राजनीति में बेशर्म रंगरेलियां मचाने वालों के सिरमौर हैं एनडी तिवारी

मेरा कोना

: हम बेशर्म हैं कि तिवारी जैसे लोगों का सम्मानित करके खुद को गौरवान्वित होते हैं : काम-पिशाचों के गिरोह के अति-सम्मानित बेताज बादशाह रहे हैं तिवारी : आजकल उन्हें कुछ याद ही नहीं आता, सिवाय एक काम के : होश बेकाबू कर देती हैं सपनों पर सवार बच्चियां, श्रंखला- तीन :

कुमार सौवीर

लखनऊ : नारायण दत्त तिवारी के पास तब भी समर्थकों की भीड़ जुटती थी, जब वे राजनीति में कुछ कद हासिल कर चुके थे। तब भी भीड़ जुटती थी, जब वे यूपी और उत्तथरांचल के मुख्य्मंत्री या केंद्र में मंत्री बने। तब भी जमावड़ा होता था तिवारी के घर जब वे आंध्रप्रदेश के राज्यवन में बहैसियत राज्यपाल रहते थे। तब भी उनके पास आने वाले लोगों की खूब भीड़ जुटती थी जब उन्हेंप राजनीति से जबरिया बेदखल किया गया था। तब भी  भीड़  जुटती थी, जब उन पर पितृत्वज के आरोप पर मामला अदालत में चल रहा था। लेकिन जैसे ही लोगों को यकीन हो गया कि तिवारी जी अब किसी भी लायक नहीं बचे, उनके पास आने वालों का सैलाब सूख गया। अब वे कभी अस्पताल में कटती परची का मुआयना निकल जाते हैं या फिर कभी बस अड्डे पर कंडक्टर को डांटते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि एनडी तिवारी अपने स्मृति की उस बीमारी से ग्रसित हैं, जिसमें उन्हें समझ में ही नहीं आता कि वे क्या कर रहे हैं।

लेकिन असल सवाल तिवारी से नहीं, उन लोगों से है, जो उनके आसपास भीड़ जुटाते थे। कहने की जरूरत नहीं कि उनके पास आने वाले लोगों में से सारे के सारे लोग सम्पन्ने पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं, बीवी-बच्चों के साथ हूं, खुद को सम्मानित कहते-कहलाते हैं। उनमें से महिलाओं की तादात भी खूब होती है, जो एनडी तिवारी के आसपास किसी तितली की तरह मंडराती रहती थीं। ऐसे लोग-लोगनियां आज भी एनडी तिवारी की कला-क्षमता के गुण-ग्राहक हैं। यह सही है कि एनडी तिवारी ने किसी भी महिला से दुराचार नहीं किया, किसी का जबरिया दुष्कर्म नहीं किया, किसी को बाध्य नहीं किया कि वह उनकी अंकशायिनी बन जाए। लेकिन इसके बावजूद एनडी तिवारी के पहलू में सोना पसंद करने वाली यु‍वतियों की तादात शुरू से ही बेशुमार थी। एनडी से करीबी रिश्ते कायम करना महिलाओं का खास सपना हुआ करता था।

एनडी तिवारी ने किसी को कोई लालच नहीं दिया, लेकिन इसके बावजूद जो भी महिलाएं उनकी गोद तक पहुंचीं, एनडी तिवारी ने उन्हें  मालामाल कर दिया। कोई बहुत पुरानी बात नहीं है, जब एनडी तिवारी उत्तरांचल के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। तब तो उन्होंने अनेक कमसिन लड़कियों तक को लाल बत्ती सिर्फ तोहफे में लुटा दे दिया। राज्य्मंत्री का ओहदा देकर। युवतियों को पैसा, ओहदा, सम्मान और सम्पत्ति लुटाने के मामले में तो एनडी तिवारी हमेशा कुख्यात रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि एनडी तिवारी दुराचार की उस धारा के एम्बेसेडर रहे हैं जो लूटने के बाद लोगों को मालामाल करने में विश्वास करते हैं। इस पर तो उत्तरांचल के एक पूर्व सूचना अधिकारी नरेंद्र सिंह नेगी ने एनडी तिवारी पर “नौछमी नरायणा” शीर्षक से ऐसे-ऐसे गीत लिखे, कि एनडी तिवारी की जगह अगर कोई गैरतमंद होता तो चुल्लूी भर पानी के बिना ही शर्म से डूब मरता।

कुछ भी हो, एनडी तिवारी की यह खास बात बताने के पहले उनका एनडीतिवारी-पुराण का उद्यापन हो ही नहीं सकता। वह यह कि एनडी तिवारी के सानिध्य में जो भी महिलाएं आयीं, उन्होंने एक बार भी इस मामले में चूं तक नहीं की। उन महिलाओं ने एनडी तिवारी से रिश्ते बनाये, उसका लाभ लिया या नहीं, उसका खुलासा कभी भी नहीं हो पाया। न कभी एनडी तिवारी ने इसे में कोई बात कही और न ही उन महिलाओं ने चूं तक की। जो भी रिश्ते उनके साथ ही संयुक्त रहे, दबे रहे, सार्वजनिक तौर पर कभी भी खुल नहीं पाये। जो कुछ भी हुआ, उनके और उन महिलाओं के बीच ही सीमित रहा। हां, उज्व्तेोला से यह मामला पहली बार खुला। लेकिन इसके बावजूद इस खुलासा का कारण एनडी तिवारी या उज्व्ला हर्गिज नहीं रहे।

लेकिन आंध्र प्रदेश राज्य भवन में जो कुछ भी हुआ, उसने केवल देश में सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों के चरित्र को पूरी तरह नंगा कर दिया, बल्कि एनडी तिवारी को भी हमेशा-हमेशा के लिए बेपर्द कर दिया। कारण था अराजक शारीरिक रिश्ते। वह भी एक से नहीं, एकसाथ तीन-तीन महिलाओं के साथ। इतना भी होता तो भी गनीमत होती। एनडी तिवारी के कुकर्मों से आजिज किसी व्यनक्ति ने इस कुकर्म का वीडियो बना डाला और उसे वायरल कर दिया। यह कुकर्म हुआ आंध्रप्रदेश के राज्यभवन के मुख्य शयनगृह में, जहां एनडी तिवारी राज्यपाल थे। यह कमरा एनडी तिवारी का ही था। वीडियो में नंग-धड़ंग एनडी तिवारी तीन अन्य, निर्वस्त्र महिलाओं के साथ केलि-क्रीड़ा में लिप्त थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *