पत्रकार जी, खुद देख लीजिए कि क्या है आपकी औकात

मेरा कोना

: गली-चौराहे पर कुकुरमुत्तों-सी लहलहा रही हैं पत्रकारों की फसल : आपकी बिरादरी की पहचान खबर से नहीं, बिल्ला टांगने वालों से :

कुमार सौवीर

लखनऊ : मुझे नेट कनेक्शन के लिए एक डुंगल की जरूरत थी। अपने छोटे भाई जैसे कमल ओमर की सलाह से रिलायंस सलेक्ट किया। इसमें पांच कनेक्शन तक वाई-फाई की सुविधा है। चालीस जीबी महीना। एक ही रफ्तार में। महीना करीब साढ़े ग्यारह सौ रूपया। शुरूआत में बस 24 सौ रूपया एकमुश्त, डिवाइस की कीमत।

कम्पनी के एक्जीक्यू्टिव आरपी सिंह आये। बहुत सहज और सरल, हंसमुख भी। तनाव-विहीन। ठहाका-युक्त।

बातचीत में हंसते हुए बोले:- क्या आप मुझे प्रेस का कार्ड बनवा सकते हैं? प्लीज़।

क्यों ?

पुलिस वाले बहुत परेशान करते हैं।

क्या हुआ?

कल हजरतगंज में मेरी गाड़ी खड़ी थी। कई और भी गाडियां मौजूद थीं वहां। पुलिसवालों ने उस पर हंगामा शुरू कर दिया। कई तो अपपनी गाड़ी लेकर चले गये, दो-चार का चालान काटा गया। मेरा भी चालान काटा गया। लेकिन वहां खड़ी 800 मारूति को उस पुलिसवाले ने छुआ तक नहीं। क्योंकि उस पर प्रेस लिखा था।

फिर?

फिर यह कि अगर मेरी गाड़ी पर प्रेस लिखा होता तो मेरा भी चालान नहीं कटता। करा दीजिए सर। प्लीज। प्रेस का एक स्टिकर ही दिलवा दीजिए। कम से कम बाद में दिक्कत तो नहीं होगी।

मैंने जवाब दिया:- देखो, स्टिकर तो बाजार में खरीद सकते हो, और प्रेस का कार्ड भी बनवा लो किसी दूकान से। लेकिन पत्रकार कहां से लाओगे? मतलब यह कि तुम्हारे कहने से तो कोई तुमको नरेंद्र मोदी, अखिलेश यादव या लखनऊ का एसएसपी तो मान नहीं लेगा। इसके लिए तो शख्सियत की जरूरत पड़ती है। वह कहां से लाओगे? केवल कार्ड या स्टिकर दिखा कर तुम चाहते हो कि लोग तुम्हें पत्रकार मान लें, यह कैसे होगा? तुम्हारा लहजा भी होना चाहिए। कद-काठी, चाल-ढाल, अंदाज और बातचीत का तरीका भी प्रभावशाली होना चाहिए। है कि नहीं? और फिर मैंने आज तक अपना कोई कार्ड बनवाया और न ही कभी गाड़ी पर कोई बड़ा स्टिकर लगाया है। हां, नम्बर प्लेट के ऊपर प्रेस लिखवा जरूर लिया है। लेकिन मैं इन चीजों का विरोध करता हूं। निजी तौर पर मेरा मानना है कि यह सब दबाव का पाखण्ड और लोगों को मूर्ख बनाने की भोंडी राजनीति है। मैं इससे दूर रहता हूं। मैं तो अपनी कार से यह प्रेस भी खुरचवा दूंगा।

अब मेरी सलाह है कि तुम खुद ही इन चीजों का विरोध करो। अगर पुलिसवाला अभद्रता या अन्‍याय कर रहा है तो उसका विरोध करो। जम कर करो। मैं तुम्‍हारे साथ हूं। और कुछ—–?

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