जज की बीवी पिटती रही, और एक थीं जया पाठक

बिटिया खबर

: पांच दिन बाद रिपोर्ट दर्ज की बेशर्म पुलिस ने : जज की लायसेंसी रायफल, पर कट्टावाले ने जजाइन को पीट कर छीन ली ?: हद है यार, कट्टावाले तुम्‍हारी  रायफल लूट गये, तुम टापते ही रहे : तीन की घटना पर पुलिस की कई टीमें अब पांच दिन के बाद कैसे शिलाजीत खाकर उठ खड़ी ?

कुमार सौवीर

लखनऊ : एक हुआ करती हैं जया पाठक। पांच बरस पहले उन्‍नाव में अपर जिला सत्र न्‍यायाधीश हुआ करती थीं। उनका बेटा देहरादून के एक कालेज में ग्रेजुएशन कर रहा था। कालेज में ही छात्रों के बीच बवाल हुआ, तो पुलिस ने जया के बेटे समेत कई छात्रों को पकड़ लिया। पुलिसिया मारपीट का दौर शुरू हो गया। किसी ने जया पाठक को फोन कर दिया। गनीमत थी कि अभी चंद घंटा पहले ही अपने बेटे से मिल कर जया देहरादून में किसी से भेंट करने उसके आफिस गयी थीं। साथ में उनके पति भी थे। जया तत्‍काल देहरादून कोतवाली पहुंचीं तो पाया कि एक पुलिसवाला कोतवाली परिसर में ही उनके बेटे को गंदी गालियां देते हुए बुरी तरह पीट रहा है। अब यह कैसे हो सकता था कि एक मां के बेटे को पुलिसवाले बर्बरता से पीट रहे हों, और मां खामोश रहे। जजी गयी तेल लेने, जया ने आव देखा न ताव, वह दौड़ीं और हमलावर पुलिसवाले पर ताबड़तोड़ तमाचे रसीद कर दिये। उसके बाद खूब हुआ हंगामा, जिसका पूरा ब्‍योरा आप निम्‍न हेडिंग लिंक पर क्लिक कर समझ सकते हैं।
लेकिन अभी सात दिन पहले लखनऊ में एक हादसा हो गया, लेकिन उसकी भनक अखबारवालों को आठ नवम्‍बर को ही मिल पायी। हुआ यह कि एक जज की बीवी को चालीस-पचास दबंगों ने जम कर पीट दिया और लहूलुहान कर खूब लूट-पाट भी की। लूट में इन दोनों ने सीमेंट-बालू और मोरम व सरिया भी लूट के साथ दोनों के गले की सोने वाली चेन के व लायसेंसी रायफल लूटने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट के मुताबिक वो दबंग लोगों ने कंस्ट्रक्शन का सामान भी लेकर चले गए जिसमें 60 बोरी सीमेंट, मोरंग, सरिया और बालू भी था।
इस मामले में पुलिस ने पांच दिन बाद केस दर्ज किया है।
प्रभारी निरीक्षक पारा दधिबल तिवारी के मुताबिक मूलरूप से गाजीपुर के विश्रामपुर निवासी शोभनाथ सिंह जोगी मुरादाबाद में सिविल जज के पद पर तैनात हैं। पारा में ही उन्‍होने अपने प्लॉट नंबर 211 व 197 पर निर्माण कराने के बाद 10 फीट ऊंची बाउंड्री वॉल बनाई है। परिवार इसी मकान में रहता है। शोभनाथ सिंह जागी ने घटना के आरोपियों में अब्बास, शमशाद पुत्र अली मुहम्मद, इरफान और उसकी पत्नी समेत कई दर्जन लोगों का नाम शामिल किया है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि “सुबह करीब 9 बजे जब मैं प्लॉट पर पहुंचा तो आरोपी दो दर्जन से ज्यादा लोगों के साथ मेरे घर में घुस आए. उनके पास लाठी-डंडे भी थे. उन्होंने मेरी पत्नी को बुरी तरह मारा-पीटा और उनके गले से सोने की चैन लूट ली. वो मेरी राइफल और रिवॉल्वर भी लूट ले गए. जब विरोध किया तो हमें बुरी तरीके से मारा पीटा. उन्होंने मेरी पत्नी की कनपटी पर कट्टा रखकर कहा कि अपने प्लॉट को भूल जाना नहीं तो उसे जान से मार देंगे. दबंगों ने धमकी दी कि तुम्हारी न्यायाधीशी धरी की धरी रह जाएगी… तुम्हारे जैसे जज हमारा कुछ नहीं कर पाएंगे.”
हालांकि जज शोभनाथ सिंह ने बताया कि, ‘मेरी पत्नी को बहुत बुरी तरह मारा गया। मेरे मजदूरों को भी मारा गया। 3 तारीख को सूचना पुलिस को दी। 112 पर फोन किया और पुलिस ने शमशाद नाम के व्यक्ति को पकड़ लिया लेकिन तब तक गद्दी समाज के 40-50 लोग मिलकर के अचानक आए और मौके पर ही आकर मजदूरों से मारपीट करने लगे। ये लोग हमारे घर में घुस गए, गनर से राइफल और रिवॉल्वर छीन लिया। इसमें पुलिस की मिलीभगत लग रही है।’ हालांकि पुलिस का दावा है कि जज की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी शमशाद, इरफान, अब्बास और इरफान की पत्नी समेत 25 लोगों के खिलाफ 147, 148, 307, 379, 393, 427 और 506 के तहत केस दर्ज किया है। इनकी गिरफ्तारी के लिए कई टीमें गठित कर दी गई हैं। लेकिन बेशर्मी की हालत यह है कि तीन तारीख को हुई इस घटना पर पुलिस की कई टीमें अब पांच दिन के बाद क्‍यों शिलाजीत खाकर उठ खड़ीं ?
दूसरी ओर इस हादसे में एक आरोपित की पत्‍नी ने भी शोभनाथ सिंह जोगी और उनकी पत्‍नी पर भी हमला करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है।
बहरहाल, इस पूरे मामले में कई बड़े संदेह हैं जिसका खुलासा न शोभनाथ‍ सिंह जोगी ने किया है और न ही पुलिस ने। एडीसीपी साउथ जोन मनीषा सिंह कहती हैं कि यह पुराना विवाद है। लेकिन घटना की रिपोर्ट पांच दिन बाद दर्ज करने का कोई भी जस्टिफिकेशन मनीषा सिंह ने देती हैं। और न ही शोभनाथ सिंह जोगी इस बारे में कुछ साफ बता रहे हैं। शोभनाथ सिंह जोगी को अपनी रिपोर्ट में साफ लिखना चाहिए था कि रिपोर्ट दर्ज होने में इतना बड़ा विलम्‍ब का मूल कारण क्‍या है और मनीषा सिंह की भी जिम्‍मेदारी है कि वे बतायें कि इस विलम्‍ब के लिए पुलिस जिम्‍मेदार है या फिर शोभनाथ सिंह जोगी।
घटना सुबह नौ बजे की है। आरोपितों ने कट्टा दिखाया, लेकिन यह तो शोभनाथ सिंह जोगी ही बतायेंगे कि जब उनके पास लायसेंसी रायफल थी, तो उनको तो अवैध असलहा रख कर गुंडागर्दी करने वालों पर रायफल का इस्‍तेमाल करने का अधिकार का इस्‍तेमाल क्‍यों नहीं किया। हद है यार, कट्टावाले तुम्‍हारी लायसेंसी रायफल लूट गये, और तुम टापते ही रहे। तुम्‍हारी बीवी को बुरी तरह पीटा गया, और तुम देखते रहे। मारपीट करने, चेन लूटने, मोबाइल छीनने, बाउंड्री गिराने, साठ बोरी लूट ले जाने ही नहीं, बल्कि साथ ही साथ बालू, मौरम और सरिया भी लूट जाने में अच्‍छा-खासा वक्‍त लगा होगा कि नहीं ? तब तक आप 102, पारा पुलिस, अपने साथियों, जजों, रिश्‍तेदारों को भी एलार्म कर सकते थे या नहीं ?

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