पत्रकारों को 56 भोग कराने जा रहे योगी-राज में 22 सौ कर्मियों का निवाला छिना

सैड सांग

: दस साल से चल रही टीसीएस ने यूपी से अपनी दूकान का शटर बंद किया : पुरानी कम्‍पनियों का मोहभंग हो गया, ऐसे में नयी कम्‍पनियों के आने की बात ही बेमानी : देश में सबसे ज्‍यादा नौकरियां देने वाली कम्‍पनी है टीसीएस :

कुमार सौवीर

लखनऊ : चुनाव में प्रदेश भर में घूम-घूम कर बेरोज़गारों को साल भर के भीतर नौकरी देने के वादे करने वाली योगी सरकार को एक तगड़ा झटका लगा है। देश की सबसे बड़ी व प्रतिष्ठित आइटी कंपनी टाटा कंसेलटेंसी सर्विसेज(टीसीएस) अपना लखनऊ स्थित दफ्तर बंद करने जा रही है। इस बात की मौखिक सूचना उसने अपने कर्मचारियों को दे दी है। कर्मचारीयों से दो टूक कह दिया गया है की या तो वो नोएडा या बेंगलोर तबादला ले लें अन्यथा नौकरी से हाथ धोने के लिये तैय्यार रहें।

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पत्रकार

आपको बता दें कि यह खबर तब आयी है जब अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान के लिए पत्रकारों से मेल-जोल बढ़ाने के लिए सरकार अब शीर्षासन लगाने तक को तैयार दिख रही है। विश्‍वस्‍त सूत्र बताते हैं कि इसी पहलकदमी के तहत आज मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने तथाकथित पत्रकारों को अपने सरकारी आवास पर रात्रि-भोज पर आमंत्रित किया है। लेकिन इसके पहले ही यह खबर आ गयी कि यह कम्‍पनी अपना बोरिया-पट्ठा बांध कर यूपी से कूंच करने जा रही है। उसके इस फैसले से करीब बाइस सौ कर्मचारियों की नौकरी छिन जाने से उनकी और उनके परिवारीजनों का चूल्‍हा बुझ चुका है। गौरतलब है कि टाटा समूह की यह कम्‍पनी इस देश में सर्वाधिक नौकरी देने वाली कम्‍पनी की ख्‍याति हासिल कर चुकी है।

बहरहाल, सूत्र बताते हैं कि टीसीएस इस साल के अंत तक अपना बोरिया-बिस्तर बांध के लखनऊ का सारा कामकाज अपने इंदौर स्थित नये कार्यालय में शिफ्ट कर रही है। सूत्रों के मुतबिक मध्य प्रदेश सरकार टीसीएस को निवेश करने पर काफी रियायतें दे रही है जिसके चलते टीसीएस वहां पर अपना व्यापार बढ़ा रही है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में भी सरकार है। एसे में सवाल है कि उत्तर प्रदेश की सरकार आखिर क्यूं टीसीएस जैसी बड़ी आइटी कंपनी को लखनऊ से रुखसत होने से रोकने में असक्षम है? वो भी तब जब टीसीएस के कर्मचारी इस संबंध में मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को चिट्ठी भेज चुके हैं पर अभी तक किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप सरकार द्वारा इस मामले में नही किया गया है।

यहां ये भी बताना ज़रूरी है की जहां एक तरफ योगी सरकार एक बड़ी कंपनी को लखनऊ से जाने से रोकने में फेल साबित है रही है वहीं दूसरी ओर पूर्व कि अखिलेश सरकार ने अपने प्रयासों से लखनऊ में ही सुल्तानपुर रोड पर एक 100 एकड़ की ज़मीन पर विशाल आइटी सिटी बनाने की योजना शुरू की जिसका काम मशहूर आइटी कंपनी एचसीएल को दिया गया है। एचसीएल ने वहां पर अपना काम शुरू भी कर दिया है और लगभग एक हज़ार लोगों को रोज़गार भी दिया है। एचसीएल का दावा है की साल 2022 तक वो इसी परिसर में लगभग 25000 लोगों को नौकरी देगी। एसे में पूर्व की अखिलेश सरकार को इस योजना के लिये सराहना देनी ही चाहिये।

1984 में खुला था राजधानी में टीसीएस का पहला दफ्तर:- जो टीसीएस कंपनी आज लखनऊ में अपना धंधा समेट रही है, वो आज से नही बल्कि 1984 से लखनऊ में व्यापार कर रही है। टीसीएस का पहला दफ्तर स्टेशन रोड के पास स्थित तुलसी गंगा कौम्पलेक्स नाम की दो बड़ी बिल्डिंगों में था। करीब 100-200 लोगों के स्टाफ से शुरू किया गया दफ्तर बढ़ते-बढ़ते 2200 लोगों की संख्या तक पहुंच गया है। वर्ष 2007 में टीसीएस ने अपना दफ्तर सपा सांसद व बिल्डर संजय सेठ द्वारा गोमती नगर में निर्मित आधूनिक नई बिल्डिंग में स्थानांतरित कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार इस बिल्डिंग को टीसीएस ने दस साल की लीज पे लिया था जो जनवरी 2017 में पूरी हो गई। इसी साल इस लीज को एक साल के लिये बढ़ाया गया परंतू अब खर्चे का रोना रोकर टीसीएस अपना व्यापार लखनऊ से समेट रही है।टीसीएस कर्मचारियों का तो ये भी दावा है की संजय सेठ ने टीसीएस को सुल्तानपुर रोड पे ही बन रही आइटी सिटी के समीप ही साल भर के अंदर नया दफ्तर बना कर देने की पेशकश भी की थी पर कंपनी ने मना कर दिया। एसे में देखना दिलचस्प होगा की योगी सरकार अपनी इस फजीहत से खुद को कैसे बचाती है।

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