: समानता, स्वतंत्रता, दलितों.पिछड़ों को आरक्षण, जैसे अधिकारों की वकालत की सरदार पटेल ने : संविधान निर्माण की 17 समितियों में से एक के अध्यक्ष थे अम्बेदकर :
सत्येंद्र पीएस
नई दिल्ली : सरदार पटेल जैसी शख्सियत को आज मुसलमान:विरोधी व्यक्ति के तौर पर खूब प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन सच इससे उलट है। हकीकत तो यही है कि समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, दलितों और पिछड़ों को आरक्षण, दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार, अल्पसंख्यकों को अपने संस्थान खोलने का अधिकार सरदार पटेल ने दिलाए थे। लेकिन शर्मनाक बात तो यह है कि संघ या भाजपा में आज इतनी भी हिम्मत नहीं है कि वे इस सच को कुबूल सकें।
भारत के संविधान के निर्माण के लिए मुख्य रूप से 17 समितियां बनी थीं। उसमें 3 समितियों के चेयरमैन राजेन्द्र प्रसाद थे। 3 के चेयरमैन जवाहरलाल नेहरू थे। मसौदा समिति के चेयरमैन बीआर अम्बेडकर थे। यह तो अमूमन सबको पता ही होगा।
उसी संविधान बनाने वाली एक समिति के चेयरमैन सरदार बल्लभ भाई पटेल नाम के एक सज्जन भी थे। सम्भव है कि कुछ लोगों को यह भी पता हो। संभवतः कुछ लोगों को यह भी पता हो कि पटेल जिस समिति के चेयरमैन थे, वह संविधान में मूल अधिकार, अल्पसंख्यक और जनजातीय मामलों पर बनी समिति थी।
भगवान ही बताएंगे कि आज तक यह प्रचारित क्यों नहीं किया गया कि समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, दलितों और पिछड़ों को आरक्षण, दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार, अल्पसंख्यकों को अपने संस्थान खोलने का अधिकार सरदार पटेल ने दिलाए थे। वंचित तबके को संरक्षण व अधिकार देने पर पटेल की ही आखिरी मुहर थी।
उन्हें संघी बताने का अपराध किन लोगों ने किया? यह क्यों नहीं बताया गया कि इस देश के वंचित लोगों,अल्पसंख्यकों, आदिवासियों को जो कुछ भी मिल पाया है (लिखित रूप से और किताबी ही सही) उसके पीछे सरदार पटेल थे।
वह कौन दुष्ट लोग थे जिन्होंने पटेल को डिफेम किया कि वह मुसलमानों के खिलाफ घृणा का भाव रखते थे? मरते दम तक गांधी के रास्ते पर चलने वाले पटेल की छवि किन लोगों ने बनाई कि वही बापू के हत्यारे थे? बापू की हत्या के बाद महज 2 साल तक जिंदा रहे पटेल पर किन लोगों ने यह आरोप मढ़ा कि उन्होंने ही साम्प्रदायिक धार्मिक अपराधियों को फलने फूलने दिया, जबकि सरदार सिर्फ 3 साल गृहमंत्री रहे?
इसी आपराधिक स्वार्थ वाले दुष्प्रचार की देन है कि आज आरएसएस जैसा संगठन देश की संसद से सड़क तक काबिज हो गया है।