अंधभक्ति नहीं, लेटेस्‍ट लैबोरेट्री के लिए सौंपा 85 करोड़ रुपया

बिटिया खबर

: देश में तकनीकी सकारात्‍मक सोच जरूरी, घृणास्‍पद अन्‍ध राष्‍ट्रभक्ति में नहीं : अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में शोधकर्ताओं को मिलेगा नए स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एससीएआई) में स्‍थान : अखबार द हिन्‍दू ने विस्‍तार से खबर ब्रेक की, बाकी अखबार व चैनल खामोश : अम्‍बानी परिवार भी केदारनाथ-बद्रीनाथ पर एक लाख रुपया भी अर्पित करता है :

कुमार सौवीर

लखनऊ : ऐसे दौर में जब इंजीनियरों, डॉक्‍टरों समेत तकनीकी क्षेत्र में जुड़े अधिकांश भारतीय लोग देश में अंधभक्ति का नारा लगा रहे हैं, देश में धार्मिक अंधविश्‍वास ही नहीं बल्कि घृणा का माहौल बना रहे हैं, ऐसी हालत में जब कोई एक तकनीकी विशेषज्ञ अपने मूल क्षेत्र के विकास के लिए अपना सर्वस्‍व न्‍यौछावर कर रहा हो, तो अचरज की बात ही तो है। खबर है कि दिल्‍ली के भारतीय राष्‍ट्रीय तकनीकी संस्‍थान के एक पूर्व छात्र ने अपने संस्‍थान की शैक्षिक उन्‍नति के लिए पूरा दस मिलियन डॉलर समर्पित कर दिया है। इसके लिए इस पूर्व छात्र ने कोई शर्त नहीं लगायी है, बल्कि लोगों से अपील की है कि वे देश में तकनीकी और उसकी सकारात्‍मक सोच की दिशा में समर्पित काम करें और उस दिशा में सार्थक प्रयास करें।
वाकई, यह तो कमाल का इंजीनियर निकला। खास तौर पर तब, जब मुल्‍क में तकनीकी, चिकित्‍सा जैसे विशेषज्ञों की विशाल भीड़ सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेश तक में पसर कर देश में तथाकथित हिन्‍दू राष्‍ट्रभक्ति का राग अलापते हुए घृणा की एक नयी घिनौनी खेती में जुटे हैं, उस समय ऐसे अद्भुत इंजीनियर का अपने मूल क्षेत्र यानी अत्‍याधुनिक तकनीकी के विकास के लिए अपना बहुत कुछ न्‍यौछावर कर दिया है। भारत के रहने वाले इस इंजीनियर का नाम है अनन्‍त यार्डी। अभी कुछ बरस पहले ही अनन्‍त यार्डी ने अमेरिका में एक नया संस्‍थान स्‍थापित किया था, जिसका नाम है यार्डी सिस्‍टम्‍स। यार्डी इस संस्‍थान के संस्‍थापक हैं। यह संस्‍थान उत्‍तरी अमेरिका में अत्‍याधुनिक तकनीकी शिक्षा और शोध की दिशा में समर्पित है। खबर के मुताबिक यह संस्‍थान अचल संपत्ति, चल संपत्ति और संपत्ति प्रबंधन के समाधान की दिशा में सुविधाएं मुहैया कराता है।
देश के प्रमुख जागरूक दैनिक अखबार द हिन्‍दू ने इस बारे में विस्‍तार से यह खबर ब्रेक की है। लेकिन हैरत की बात है कि इस खबर को फिलहाल किसी हिन्‍दी अखबार या चैनल ने दिखाने लायक ही नहीं समझा है। द हिन्‍दू के संपादक ने अपने दायित्‍वों के लिए अपने पाठकों से आर्थिक सहयोग की अपेक्षा की है, लेकिन चूंकि दोलत्‍ती डॉट कॉम के पास आर्थिक संसाधन न्‍यूनतम हैं, इसीलिए हम फिलहाल द हिन्‍दू की आर्थिक स्थिति में योगदान कर पाने में असमर्थ हैं।
द हिन्‍दू में छपी खबर के अनुसार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली के पूर्व छात्र, अनंत यार्डी ने अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं को बनाने और प्रतिभाशाली छात्रों और शोधकर्ताओं को अपने नए स्थापित स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एससीएआई) में आकर्षित करने के लिए अपने अल्मा मेटर को 10 डॉलर मिलियन की रकम का उपहार दिया है। उन्होंने संस्थान के 52वें दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर घोषणा की और कहा कि उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्कूल में योगदान देने और आईआईटी दिल्ली को शिक्षा और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट कार्य को जारी रखने में मदद करने में प्रसन्नता हो रही है।
“आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रौद्योगिकियां वैश्विक परिवर्तनों को चला रही हैं, और औद्योगिक, सामाजिक और पर्यावरणीय परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हम वाणिज्यिक और सामाजिक अनुप्रयोगों को सक्षम करने के लिए एससीएआई को एआई, मशीन लर्निंग और डेटा साइंस में शिक्षा और अनुसंधान को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं, ”श्री यार्डी ने कहा।
संस्थान में बिताए पांच वर्षों के बारे में बोलते हुए, श्री यार्डी ने कहा कि आईआईटी दिल्ली में अपने समय के दौरान उन्होंने जो शिक्षा प्राप्त की वह जीवन भर चली। वी. रामगोपाल राव, निदेशक, आईआईटी दिल्ली, ने कहा कि किसी राष्ट्र की भविष्य की प्रगति उसकी एआई क्षमता पर निर्भर करेगी और श्री यार्डी का उपहार एआई और संबंधित क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान को उत्प्रेरित करेगा और न केवल एससीएआई और आईआईटी दिल्ली को बल्कि दिल्ली को आगे बढ़ाएगा। श्री राव ने कहा कि यह सबसे बड़ा उपहार था जो संस्थान के पूर्व छात्रों ने दिया था जब से उन्होंने संस्थान तक पहुंचना शुरू किया और उन्हें संस्थान को वापस देने के लिए कहा।
ScAI के संस्थापक प्रमुख प्रो. मौसम ने कहा कि नए स्कूल को देश में AI शोधकर्ताओं के विकास और समर्थन के लिए और वैश्विक AI मानचित्र पर IIT दिल्ली के स्थान को मजबूत करने के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एआई के क्षेत्र में देश को मजबूत करने के लिए फंडिंग से दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं और फैकल्टी को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
मिस्टर यार्डी के पास एम.एस. बर्कले में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में, और आईआईटी दिल्ली से बी.टेक (निदेशक का स्वर्ण पदक विजेता)। AI का स्कूल IIT दिल्ली का छठा स्कूल है जिसे सितंबर 2020 में स्थापित किया गया था।
आपको बता दें कि सन-05 में दुनिया के सबसे बड़े इस्‍पात व्‍यवसायी और लंदन में बसे लक्ष्‍मीविलास मित्‍तल की मौजूदगी में उनकी पत्‍नी ने बीएचयू को पांच करोड़ रुपयों का दान अर्पित किया था। वैसे भी मुकेश अम्‍बानी भी अक्‍सर केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम पहुंच कर वहां एक लाख से लेकर पांच लाख रुपयों की आर्थिक मदद किया करते हैं। हालांकि एक बार उन्‍होंने अपने परिवार पहुंच कर एक करोड़ रुपयों की कीमत वाला मुकुट बद्रीनाथ भगवान की मूर्ति पर अर्पित किया था।

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