दिल्‍ली का सेक्‍स-स्‍कैंडल: यह व्‍यभिचार तो है, लेकिन अपराध नहीं

सैड सांग

: 90 फीसदी पुरूषों के स्‍मार्ट-फोन तक पहुंच चुकी है इस काण्‍ड की वीडियो-क्लिप : अब झूठ का सहारा ले रही है संदीप कुमार की अंकशायनी : संदीप कुमार की खामोशी ही है उसकी साफगोई का असली प्रमाण : मनोविज्ञानी इस सेक्‍स-स्‍कैंडल में अनैतिकता तो देख रहे हैं, लेकिन अब तक अपराध नहीं खोज पाये :

कुमार सौवीर

लखनऊ : सेक्‍स-स्‍कैंडल में फंसे दिल्‍ली सरकार के मंत्री संदीप कुमार का मामला अब पेंचीदा नहीं, बल्कि स्‍पष्‍ट हो चुका है। साफ हो चुका है कि इस स्‍कैंडल में शामिल महिला ने खुद को बचाने-निर्दोष कराने के लिए संदीप के खिलाफ आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। जबकि हकीकत है कि इस महिला ने इस मामले में साफ झूठ बोला है। उधर अजब बात यह है कि संदीप कुमार ने इस मामले में लगातार खामोशी ही बनाये रखी है। बावजूद इसके कि आप पार्टी के आशुतोष इस मामले को राजनीतिक रंग देने की साजिशें में जुटे हैं। विपक्ष तो आप पार्टी और संदीप पर तेल-पानी लेकर पहले ही चढाई कर चुका है।

आपने संदीप कुमार का वह वीडियो-क्लिप तो देखा ही होगा, जिसमें संदीप किसी महिला के साथ हम-बिस्‍तर हैं। कहने की जरूरत नहीं कि जंगल की किसी दावानल-आग की तरह इस सेक्‍स-स्‍कैंडल की वीडियो-क्लिप देश-विदेश में वायरल हो चुका है। मुम्‍बई के शैलेष त्रिपाठी हों, पटना के ध्रुव सिंह, तिनसुकिया के रंजीत बरूआ, जम्‍मू के आरके मिश्र हों या फिर दंतेवाड़ा के डॉक्‍टर राजाराम, यह वीडियो देश के 90 फीसदी से ज्‍यादा स्‍मार्ट-फोन रखे पुरूषों के पास पहुंच चुका है। दिल्‍ली और एनसीआर में तो यह वीडियो घर-घर तक है। यानी बात अब बाजार के बजाय घर-घर तक पहुंच चुका है।

मेरे पास यह वीडियो कल सुबह मेरे फोन पर आया। भेजने वाले मेरे एक मित्र राघवेंद्र सिंह ने मुझे इस आशय से यह वीडियो भेजा, कि मैं उस वीडियो में उसकी भंगिमा को परखनेकी कोशिश करूंगी कि यह साजिश है या फिर हकीकत। मैंने भी यह वीडियो अपने कुछ मित्रों को भेजा, जो मनोविज्ञान से जुड़े माहिर और शिक्षक भी हैं। हालांकि इस प्रयास में यह वीडियो गलती से एक ग्रुप तक भी पहुंच गया। खैर, यह तो मानवीय त्रुटि है, है कि नहीं।

इसके पहले मैं आापको बता दूं कि स्‍त्री और पुरूष  के बीच दैहिक रिश्‍तों के तागे बेहद बारीक, बहुत मोटे, बहुत पारदर्शी और अक्‍सर अबूझ भी हो होते हैं। यह तो समय, काल, परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि किस समय और किन हालातों में किस ने किस को किस तरह से पेश किया। चीजें सामान्‍य होती हैं तो कहीं भी कोई दिक्‍कत नहीं होती है किसी को। लेकिन जरा भी कोई तन्‍तु बिखरा तो ऐसी की तैसी हो जाती है ऐसे रिश्‍तों की। खास तौर पर तब, जब इन सम्‍बन्‍धों का लाभ कोई व्‍यक्ति, समूह या संगठन उठाना चाहता हो। राजनीतिक दल अगर उसमें शिरकत करते हैं तो हालात बेकाबू हो जाते हैं। संदीप के साथ भी यही हुआ।

उस वीडियो को गौर से देखिये, उसमें संदीप और उस महिला की भंगिमा बेहद सहज है। तनाव से परे, प्रशांत, समर्पण, और पूरी तरह सक्रिय। पूरी तरह निष्‍पाप। ईमानदारी के साथ। लेकिन जैसे ही किसी ने इसमें साजिश खोजने के लिए उसे चुपके से शूट किया, बवाल शुरू हो गया। सवाल उठने लगे कि संदीप ने ऐसा क्‍यों किया। क्‍या नेता को ऐसा व्‍यभिचार करना था। क्‍या यह हमारे राजनीतिक पटल के सर्वनाश का प्रतीक नहीं है।

लेकिन नहीं, जरा गौर से देखिये तो इसमें कहीं भी कोई गड़बड़ नहीं है। स्‍त्री-पुरूष का सम्‍बन्‍धों में शक-शुबहा की कोई भी जरूरत या गुंजाइश नहीं होती। हां, अगर दिक्‍कत हो सकती है कि केवल तब जब संदीप की पत्‍नी की ओर से कि संदीप ने उस महिला के साथ धोखा किया। हालांकि अभी तक यह भी खुलासा नहीं हुआ है कि यह धोखा हुआ भी है या नहीं। हो सकता है कि यह सब उसकी पत्‍नी की सहमति से ही हुआ हो।

हां, गड़बड़ तो तब हुई है जब उस महिला ने कल शाम दिल्‍ली पुलिस में शिकायत दर्ज करायी, कि संदीप ने नशीला कोल्‍ड-ड्रिंक पिला कर बुरा काम किया है।

और आप मैडम ! आप तो बिलकुल साफ और सफेद झूठ बोल रही हैं इस मामले में। अब को बकलोल-मूर्ख भी आपके इस तर्क की सारी चिन्दियां उधेड़ सकता है। मनोविज्ञानियों की स्‍पष्‍ट राय है कि इस वीडियो में यह महिला बेहद सहज और बिना किसी नशीली दवा के असर के है। खास बात तो यह भी है कि यह महिला अधेड़ उम्र की है और उस पर किसी दबाव या किसी वेश्‍यावृत्ति अथवा किसी अन्‍य दबाव का प्रभाव ही नहीं दिख रहा।

हां, इसके बावजूद अगर इसमें कोई गड़बड़ है तो केवल यह कि हमने महिलाओं को शारीरिक सम्‍बन्‍धों के संदर्भ में इतना बेइज्‍जत कर रखा है कि उसकी इज्‍जत का एक भी रेशा अगर किसी झोंके से हिल जाए, तो वह महिला को पूरा समाज व्‍यभिचारिणी साबित करने में तुल जाता है। ऐसे में ऐसी आतंकित महिला के पास कोई दूसरा चारा होता ही नहीं कि वह अपने बचाव के लिए दूसरे पर दोषारोपण कर दे।

लेकिन इसके बावजूद हकीकत है कि आपको अगर किसी से प्रेम करना है तो फिर खूब कीजिए। बेधड़क कीजिए। लेकिन फिर उसके असर को झेलने का माद्दा भी खुद के जिगर में रखिये। यह नहीं कि आप पर उंगली उठी नहीं, अब आपनेे अपने प्रेमी को ही कठघरे में ख़डा कर दिया। इससे आप भी फंसेंगी, और प्रेमी तो खैर—– तिहाड़ में पहुंच ही चुका है संदीप कुमार यानी आप-पार्टी वाले केजरीवाल-सरकार का बेबस परिंदा। अभी तो लम्‍बा जाएगा, चक्‍की पीसेगा। आखिर ऐसी वीडियोज को बनाने की कीमत तो उसका भी चुकानी ही पड़ेगी। भले ही अपनेे स्‍वर्णिम क्षणों को यादगार तौर पर संजोने की कोशिश में हुआ हो यह सब। लेकिन हुआ तो है ही, जो हो रहा है।

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