अयोध्‍या की पत्रकारिता में चरस बो रहा है सूचना उपनिदेशक

बिटिया खबर

: सरकारी कारिंदा तय करेगा अयोध्या से कौन होगा जनसत्ता का पत्रकार : इच्छा शक्ति, मखदूम मेल, उदेतित सविता, नैतिक विकास, जिज्ञासु कुंज, ग्राम वार्ता, सूर्योदय भारत, अमरेश दर्पण, कौमी हालात, गुजराती न्यूज़ सर्विस, कौमी फलाह, वारिस ए अवध जैसे नाम पर मान्‍यता करायी मुरलीधर सिंह ने :

ओमप्रकाश सिंह

अयोध्या : अखबारों में संपादकों की नियुक्ति समूह सम्पादक ( मालिकान ) तय करते हैं फिर पत्रकारों की नियुक्ति संपादक द्वारा होती है। अब तक यही होता चला आया है, लेकिन संपादकों के इस अधिकार को छीनने की सरकारी कोशिश हो रही है। वो भी मर्यादा पुरुषोत्तम की नगरी अयोध्यापुरी में। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग अयोध्या में उप निदेशक ने जनसत्ता अखबार के कार्यकारी संपादक को पत्र लिखकर जिला संवाददाता को मान्यता देने से मना कर दिया है। बल्कि इशारों-इशारों में निर्देश दिया है कि मेरे फरमान पर अमल करो ।
रामनगरी अयोध्या में सूचना विभाग उप निदेशक मुरलीधर सिंह ने प्रेस क्लब सचिव त्रियुगीनारायण तिवारी को निशाने पर रखकर चरस बो रखा है। कारण साफ है कि जनसत्ता का ये पत्रकार जुझारू पत्रकार है। त्रियुगी नारायण ख़बर के लिए बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। किसी अफसर की चटुकारिता में लिप्त नहीं रहते, लेकिन इनका गुनाह ये है कि अयोध्या प्रेस क्लब (सोसायटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड संस्था ) के सचिव हैं औऱ प्रेस क्लब के ज़िम्मेदार निगबान भी। सूत्र बताते हैं कि पत्रकार को कंट्रोल में करने के लिए एक आपराधिक किस्म के पत्रकार को मोहरा बनाकर रजिस्टर्ड संस्था पर कब्जा करके खुद प्रशासक बनना चाहता है। इस साजिश में उप सूचना निदेशक मुरलीधर सिंह भी कूद पड़े बताते हैं। खबर के अनुसार मुरलीधर सिंह ने प्रेस क्लब की गतिविधियों पर एक जांच समिति का गठन करवाया और समिति में खुद मेंबर भी बन गया। एकतरफा जांच में प्रेस क्लब की गतिविधि को संदिग्ध करार देकर शासन से प्रशासक नियुक्ति करने की मांग कर डाली।
इस रिपोर्ट पर आला अधिकारियों ने नोटिस नहीं लिया तो जांच समिति के गोपनीय निर्णय की फोटोकापी करके अपने मोहरे को दे दिया कि बेटा लग जा अपने काम पर, औऱ इनको बदनाम कर डाल तुझको ईनाम मैं दूंगा। एक चिट्ठी पर सहारा लेकर प्रेस क्लब सचिव पर मुकदमा दर्ज करवा दिया। जब इस पर भी अपेक्षित कारवाई नहीं हुई तो प्रेस क्लब सचिव से खुन्नस खाए उप निदेशक ने जनसत्ता अखबार के कार्यकारी संपादक महोदय को ही पत्र लिख मारा। पत्र में मुरलीधर सिंह ने मांग की है कि पत्रकार की अखबारी मान्यता समाप्त किया जाए क्योंकि इनपर अभियोग दर्ज है। सूचना के महत्वपूर्ण पद में बैठे इस अफसर को पता होना चाहिए कि अभियोग तो देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व मुख्यमंत्री पर भी दर्ज हुए थे या हैं। लेकिन क्या वो दोषी हो गए। आजकल जहां बदले की कार्रवाई के तहत एक दूसरे को झूठे मामले में फँसा देने का चलन हो वहां मुकदमा के आधार पर ये पत्रकार को उनके संस्थान से हटवाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।
एक समय था, जब जनसत्ता अखबार की हेडलाइन देखते ही सत्ता को जूड़ी-बुखार हो जाती थी। अब यह हालत है कि योगी सरकार का एक अदना सा अधिकारी जनसत्ता की सम्पादकीय सत्ता को सलाह दे रहा है कि किस पत्रकार को कहाँ रखिए या मान्यता निरस्त करिए। ये तो नहीं मालूम कि जनसत्ता अखबार इस पर क्या निर्णय लेगा लेकिन सरकारी हस्तक्षेप या दूसरी भाषा में कहें कि अपनी आपसी खुन्नस निकालने के लिए यह कोशिश प्रत्येक मीडिया संस्थान को भी नागवार लगनी चाहिए।
यही नहीं मोदी को भगवान शंकर, योगी को भर्तृहरि व संघ प्रमुख मोहन भागवत को वृहस्पति का अवतार बताने वाले उप-सूचना निदेशक ने रामनगरी में फर्जी मान्यता देने की मंडी खोल रखी है। शासन ने पत्रकारों के लिए मान्यता की जो शर्तें रखी हैं उसे कुचलकर उप सूचना निदेशक मुरलीधर सिंह ने जिला सूचना कार्यालय में अपना काला साम्राज्य स्थापित कर रखा है।
जिन अखबारों के नाम पर उप सूचना निदेशक ने मान्यता की रेवड़ियां बांटी हैं, उनके नाम सुनकर आप चौंक जाएंगे। इच्छा शक्ति, मखदूम मेल, उदेतित सविता, नैतिक विकास, जिज्ञासु कुंज, ग्राम वार्ता, सूर्योदय भारत, अमरेश दर्पण, कौमी हालात, गुजराती न्यूज़ सर्विस, कौमी फलाह, वारिस ए अवध यह सब नाम अखबारों के हैं। यह अखबार आपको दिखते हों या ना दिखते हों, लेकिन अयोध्या के जिला सूचना कार्यालय ने बड़ा गोरखधंधा कर ऐसे हवा- हवाई अखबारों के नाम पर खूब मान्यता बांटा है। यह खेल सहायक सूचना निदेशक का है। फर्जी पत्रकारों कि फौज खड़ी करने के बाद भी जब हवस नहीं मिटी तो प्रेस क्लब को ही हड़पने की साजिश रच डाली।
बताते चलें कि ये उपनिदेशक इसके पहले कमिश्नर को भी पत्र लिखकर पत्रकारों के कार्यक्रम में जाने से रोक चुका है जो कि घनघोर कदाचार के अंतर्गत आता है अरे कमिश्नर कोई चिड़ीबाज अफसर तो है नहीं जिसको डायरेक्टर पत्र लिखकर तुम निर्देश देते।

मैं अयोध्या प्रेस क्लब की सरकारी बड़की बुआ हूँ यार
पद्मश्री: ढाई हजार लाश को पचीस हजार गिन डाला पत्रकारों ने
अयोध्‍या में माफियाओं का नेता है जगद्गुरु परमहंस दास!
राम राम अयोध्‍या। हम चले। अब कभी न लौटेंगे
विधायक जी सरपट भागे, मिल्खा को पछाडा, नीलगायें अवाक
फैजाबाद में आज जो ईमानदारी की बीन बजा रहे हैं, वो कभी दुधवा के जंगल में उजड्डई करते थे
जातीय उन्‍माद नहीं, निष्‍ठा पर जिंदा है पत्रकारिता: कमर वहीद नकवी
अयोध्‍या में बवाल, असल रामराज तो सिर्फ मिजोरम में है
गुमनामी बाबा: जस्टिस सहाय ने किया लफड़ा खत्‍म
गुमनामी बाबा: नेताजी को लेकर बेशुमार गालियां
यह मुसलमानों के फुफ्फा हैं, बोले:- अयोध्‍या में नमाज नहीं हो सकती
चाहे अयोध्‍या हो, मथुरा या फिर पंचकुला, भीड़ जुटाने का मतलब सिर्फ रक्‍तपात
निर्मल अयोध्‍या में क्रूर राजनीति कूद पड़ी, और हो गया विध्‍वंस
शैव तो उग्र थे, अयोध्‍या में अचानक कैसे फाट पड़े
डॉक्‍टर अखिलेश दास: जिसका हर मित्र क्रीत-दास था। यानी खरीदा हुआ
रामायण तो हुआ, पर अखिलेशायण शायद नामुमकिन हो
यादव-कुल में कलह: न वे दशरथ बन पाये, न यह राम
ग्राहको को लूट लिया बैंक मैनेजर ने। राममंदिर के लिए
मंजिल बनी अयोध्‍या, और वहीं से मर्यादित वैष्‍णवों में उग्रता भड़की
दारोगा जी ! इस पत्रकार को फांसी पर लटका दो
तुम हर जगह पिटते हो पत्रकार जी ! थोडी शर्म करो
पत्रकार बने घूस से मास्‍टर, इश्‍क बच्‍ची से, जूते सिर पर
शैव-वैष्‍णव तनाव: प्राचीन काल से अयोध्‍या तक
बहुत मर्दानगी चढ़ गयी है यूपी की पुलिस में, हर दुराचार में अव्‍वल
अयोध्‍या, कश्‍मीर, मथुरा पर तुम खामोश रहे, अब तुम्‍हें भोपाल पर बोलने का अधिकार नहीं मुसलमान मित्रों
अयोध्‍या में फायरिंग पर मुलायम का ताजा बयान: क्‍या वाकई सपा को बहुत पसंद आ चुका है खून का स्‍वाद ?
माना कि बलिया का डीएम चोर है। लेकिन तुम क्‍या हो पत्रकार जी ?
बार संघ व व्यापार मंडल नेताओं ने कहा: #@&^*% है मधुकर तिवारी
डीएम गुस्‍से में चिल्‍लाया: सांडा के तेल की शीशी फेंको, सल्‍लू को भगाओ
महान संपादकों ने निहाल किया, तो ओछे और छिछोरे भी मिले
बेटी को घूरते छिछोरे पत्रकार को डांटा था मशहूर शायर वामिक जौनपुर ने

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *