: पत्रकारों को न्याय दिलाने वालों के पीछे पड़े साइबर क्रिमिनल : बरेली में उपजा के प्रांतीय उपाध्यक्ष संजीव गंभीर की बनी फर्जी फेसबुक आईडी :
दोलत्ती संवाददाता
बरेली : पत्रकारों के आंदोलन में अब साइबर अपराधियों की घुसपैठ शुरू हो गयी है। पत्रकारों को न्याय दिलाने के लिए जूझ रहे उपजा पदाधिकारी के बनाये गये एक फर्जी फेसबुक अकाउंट से इसका खुलासा हुआ है। स्थानीय पत्रकार संजीव गंभीर की ओरिजिनल फेसबुक आईडी से कुछ खास पत्र और वीडियोज उठाकर अपराधियों ने कई पोस्ट छापीं, और बाद में इस फर्जी आईडी पर नेगेटिव टिप्पणियां शुरू की।
आपको बता दें कि स्थानीय अमृत विचार नामक अखबार के प्रबंधन की करतूतों और कोरोना से पीडि़त पत्रकारों की हालत पर आवाज उठाने वाले पत्रकार संजीव गंभीर के ओरिजिनल फेसबुक अकाउंट पर लगातार नकारात्मक टिप्पणियों की लगाई लाइन ज्यादातर लोग दिल्ली के नौजवान लड़के हैं। गंभीर ने फेसबुक के जरिए ही अपने फेसबुक फ्रेंड्स को भी इस मामले में दे दी जानकारी कि उनकी फोटो लगाकर किसी साइबर क्रिमिनल ने फर्जी आईडी बनाई है और उस पर सुनियोजित तरीके से छवि धूमिल करने वाली टिप्पणियां की जा रही हैं।
संजीव गंभीर ने फेसबुक के जरिए यह भी साफ कर दिया है कि अगर इस फर्जी आईडी से कोई गैरकानूनी आपत्तिजनक और सुनियोजित तरीके से उन्हें फंसाने वाली अगर पोस्ट की जाती है तो उसके जिम्मेदार वह नहीं होंगे। गंभीर ने यूपी जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष श्री रतन दीक्षित और प्रांतीय पदाधिकारियों को पत्र लिखकर व्हाट्सएप के जरिए भी सूचित कर दिया है साथ ही स्थानीय इकाई के पत्रकार प्रतिनिधियों को भी अवगत करा दिया है। संजीव गंभीर ने अपने साथ हो रही इस आपराधिक षडयंत्र की तैयारियों की जानकारी स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ व्हाट्सएप पर कुछ शहर के जागरूक लोगों को भी दे दी है कि उनके नाम से गलत पोस्ट की जा सकती हैं जिससे सावधान रहें।
यहां बताते चलें कि संजीव गंभीर ने बीते दिनों बरेली से हाल ही में प्रकाशित हुए अमृत विचार हिंदी दैनिक अखबार में अचानक संक्रमित हुए करीब 15 मीडिया कर्मियों की बात प्रमुखता से उठाई थी और प्रशासन से मांग की थी कि इन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती ना करके रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज में ही भर्ती किया जाए ताकि इनकी उचित देखभाल और इलाज हो सके।
संजीव गंभीर ने इस आशय का पत्र भी बरेली के डीएम सीएमओ और अस्पताल व मीडिया संस्थान के मालिक डॉक्टर केशव अग्रवाल को अपने लेटर पैड पर लिख कर व्हाट्सएप के जरिए भेजा भी था। इस मीडिया संस्थान के संक्रमित रोगियों को जब 300 बिस्तर वाले सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान खाने को छोले भटूरे पूड़ियां मिली और वह भी सफाई कर्मचारियों के द्वारा पॉलिथीन की थैली में भिजवा कर जमीन पर रखी जा रही थी। पॉजिटिव मरीजों की देखभाल के नाम पर कोई भी नहीं आता था जिससे क्षुब्ध होकर संजीव गंभीर ने व्हाट्सएप पर कई बार पोस्ट करके लोगों को अवगत भी कराया था और अस्पताल कैंपस से इन रोगियों के द्वारा वायरल हो रहे वीडियो भी भेजे थे। संजीव गंभीर कि इस सक्रिय पैरवी को अस्पताल और अखबार संचालक ने यह समझा कि शायद गंभीर मीडिया संस्थान को बंद कराने की मुहिम चला रहे हैं जबकि ऐसा उनके पत्र में कहीं भी उल्लेख नहीं।
सभी सरकारी अस्पतालों के वे संक्रमित रोगी जो अमृत विचार अखबार से जुड़े थे अब संजीव गंभीर की पैरवी के बाद रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज शिफ्ट हो गए हैं और देखभाल इलाज से संतुष्ट भी हैं। उधर प्रशासन ने अमृत विचार अखबार के सेटेलाइट बस अड्डे के पास चलने वाले संक्रमित दफ्तर को हॉटस्पॉट घोषित करके कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार शिकंजा कस दिया है।
संजीव गंभीर के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है कि वह मीडिया विरोधी हैं और पत्रकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा करना चाहते हैं और उनकी मंशा शायद संस्थान बंद कराने की है वहीं दूसरी तरफ संजीव गंभीर लगातार अपनी पोस्टों और फेसबुक के जरिए लगातार यह बात साफ करते जा रहे हैं कि उनका उद्देश्य केवल बाकी बचे हुए स्वस्थ मीडिया कर्मी संक्रमित ना हो महज इतनी इच्छा है और जो संक्रमित हो चुके हैं उनकी उचित देखभाल और इलाज हो सके।
ऐसी संभावना है कि अखबार या अस्पताल प्रबंधन से जुड़े लोग या उनके इशारे पर अब साइबर क्रिमिनल कोई साइबर हमला संजीव गंभीर के नाम से करना चाहते हैं जिससे उन्हें किसी कानूनी मामले में फंसाया जा सके इस बात की आशंका के मद्देनजर संजीव गंभीर ने बरेली के डीएम और एसएसपी को व्हाट्सएप पर भी इस बात की जानकारी दे दी है और यह भी बता दिया है कि बहुत जल्द यूपी जर्नलिस्ट एसोसिएशन का एक शिष्टमंडल पुलिस के आला अधिकारियों से मिलेगा और सारे तथ्यों से अवगत कराएगा ताकि साइबरक्रिमिनल के षड्यंत्र सफल ना हो सके और उनके चेहरे बेनकाब हो सके साथ ही यह भी स्पष्ट हो सके कि इस संयंत्र के पीछे मास्टरमाइंड आखिर कौन है।