत की सुपारी दी गयी थी अपने चहेते कोतवाल श्रीप्रकाश राय को। श्रीप्रकाश ने जागेंद्र पर फर्जी मुकदमा दर्ज किया और फिर उसके आधार पर ही जागेंद्र के घर छापा मार कर उसे मौत की नींद सुला दिया।
पुलिस विभाग में एक नई जांच इकाई है जिसका नाम है जघन्य अपराध जांच इकाई। यानी हीनियस क्राइम यूनिट। इस यूनिट ने कोतवाल श्रीप्रकाश राय की सारी थ्योरी का खुलासा कर दिया है और मान लिया है कि कोतवाल ने जागेंद्र सिंह को फंसाने के लिए कुछ भी जो साजिशें बुनी थीं, उसके चलते ही जागेंद्र की मौत हुई। इसमें श्रीप्रकाश सीधे-सीधे तौर पर षयंत्रकारी था, जिसने अखिलेश सरकार के चहेते मंत्री राममूर्ति वर्मा की साजिश में यह सारी करतूतें बुनी थीं।
यूनिट के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर देवेंद्र सिंह की जांच के मुताबिक अमित भदौरिया नामक एक युवक ने 12 मई-15 को एक रिपोर्ट थाने पर दर्ज करायी थी कि जागेंद्र सिंह के साथ अनुराध व विनोद ने उसके अपहरण की साजिश रची थी। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें अमित ने आरोप लगाया था कि तमंचे के बल पर उसका अपहरण करने की साजिश हुई थी। लेकिन देवेंद्र सिंह ने अपनी जांच में यह पाया कि अमित की रिपोर्ट में दर्ज जिस घटना-स्थल का जिक्र किया गया है, उस वक्त यह तीनों ही लोग उपरोक्त घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे। यानी यह मामला ही पूरी तरह फर्जी थी, जाहिर है कि कोतवाल श्रीप्रकाश राय ने इस मामले में एक खास षडयंत्रकारी की भूमिका निभायी थी।
यह तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस मामले में अपने मृत्यु-पूर्व बयान में जागेंद्र सिंह ने स्पष्ट खुलासा किया था कि श्रीप्रकाश राय भले ही उस वक्त पुलिस का कोतवाल था, लेकिन उसने मंत्री राममूर्ति वर्मा के इशारे पर बाकायदा साजिश की।
आपको बता दें कि जागेंद्र सिंह पर उपरोक्त मुकदमा दर्ज कराने वाले अमित भदौरिया की उरई में एक संदिग्ध हालातों में मौत भी हो चुकी है। अमित पर पहले से ही यह आरोप लग चुका है कि वह मंत्री राममूर्ति वर्मा और कोतवाल श्रीप्रकाश राय के इशारे पर जागेंद्र सिंह के खिलाफ लगातार षडयंत्र करता रहा था।