एनडीटीवी: पहले तो सॉरी। अफवाह बड़े पत्रकारों ने फैलायी

सैड सांग

: ओम थानवी ने छह पेग मारे, और पिनक में हुल्‍लड कर दिया कि बिक गया एनटीडीवी : दिल्‍ली के पत्रकार तो किसी विशाल महासागर वाली ब्‍ल्‍यू-ह्वेल, जबकि मैं तो छोटे-मंझले तालाब में डुबकी मारती रोहू या टेंगन : मैं बड़ा पत्रकार नहीं, इसलिए लिए तो क्षमा-याचना :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अश्‍वत्‍थामा मारा गया, नरो वा कुंजरो। कुछ ऐसी ही अफवाह फैला दी गयी एनडीटीवी न्‍यूज चैनल को लेकर। खबर उछली कि एनडीटीवी बिक गया है, और यह नया खरीददार है अजय सिंह। वही अजय सिंह, जो स्‍पाइसजेट का मालिक है, और नरेंद्र मोदी का नमो-नमो भी। मतलब यह कि अजय सिंह ने ही अगली बार मोदी सरकार वाला जुमला उछाला था। लेकिन अजय सिंह की शैली में अब एनडीटीवी को लेकर भी अफवाहें उछाल दी गयीं। हालांकि अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि आखिरकार इस झूठी अफवाह क्‍यों फैलायी गयी।

लेकिन इस बारे में बातचीत करने के पहले सबसे पहले तो मैं अपने पाठकों को बिलकुल खुले दिल से माफी मांग लूं। मसला यही है, वही एनडीटीवी की बिक्री वाला। मैं झूठ नहीं बोलना चाहता, और स्‍पष्‍ट और खुले दिल-दिमाग से यह कुबूल करना चाहता हूं कि मैंने भी इस बिक्री-खरीद वाली खबर पर अपने हाथ साफ किये थे। लेकिन अनजान होकर। केवल बड़े लोगों की बात पर यकीन करके। उन्‍होंने जो भी लिखा-बताया, मैंने उसे ब्रह्मवाक्‍य मान लिया। और एक बड़ी खबर बना कर प्रकाशित कर दी अपने प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम पर। इसीलिए मैं अपने इस कृत्‍य के लिए क्षमायाचना कर रहा हूं।

पत्रकारिता से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

पत्रकार पत्रकारिता

मैं तो खैर एक पिद्दी भर सा पत्रकार हूं, जो एक प्रदेश के मुख्‍यालय में जहां-तहां खबरों के लिए मुंह मारता  रहता हूं। मेरे पास न तो पर्याप्‍त संसाधन हैं, न सूचना के पर्याप्‍त सूत्र, और न ही दिग्‍गज लोगों की टोली वाले लोगों की आमद-रफ्त की सम्‍भावनाएं। आप उन लोगों को भूमण्‍डल के किसी विशाल महासागर की बड़ी आदमखोर ब्‍ल्‍यू-ह्वेल समझ सकते हैं, जबकि मेरे जैसे पत्रकार की हालत किसी छोटे-मंझले तालाब में डुबकी मारती रोहू या टेंगन की तरह होती है, जो कहीं किसी को अपना भोजन बना लेती है, या फिर किसी का भोजन बन जाती है।

लेकिन देश के बड़े-बड़े पत्रकार भी इतनी गैरजिम्‍मेदारी का व्‍यवहार कर सकते हैं, यकीन नहीं आता। देख लीजिए ओम थानवी को। पांच कमरों वाले वातानुकूलित अपने राजमहल तक सिमट कर रहने और हर शाम अपने दोस्‍तों के साथ ग्‍लास के साथ सोडा के साथ गपशप में ही खबर खोजने में बिजी रहते हैं। यथार्थ से दूर, कल्‍पनाओं के बादलों में सैर करते वक्‍त जो भी विचार उनके दिमाग में आ जाता है, उसे ही विधाता की भूमिका में आकर वे खबर के तौर पर परोस देते हैं।

परसों भी तो यही हुआ। लेकिन पांसा उलट पड़ गया। अब छीछालेदर चल रही है।

हुआ यह कि थानवी जी ने एक खबर ब्रेक कर दी कि एनडीटीवी बिक गया है। उन्‍होंने लिखा था कि:- “आख़िर NDTV भी क़ब्ज़े कर लिया गया। मसालों के नाम पर स्पाइस-जेट हवाई कम्पनी चलाने वाले अजय सिंह अब यह तय करेंगे कि एनडीटीवी के चैनलों पर क्या दिखाया जाए, क्या नहीं। इसका मुँह-चाहा फ़ायदा उन्हें सरकार से मिलेगा। इस हाथ दे, उस हाथ ले। एक मसाला-छाप व्यापारी को और क्या चाहिए?इस ख़रीदफ़रोख़्त के बीच कुछ पत्रकार तो पहले ही एनडीटीवी छोड़कर जा चुके हैं। कुछ चले जाएँगे। कुछ को चलता कर दिया जाएगा। फिर एक संजीदा, सच दिखाने वाले चैनल में बचा क्या रह जाएगा? हींग-जीरा, लौंग-इलायची? मैंने कुछ ही रोज़ पहले एक विश्वविद्यालय में बोलते हुए कहा था कि यह दौर मीडिया को मैनेज करने का उतना नहीं, जितना उसे अपने लोगों द्वारा ख़रीदवा लेने का है। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। ससुरी बजेगी तो बेसुरी बजेगी। जब इस सरकार के लिए इतनी पहले से बज रही हैं – Zee News, CNN-IBN, ETV, RepublicTV आदि – तो एक और सही। उन्हें भी ख़रीद कर पीछे से क़ब्ज़े किया गया था। एनडीटीवी भी उसी गति को प्राप्त हुआ। उम्मीद है अब उसे छापों आदि से शांति नसीब होगी। नए ज़माने में चैन से ज़िंदा रहना ज़रूरी है, जूझते रहने से।”

लो, हो गया बवाल। न सूत, न कपास, जुलाहा में लट्ठमलट्ठा। दे त्‍तेरी की, ले त्‍तेरी की। थानवी को गरियाने की सारी हरसतें अचानक ही सतह पर आ गयीं। Surendra Grover ने अपना मुख-द्वार चियार दिया। बोले:- “ताज़्ज़ुब है कि आप जैसे मूर्धन्य सम्पादक भी अफवाह फैला सकते हैं। एनडीटीवी नकार रहा है यह खबर। क्या वो भी नमो की तरह झूठ बोल रहा है.?” जवाब दिया ओमथानवी ने। लिख मारा कि:- “छापे मार मार कर झुका दिया, और क्या। यही तरीक़ा होता है।”

लेकिन इससे सच नहीं खुल पाया। क्‍या शम्‍भूनाथ शुक्‍ल हों या फिर एनके सिंह। सब के सब भौंचक्‍के हैं ओम थानवी के इस झूठ पर।

लेकिन थानवी साहब, अब तो आपका नशा टूट चुका होगा। अब तो मामला स्‍पष्‍ट कर दीजिए। वरना नयी नस्‍लें आपको माफ नहीं करेंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *