“पीसीएस” लोग दबंगों से कांपते, मगर कमजोरों की गर्दन मरोड़ते हैं

बिटिया खबर
: एक काबिल और निष्‍ठावान लेकिन विकलांग डॉक्‍टर को सरेआम पीट दिया बड़े मर्दों ने : बड़े मगरमच्छ-डॉक्‍टरों ने जीना हराम कर दिया जौनपुर का, लेकिन उनसे भिड़ने की हिम्मत किसी में नहीं : नवजात विश्व हिंदू सेवा संघ के गुंडे कौन हैं : खबर की हत्‍या-चार :

कुमार सौवीर
जौनपुर : एक निरीह और कर्मठ डॉक्टर को सरकारी अस्पताल में घुसकर पीट आए जौनपुर के बहादुर “पीसीएस मर्द”। और जो बाकी मर्द बचे हैं, वे इस हादसे पर अपनी जुबान सिले बैठे हैं। और सबसे बड़े पीसीएस तो पत्रकार साबित हुए, जो जानते-बूझते हुए भी, कलम को कलंकित करते रहे। नेताओं ने कोई आवाज नहीं उठायी, और पुलिस ने भी सरकारी ड्यूटी करते डॉक्‍टर की पिटाई करने वालों की गिरफ्तारी करने के बजाय उस निरीह डॉक्‍टर के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लिया। बुद्धिजीवियों में तो इतनी रीढ़ की मजबूती ही नहीं बची है, कि वे कुछ बोल सकें।
आइये, बात की जाए यहां के महिला अस्‍पताल में हुए उस हादसे पर, जहां एक डॉक्‍टर को चंद गुंडों ने सरेआम पीट दिया। वह भले ही निर्बल, विकलांग और शरीफ शख्स हो, पर मरीजों के प्रति उसकी ईमानदारी, उस डॉक्‍टर सच्चिदानंद उपाध्‍याय की निष्ठा और काबिलियत पर कभी कोई भी उंगली नहीं उठी। लेकिन उसके इसी गुण के चलते उसे सरकारी अस्पताल में एक अनजान मगर नवजात किस्‍म के विश्व हिंदू सेवा संघ के गुंडों ने सरेआम पीट दिया। यह हालत तब है जबकि जौनपुर के घोषित मगरमच्छ-नुमा डॉक्‍टर लगातार निर्विघ्‍न और स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। लेकिन उसकी ओर किसी में आवाज उठाने तक की हिम्मत नहीं हुई।
हम आपको दिखाते हैं कि जौनपुर में कौन-कौन और कैसे-कैसे मगरमच्छ मौजूद हैं, जिन्‍होंने जौनपुर को अपना चारागाह बना डाला है। इनमें कुछ कुख्‍यात सरकारी डॉक्‍टर भी हैं, और निजी नर्सिंग के मालिक भी। लेकिन पहले तो सुनिये कुख्‍यात सरकारी डॉक्‍टरों और उनकी करतूतें।
जिला अस्पताल में एक कुख्यात सर्जन है डॉ अनिल कुमार शर्मा। उन्होंने एक बार तो लाले यादव नामक एक व्यक्ति की अपेंडिक्स का ऑपरेशन अस्पताल के बाहर एक मेडिकल स्टोर के पीछे गंदे नाले के ऊपर रखी स्‍ट्रेचर पर ही कर डाला। नतीजा यह हुआ कि उस व्‍यक्ति की मौत हो गई। इतना ही नहीं, उपभोक्‍ता फोरम ने तो इसी मामले में उन पर तीन लाख रूपयों का दंड भी लगा दिया था। शिकायत हुई तो अनिल शर्मा को सोनभद्र और मिर्जापुर भेज दिया गया। लेकिन अनिल शर्मा की गर्भ-नाल मानो जौनपुर में ही गड़ी थी, इसलिए अनिल शर्मा जौनपुर छोड़कर नहीं गए। और सूत्र बताते हैं कि सरकार में मोटा जुगाड़ लगा कर करके वह वापस जिला अस्पताल की कुर्सी झटक ले गए।

इस समाचार की अगली कडि़यों को पढ़ने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- 
खबर की हत्‍या

डॉक्‍टर अनिल शर्मा की कुख्‍याति उनकी रंग-मिजाजी भी है। मौका-बे-मौका वे अपनी ऐसी हरकतों से बाज नहीं आते हैं डॉक्टर अनिल कुमार शर्मा। अभी कुछ ही महीना पहले उन्होंने सरकारी अस्‍पताल में आयी मरीज को ठीक से चेक करने की बात की और उसके लिए अपने पॉलिटेक्निक चौराहा स्थित निजी अस्पताल में ले गये। आरोपों के अनुसार उस महिला के साथ डॉ अनिल शर्मा ने अश्लील हरकतें कर दीं। मुकदमा अदालत में गया तो अदालत में दस हजार रूपया का अदा कर ही अपनी फंसी गर्दन छुड़ा पाये डॉ अनिल शर्मा। लेकिन हरकतें उनकी आज भी जस की तस चल रही बताई जाती हैं।
अब जरा आइये निजी अस्‍पतालों की ओर, जो पहले सरकारी अस्‍पताल को चर चुके हैं। एक बड़े डॉक्टर हैं, जो स्वयं को हार्ट स्पेशलिस्ट बताते हैं। कई जिलों में उनकी पोस्टिंग हो चुकी है जिसमें आजमगढ़, बलिया और सुल्तानपुर आदि जिले शामिल हैं। मगर इस डॉक्टर ने कभी भी अपनी सरकारी ड्यूटी वाली कुर्सी पर नहीं बैठना गवारा नहीं समझा।
सुल्तानपुर में तो अपनी पोस्टिंग के दौरान इस डॉक्टर ने एक जबरदस्त बीमारी बताई कि उन्हें शुगर की गंभीर बीमारी है और ब्लड प्रेशर बहुत हाई होता है। ऐसे में मरीजों को देख पाना उनके लिए मुमकिन नहीं है, इसलिए उन्हें छुट्टी दे दीजिए। इस बीमारी के नाम पर छुट्टी लेकर इस डॉक्टर ने जौनपुर में अपना नर्सिंग होम को विकसित करने में अपना दिन-रात एक कर दिया। नर्सिंग होम में खूब कमाई की लेकिन न सरकारी नौकरी छोड़ी और ना ही सरकारी अस्पताल में मरीज देखने की जहमत उठाई। आज अपने इसी बहाने के बल पर यह डॉक्‍टर अकूत संपत्ति का मालिक और एक विशाल नर्सिंग होम का स्वामी बना बैठा है। बताते हैं कि पूर्वांचल के कई बाहुबलियों के चरणों में यह डॉक्‍टर हमेशा शरणागत रहता है।
एक अन्‍य बड़े डॉक्टर हैं जो भी पहले सरकारी अस्पताल में सरकारी डॉक्टर थे। निजी प्रैक्टिस भी खूब कमाई की और जौनपुर में ही एक बड़ा नर्सिंग होम खड़ा कर दिया। सरकारी नौकरी भी छोड़ दी। जबकि वे रहने वाले हैं अंबेडकर नगर के, लेकिन उन्हें जौनपुर का चारागाह कितना पसंद आ गया कि वे यहीं बस गया। बीच में यहां के दो “बड़े खिलाड़ी” पत्रकारों ने उगाही करनी चाही। बताते हैं कि इस डॉक्‍टर के प्रतिद्वंद्वी अस्पताल के मालिक के दिमाग की उपज थी। इन पत्रकारों ने डॉक्टर को खूब रगड़ा घसीटा लेकिन बाद में लेन-देन कर मामला निपट गया।

( तो आइये, हम आपको दिखाते हैं कि खबर को किस तरह खेल का खेल बनाये हैं हमारे संपादक और पत्रकार। दोलत्‍ती डॉट कॉम इस मामले की गहरी छानबीन कर आपके सामने उन तथ्‍यों का साक्षात्‍कार कराना चाहता है, जो इन अखबारों ने छिपा दीं, या उन्‍हें कूड़ेदान में फेंक डाला। दोलत्‍ती का यह प्रयास श्रंखलाबद्ध है, आप चाहें तो अपने आसपास के इलाकों में पत्रकारों की ऐसी करतूतों का खुलासा कर कर सकते हैं। हमसे आप हमारे फोन 8840991189 अथवा 9415302520 पर बेहिचक सम्‍पर्क कर सकते हैं। आप चाहेंगे, तो हम आपका नाम गुप्‍त ही रखेंगे। सम्‍पादक: दोलत्‍ती डॉट कॉम )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *