पत्रकार दो-कौड़ी का, थरथर कांपता है डीएम भी

बिटिया खबर

: बहराइच की पत्रकारिता पर लाजवाब है यह शेर : कहां-कहां के बाल हैं और कैसे-कैसे बाल, कहां बिहारी लाल थे और कहां मुरारी लाल : एसपी मिश्रा आम आदमी को नहीं, केवल सरकारी-कर्मचारी को ही हड़काते हैं : खबर लिखना तो दूर, इंट्रो लिखने तक की सलाहियत नहीं : जिला प्रशासन की शर्मनाक करतूत है बेहूदा पत्रकारों का कलेक्‍ट्रेट में हंगामा पर खंडन :

कुमार सौवीर

लखनऊ : महामुनि का नाम तो आपने सुना ही होगा। जी हां, जी हां। वही दुर्वासा ऋषि, जो आर्यावर्त भारत-खण्‍ड में जन्‍मे थे। लेकिन बहराइच में भी एक दुर्वासा हैं, नाम है एसपी मिश्रा। दोनों ही अपने क्रोधी-पन के लिए पहचाने जाते हैं। लेकिन दोनों के बीच में जबर्दस्‍त फर्क है। दुर्वासा लोक-कल्‍याण के लिए सतयुग, त्रेता और द्वापर तक में व्‍याप्‍त थे, जबकि एसपी मिश्रा केवल बहराइच के सरकारी दफ्तरों तक ही सीमित रहते हैं। दुर्वासा को जब गुस्‍सा आता था, तो वे श्राप दे देते थे, जबकि एसपी मिश्रा गालियां देते और खाते भी हैं। अब यह तो पूरी दुनिया को पता है कि महर्षि अत्रि के पुत्र थे दुर्वासा जी, लेकिन एसपी मिश्रा के बारे में दोलत्‍ती डॉट कॉम को ऐसी कोई भी जानकारी नहीं है।
राजा दशरथ के राज-ज्‍योतिषी थे दुर्वासा, जबकि एसपी मिश्र मूर्ख हैं। राष्‍ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित एक संगोष्‍ठी में एक पत्रकार ने डीएम को दलाली करने वाले से बचने की सलाह दे दी, तो तत्‍काल अहसास हो गया कि दलाल वे खुद हैं। यह समझते ही मिश्रा जी उस पत्रकार को सरेआम भद्दी गालियां बकने लगे। इतना ही नहीं, मिश्रा जी भारत नेपाल टाइम्‍स नामक अखबार के संपादक-मालिक हैं, लेकिन यह अखबार न तो कहीं छपता है और न ही कहीं बिकता अथवा दिखायी पड़ता है। हां, पीडीएफ जरूर है, जो उनका करीबी सूचना अधिकारी सूचना विभाग कार्यालय में जमा करता भी है या नहीं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसी अखबार के शॉर्ट-नेम बीएनटी के नाम से मिश्रा जी यू-ट्यूब चैनल भी चलाते हैं, जिसमें केवल और केवल सरकारी अथवा चापलूसी की खबरें ही होती हैं। इस चैनल की लोकप्रियता का अंदाजा केवल इसी तथ्‍य से लगाया जा सकता है कि अब तक केवल 13 लोगों ने उनकी दो दिन पुरानी खबर को देखा है।
दुर्वासा के पास तो पचास हजार शिष्‍य हुआ करते थे और अपने शिष्‍यों के प्रति उनका अगाध लगाव था, लेकिन मिश्रा जी के पास कोई भी फटकता ही नहीं। सामान्‍य चर्चा है कि मिश्रा जी कब किस पर मां-बहन वाली गालियां वाली अश्‍लील-वर्षा कर बैठें, पता ही नहीं चलता। दुर्वासा तो मेधावी हुआ करते थे, लेकिन एसपी मिश्रा की बेवकूफियों पर बहराइच के पत्रकारों में खासी-अच्‍छी कहानियां लोकप्रिय हैं। मसलन, सूचना विभाग के अधिकारी के सामने बैठे दो पत्रकार आपस में इसी बात पर झगड़ा कर रहे थे उनकी खबरों की लोकप्रियता कैसी है। इसमें डेली न्‍यूज एक्टिविस्‍ट के पत्रकार कुंवर दिवाकर सिंह ने दावा किया कि उसकी खबरें नेट पर देखी जा सकती हैं। इस पर बिफरे गये एसपी मिश्र ने दावा ठोंका कि उनकी खबरें नेटवर्क पर दिखायी पड़ती हैं। कहने की बात नहीं कि यह दोनों ही महान पत्रकार एक-दूसरे को इसी तर्क पर नीचा दिखाने पर आमादा थे।
दुर्वासा तो दशरथ के ज्‍योतिषी थे, जबकि बकैत एसपी मिश्रा को पढ़ने-लिखने का समय ही नहीं मिलता है। चर्चा तो यह है कि मिश्रा जी किसी खबर लिखना तो दूर, इंट्रो तक लिखने की सलाहियत नहीं रखते हैं। 70 साल की उम्र हो जाने के बावजूद मिश्रा जी कब किस को कहां अपमानित कर दें, गालियां बक दें, इसका भान मिश्रा जी को भी नहीं होता है। लेकिन वे आम आदमी से नहीं भिड़ते हैं, उनकी बकैती केवल उन्‍हीं लोगों पर चलती है, जो सरकारी कर्मचारी या अफसर होते हैं। लोग उन्‍हें वाच-डॉग में जबरिया घुस गया कटहा मानते हैं। माना जाता है कि मिश्रा जी का नाम सुनते ही डीएम और कप्‍तान भी थरथरा पड़ता है। ऐसे में छोटे-मोटे बाबू या सिपाही-दारोगा की क्‍या बिसात। सरकारी सूत्र बताते हैं कि जिस दिन मिश्रा जी सरकारी दफ्तर में आते हैं, उस दफ्तर के सभी लोगों को कच्‍चवाय देते हैं।
बदहाल माहौल का अंदाजा केवल इसी घटना से लगाया जा सकता है कि राष्‍ट्रीय प्रेस दिवस पर जिलाधिकारी की अध्‍यक्षता वाली संगोष्‍ठी के बाहर कलेक्‍ट्रेट परिसर में ही मिश्रा जी ने एक पत्रकार को भद्दी गालियां दी, तो उस पत्रकार ने भी पलट वार कर दिया। जबर्दस्‍त हंगामा हो गया, लेकिन जिला सूचना अधिकारी जीवी सिद्दीकी ने सरकारी प्रेस-नोट में न केवल एसपी मिश्रा का नाम पहले नम्‍बर पर डाल दिया, बल्कि उस शर्मनाक हादसे का खंडन भी कर दिया। वह भी तब, जब डीएम दिनेश चंद्र ने इस घटना की स्‍वीकारोक्ति कर रखी थी। खबर है कि डीएम डॉ दिनेश चंद्रा एसपी मिश्रा को हमेशा बगलगीर ही रखते हैं, ऐसी हालत में दीगर कर्मचारी-अधिकारी के बीच एमपी मिश्रा की रंगबाजी जबर्दस्‍त बनी रहती है।
तो चलते-चलते बस एक शेर जरूर सुन लीजिए, जो दुर्वासा जी और एसपी मिश्रा पर बेहद मौजू और चस्‍पां किया जा सकता है:-
कहां-कहां के बाल हैं और कैसे-कैसे बाल,
कहां बिहारी लाल थे और कहां मुरारी लाल।

यह बहराइच के डीएम हैं। पहले थूकेंगे, फिर चाट लेंगे

सिर्फ अभद्र नहीं, दर-बदतमीज है बहराइच का डीएम

बहराइच के थूक-चट्टा डीएम ने सुशासन-कर्मियों की खोज का अभियान छेड़ा

व्‍यक्तित्‍व में शीर्षता से बनता है एलपी मिश्रा

आज ही तो खुला था हेमंत तिवारी की पिटाई का खाता

डीएम को तेल लगा रहा था अंजना ओम कश्‍यप का चिलांडलू, कूटा गया

बहराइच में कोतवाल और कप्‍तान में कुकुर-झौंझौं

जानिये कप्‍तान और दारोगा के बीच जूतमपैजार की वजह

बुढ़ऊ कप्‍तान । अब तो पढ़ लो सीआरपीसी की किताब

भाजपा नेता ने बताया बहराइच को पाकिस्‍तान, कप्‍तान को लंगोट का ढीला

“आजतक के तीन पत्रकार” बहराइच जेल में बंद, उगाही कर रहे थे

शुक्र है खुदा का, बवाली डीएम हटा और बहराइच का जी जुड़ाय गया

यह बेहूदा अखबार है। बिन जूतों के कैसे समझेगा

असली श्रमिक दिवस तो मनाया लेबर कमिश्‍नर ने, दारू में कर्रा हंगामा

माना कि बलिया का डीएम चोर है। लेकिन तुम क्‍या हो पत्रकार जी ?

बार संघ व व्यापार मंडल नेताओं ने कहा: #@&^*% है मधुकर तिवारी

डीएम गुस्‍से में चिल्‍लाया: सांडा के तेल की शीशी फेंको, सल्‍लू को भगाओ

महान संपादकों ने निहाल किया, तो ओछे और छिछोरे भी मिले

बेटी को घूरते छिछोरे पत्रकार को डांटा था मशहूर शायर वामिक जौनपुर ने

1 thought on “पत्रकार दो-कौड़ी का, थरथर कांपता है डीएम भी

  1. वाच डॉग में जबरिया घुस गया कटाहा मानते हैं…हा हा हा हा हा…🤪😜🤪😂😍😅😁👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *