भाजपा की नेता फ्री में बांट रही हैं बवासीर की दवा, जाओ ले लो

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: उत्‍साहित सम्‍पादक समेत अधिकांश पत्रकारों की बांछें खिलीं, नि:शुल्‍क चिकित्‍सा की सम्‍भावनाएं देख दिल बाग-बाग : सर्प-दंश समेत कई जानलेवा बीमारियों की दवा का दावा करती हैं पीलीभीत की भाजपा नेता : सम्‍पादक ने इस झोला-डाक्‍टर की खबर तो बढ़ा-चढ़ा कर छापी, बड़े डॉक्‍टरों की वर्कशाप को दो अंगुली भर :

कुमार सौवीर

लखनऊ : खुशखबरी, खुशखबरी, खुशखबरी। पूरा अखबार और उससे जुड़े लोग आजकल इसी खुशखबरी से आनंदित और आह्लादित हैं। पिछले कई बरसों से आर्थिक संकट से जूझ रहे इस समाचार पत्र के कर्मचारियों-पत्रकारों के लिए यह खुशखबर किसी दैवीय वरदान नुमा सु-समाचार से कम नहीं है। अब तो हालत यह है कि यहां के कई पत्रकार टोली बना कर पीलीभीत जाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इस खुशखबरी वाले डेलीगेशन में कौन-कौन पत्रकार-कर्मचारी शामिल होना चाहेंगे। वैसे कुछ लोगों के बारे में यह पुख्‍ता सूचना मिल गयी है कि यह लोग इस बारे में अपनी यात्रा चुपचाप ही रखना चाहते हैं, ताकि किसी को इस बारे में कानों-कान खबर न मिल सके। भई, जाहिर है कि इलाज भले ही फ्री में मिल रहा है, लेकिन उससे जुड़ी चर्चाएं और अफवाहें तो बेहिसाब ही होंगी।

आपको याद दिला दें कि इसी समाचार पत्र ने करीब डेढ़ बरस पहले एक चमत्‍कारिक समाचार प्रकाशित किया था। इस समाचार को उन कोशिशों को लेकर था, जिसमें किसी भी बेकार लिंग को हटा कर उसके स्‍थान पर एक नया लिंग लगाये जाने का दावा था। हालांकि तब यह प्रयास पीलीभीत के बजाय जौनपुर के शाहगंज में चल रहे थे, जिसमें एक स्‍थानीय डॉक्‍टर इस बारे में इतनी कोशिश में जुटा था कि उसकी प्रेक्टिस ही तबाह हो चुकी थी। बहरहाल, इस डॉक्‍टर से समर्थकों ने उस के इस प्रयास को सम्‍मान दिलाने और उसके शोध से पूरी दुनिया को लाभान्वित करने के लिए उस शोध-पत्र को नोबुल प्राइज कमेटी तक पहुंचाने का प्रयास भी किया था।

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ख़ास खबर: घुटने में होगा कृत्रिम लिंग का प्रत्यारोपण

जी हां, ताजा खबर यह है कि पीलीभीत की एक महिला ने दावा किया है कि उसके पास बवासीर की रामबाण दवाई है। इस दवा का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन उसका असर बेहिसाब और तत्‍काल मिलता है। और सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह दवा लोगों को फ्री में मिल रही है। हालांकि इस महिला का दावा है कि उसके पास केवल बवासीर ही नहीं, बल्कि सांप के काटे जैसे मामलों में भी कारगर दवाई है। मामला जितना भी गम्‍भीर होता है, इस महिला की दवा उतनी ही तेजी से असर करती है।

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पीत-पत्रकारिता वाली पीलीभीत

अब आपको बता दें कि इस महिला के अधिकृत प्रचार अखबार का नाम है दैनिक जन संदेश टाइम्‍स। रविवार 9 जुलाई-17 के अंक के सातवें पृष्‍ठ में इस बारे में पीलीभीत की डेटलाइन से यह खबर छपी है। खबर में दावा किया गया है कि पीलीभीत भाजपा की जिला मंत्री मीना सिंह के पास ऐसी दवाई है, जो बवासीर और सांप काटे जैसे मामलों में बेहद कारगर है।

इस संवाददाता को पता चल गया है कि मीना सिंह जरूरतमंद लोगों की आर्थिक मदद भी खूब करती हैं, इसलिए संवाददाता ने इस खबर को खूब तान कर लिखा है। कहने की जरूरत नहीं कि चूंकि यह खबर ऐसी है कि कोई भी उस पर उचक सकता था। खासकर पत्रकार लोग, जिनका ज्‍यादा समय कुर्सी पर बैठने का ही होता है। लिखने में जोश इतना था कि न तो तथ्‍य की ओर से नजर डाली गयी, और न ही वर्तनी-शब्‍दों की सावधानी बरती गयी।

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पत्रकार पत्रकारिता

संवाददाता को तो यह तक पता है कि चाहे वह मरीज सांप काटे का हो, या फिर बवासीर से तड़प रहा हो, उसके इलाज के लिए एक-समान फार्मूला ही इस्‍तेमाल किया जाएगा। अब यह फार्मूला क्‍या होगा, इसका खुलासा न तो उस रिपोर्टर ने किया है, और न ही उसे समझने की जरूरत इस अखबार की सम्‍पादकीय टीम ने समझी। अब चूंकि मामला ज्‍यादा संगीन था, इसलिए बिना वक्‍त गंवाये, इस जनहित कारी समाचार का आनन-फानन प्रकाशन कर दिया गया, ताकि जन-सामान्‍य को उसका लाभान्वित किया जा सके।

और तो और, इस खबर का स्रोत केवल उस महिला-नेता द्वारा किसी वाट्सऐप संदेश था, जबकि उसी ठीक वक्‍त बरेली में घुटने के फ्रैक्‍चर पर आयोजित एक राष्‍ट्रीय वर्कशाप की खबर को केवल नौ लाइनों में ही निपट लिया गया। जबकि इसमें केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार भी शामिल हुए थे।

इस रिपोर्टर ने मीना सिंह से यह पूछना उचित नहीं समझा कि मीना सिंह की शिक्षा का स्‍तर क्‍या है और क्‍या वे डॉक्‍टर हैं भी या नहीं। और अगर यह भी कि वे डॉक्‍टर नहीं हैं, तो उन्‍हें क्‍यों न झोलाछाप डॉक्‍टर की तरह देखा जाए। और पाठकों को ऐसे झोलाछाप डॉक्‍टरों की करतूत से जागरूक करते हुए मामला सीधे प्रशासन को कर दिया जाना चाहिए।

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