बेलगाम तितलियों पर आदमखोर छिपकलियों का खतरा

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: चाहे वह पूजा तिवारी हो या फिर मधुमिता, मीनाक्षी या फिर कोई और : अधिकांश मामलों में तो संरक्षकों की भूमिका में खड़े लोगों ने ही बच्चियों को मौत के घाट उतारा : जो मामला खुल गया, उसमें फंसे अपराधी, बाकी खुलेआम कर रहे है ऐश : होश बेकाबू कर देती हैं सपनों पर सवार बच्चियां, श्रंखला- दो :

कुमार सौवीर

नई दिल्‍ली : गुड़गांव में मौत के घाट उतारी गयी पत्रकार पूजा तिवारी का मामला ही देख लीजिए। आप पायेंगे कि सपनों के पंख लगाये युवतियां जोश में बेहोश होकर आनन-फानन फैसले कर लेती हैं। लेकिन कई ऐसे मामले दर्ज हो चुके हैं, जहां ऐसी तितलियों को किसी ने दबे-पांव दबोचा, फुसलाया और फिर बहुत शातिराना अंदाज में उनके सपनों के पंखों को मनचाहा आकार दिया, नोंचा, उखाड़ा या फिर उन्हें  हमेशा-हमेशा के लिए बे-पर कर दिया। कुछ भी हो, ऐसे आपराधिक शिकंजों में ऐसी युवतियां बुरी तरह फंस जाती हैं। अक्‍सर जान-बूझ कर, तो कभी अनायास। 

लेकिन जब उन्‍हें अंजाम का पता चलता है, कि उनके हाथों में अब कुछ भी नहीं बचा, तो उनके हाथों से तोते उड़ जाते हैं। नतीजा, कई महिलाएं सीधे मौत को गले लगा लेती हैं। अभी पिछले हफ्ते ही गुरूग्राम (गुड़गांव) में एक महिला पत्रकार द्वारा की गयी आत्‍महत्‍या में ऐसी साजिशों के इस पहलू को पूरी तरह समझा जा सकता है। मूलत: मध्‍यप्रदेश की रहने वाली पूजा तिवारी अपने को साबित करने की कोशिश करने को खुद में सपनों के पंख टांक कर सीधे राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गुड़गांव में पहुंच गयी। वहां उसके सपनों को ऐसे-ऐसे क्रूर झोंके दिये गये, कि आखिरकार कल की बेइंतिहा हौसलेमंद और जोशीली युवती पूजा तिवारी अब अतीत में छिप गयी। ऐसी महिलाओं पर मेरी बिटिया डॉट कॉम पर सिलसिलेवार लिखा जा रहा है। कृपया इससे जुड़े अंकों को देखना न भूलें।

बहरहाल, जो इन में से जिन युवतियों ने जरा सी भी होशियारी दिखाने की कोशिश करती हैं, जो अपने खिलाफ चल रही साजिशों के खिलाफ जंग छेड़ने पर संकल्‍प ले लेती है, जो खुद को सर्वथा प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद खुद को साबित करने की हिम्‍मत जुटाती हैं, तो उनमें से ज्‍यादातर को पूरी निर्दयता के साथ मौत के घाट उतार दिया जाता है। हकीकत यही है कि यही दुर्भाग्‍य है कि मधुमिता शुक्‍ला जैसी युवतियां आखिरकार मार डाली जाती हैं। किसी एक निहायत खामोश साजिश के तहत उनका नाम-निशान खत्‍म करने की साजिश होती है। अब यह दीगर बात है कि मधुमिता की बहन निधि शुक्‍ला जैसी युवतियां भी हमारे आसपास मिल जाती हैं, जो अपनी बहन को भले न बचा पाती हों, लेकिन आखिरकार अपनी बहन के हत्‍यारों को हमेशा-हमेशा के लिए जेल में सड़ा डालने की हिम्‍मत साबित कर देती हैं। मेरी बिटिया डॉट कॉम ऐसे हादसों पर भी लगातार हस्‍तक्षेप कर रहा है। इस रिपोर्ट के लिए इसमें क्रमश: प्रकाशित किया जा रहा है।

बिना किसी आधार के और बिना किसी जानकारी के आग में कूद पड़ना भी खासा खतरनाक होता है। अक्‍सर आत्‍महत्‍या तक की सीमा तक साबित हो जाती है ऐसी हरकतें। खास कर युवतियों के मामलों में तो हालात ज्‍यादातर घटनाओं में मौत तक पहुंच कर ही खत्‍म होते हैं। बालीवुड में अपनी जगह बनाने मुम्‍बई पहुंची मीनाक्षी थापा अभी तक एक जिन्‍दा नाम था। आज उसकी तस्‍वीर उसके घरवालों तक में मौजूद नहीं रही। मीनाक्षी एक जूनियर आर्टिस्‍ट थी। वह अपने सपनों को पंख दिलाने के लिए बम्‍बई पहुंची थी। फिल्म ‘हीरोइन’ में उसे मौका मिला।  लेकिन इसके पहले ही हालातों ने इतना क्रूर हमला किया, कि मीनाक्षी थापा का सपना साकार होने से पहले ही टूट गया| बाद में उसकी लाश इलाहाबाद में मिली। वह भी सिर विहीन।

कई ऐसे युवतियां ऐसी होती हैं जो पूरी खुद्दारी के साथ सामना करती हैं। माना कि वे लोग अपने सारे सपने पूरा नहीं कर पाती हैं, लेकिन इसके बावजूद वे रूपहली जिन्‍दगी को हासिल कर ली लेती हैं। भले ही उन्‍हें वेश्‍यावृत्ति का ही सहारा क्‍यों न लेना पड़े। लेकिन खुद्दारी की बात तो देखिये कि इसके बावजूद वे अच्‍छे–खासों के केवल कान ही नहीं, बल्कि उनके नाक और उनकी किस्‍मत तक कुतर डालने का हौसला रखती हैं। कई बरसों पहले लखनऊ के एक बड़े होटल में दो बड़े नेताओं को खचाखच भरे होटल में नाक रगड़वा लेने जैसा दमखम दिखाने कोई हंसी-ठट्टा नहीं था। सी-ग्रेड की अदाकारा इस युवती को मुम्‍बई में वेश्‍यावृत्ति के लिए इन दोनों शातिर और खासे नामचीन नेताओं ने एक मंत्री की हवस पूरी करने के लिए एक लाख रूपयों के लिए बुलाया था, लेकिन उसके बाद उसने उनकी करतूतों का ऐसा भांड़ा फोड़ा कि आखिरकार उसने अपने साथ हुई पाशविक करतूतों की कीमत पूरे दस  लाख रूपया वसूल लिया।

हां, अंत में ऐसी युवतियों में ऐसी भी महिलाएं भी खूब रही हैं, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए खुद  को समर्पित कर चुकीं। उनमें से एक ने तो अपना बच्‍चा भी उत्‍पन्‍न किया। लेकिन यह रिश्‍ता दोनों ही ने खामोश ही रखा। हां, बच्‍चे के बाप ने उस महिला को मुआवजा जरूर भारी भरकम दिया होगा। लेकिन आखिरकार उसके बच्‍चे ने ही इस पूरे मामले का भांडा-फोड़ कर दिया। लेकिन उसकी यह कहानी अंतत: एक खुशनुमा रिश्‍ते में तब्‍दील हो गयी। ऐसे ही प्रकरणों में मेरी बिटिया डॉट कॉम लगातार लेख श्रंखला के तौर पर प्रकाशित कर रहा है।

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