पत्रकार उत्‍पीड़न पर प्रेस कौंसिल गंभीर, लिया संज्ञान

दोलत्ती

: बनारस के जिला प्रशासन ने किया था जन संदेश टाइम्‍स के पत्रकारों को प्रताडि़त : जवाब देखते ही डीएम कौशल राज शर्मा का सारा जोश दक्षिण दिशा में चला गया : राज्‍य सरकार से जवाब तलब :

दोलत्‍ती संवाददाता

वाराणसी : भारतीय प्रेस कौंसिल ने पत्रकारों पर होने वाले उत्‍पीड़न और प्रताड़ना के खिलाफ गम्‍भीर कदम उठाया है। कौंसिल का कहना है कि प्रेस की आजादी एक अक्षम्‍य अपराध है। सरकार और उसकी मशीनरी मसलन प्रशासन और पुलिस को इस मामले में सतर्क रहना चाहिए।

आपको बता दें कि लॉक-डॉउन के दौरान खबरों को लेकर खासा विवाद खड़ा होता रहा है। प्रशासन और पुलिस इस पूरे दौरान यही साजिश करते रहे थे कि कैसे भी हो खबरों पर सेंसरशिप जैसा माहौल खड़ा किया जाए। इसके लिए पत्रकारों पर दबाव बनाया गया कि वे खबरों को केवल प्रशासनिक और सरकारी नजरिया से ही खबरें लिखें। प्रशासन और सरकार की नाक काट डालने वाली खबरों को प्रशासन और पुलिस ने कड़ा नजरिया अख्तियार कर रहा था। वे पहले तो कड़ाई के साथ पेश आते थे, और बात न सम्‍भलने पर मुकदमे ठोंकने जैसी कार्रवाई भी करते थे।

दोलत्‍ती सूत्रों के अनुसार वाराणसी स्थित जन संदेश टाइम्‍स ने इस दौरान कई खबरें प्रकाशित कीं, जिसमें प्रशासन के आला अफसर बिलकुल नंगे से ही हो गये। यह रिपोर्ट अखबार के समाचार संपादक और लेखक रिपोर्टर विजय विनीत ने लिखी थी। एक प्रमुख खबर तो वह थी कि बनारस में मुसहर बस्‍ती के लोग भुखमरी की उस कगार पर पहुंच चुके हैं, जहां बच्‍चे तक अब घास की फलियां खा कर अपना जीवन व्‍यतीत कर रहे हैं। आपको बता दें कि वह घास जहरीली होती है।
इस खबर पर हंगामा खड़ा हो गया। दोलत्‍ती संवाददाता का कहना है कि इस हंगामा की वजह यह कि सरकार का सख्‍त आदेश था कि गरीब लोगों को भुखमरी से बचाया जाए। जबकि प्रशासन इस बारे में लगातार लापरवाह बना ही रहा।

उधर यह खबर छपने पर हंगामा खड़ा हो गया। अगले ही प्रशासन को जब लखनऊ से फटकार पड़ी तो डीएम के होश फाख्‍ता हो गये। डीएम ने उस रिपोर्टर को पत्र लिख कर खबर का खंडन करने का आदेश दिया और चेतावनी दी कि अगर खंडन न छपने पर रिपोर्टर और अखबार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

लेकिन विजय विनीत अपनी बात पर अड़े रहे। उनके पास इस बात के प्रमाण थे कि बच्‍चों ने घास खायी थी।

यह रवैया देखते ही प्रशासन बचाव में आ गया। दोलत्‍ती संवाददाता को मिली खबरों के अनुसार डीएम कौशल राज शर्मा ने अपनी बात को साबित करने के लिए अपने दफ्तर में अपने बेटे के साथ उस जहरीली घास को खिलाने का नाटक करना शुरू किया। लेकिन विजय विनीत ने उस पर कोई भी ध्‍यान नहीं दिया, बल्कि अगली इसी मूर्खतापूर्ण कोशिशों पर केंद्रित करते हुए प्रकाशित कर दी। इस पर प्रशासन ने अखबार और रिपोर्टर को कोर्ट नोटिस देकर 14 दिन में जवाब-तलब किया, और धमकी दी कि जवाब न देने पर वे अखबार और रिपोर्टर पर मुकदमा दायर करेंगे।

इस पर यूपी बार कौंसिल के अध्‍यक्ष और वाराणसी के प्रमुख अधिवक्‍ता हरीशंकर सिंह ने इस नोटिस पर समुचित जवाब दिया और बताया कि प्रशासन द्वारा इस मामले में एकतरफा और विद्वेषपूर्ण नजरिया अपना रहा है। यह जवाब मिलते ही डीएम के हाथ-पांव फूल गये और उन्‍होंने जवाब को दाखिल-दफ्तर कर दिया। डीएम कौशल राज शर्मा का सारा जोश दक्षिण दिशा में चला गया।

बहरहाल, अब भारतीय प्रेस परिषद ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है। इतना ही नहीं, परिषद ने भदोही के एक पत्रकार के मामले में भी राज्‍य सरकार से जवाब तलब किया है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *