अखिलेश अब मुलायम नहीं, निजी छवि बनाने में जुटे हैं तो क्‍या हर्ज

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: मुख्‍तार अंसारी का विरोध सिर्फ दिखावा, अखिलेश-सरकार ने हमेशा अपराधियों के लिए काम किया है : अखिलेश-सरकार तो वाकई दुर्दान्‍त अपराधियों की शरणास्‍थली थी, अखिलेश को खूब पता था : मूलत: अपराधी ही है गोंडा का पंडित सिंह रहा हो, कुशीनगर का या फिर शाहजहांपुर का राममूर्ति वर्मा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : मुलायम सिंह के परिवार में इस समय आपसी कलह जारी है। जानकारों का कहना है कि सपा सुप्रीमो ने जो निशाना साधा है उससे समाजवादी पार्टी को कई फायदें होंगे।

कुछ लोग इसमें मुलायम सिंह यादव का लाभ देख रहे हैं, कुछ लोग शिवपाल सिंह यादव की जेबें भारी महसूस कर रहे हैं तो कुछ लोगों का लगता है कि सपा सरकार के इस अवसान के अवसर पलों में अखिलेश यादव अब अपनी निजी छवि को सख्‍त प्रशासक के तौर पर पेश करने की कवायद में हैं, जो उनके चाकलेटी चेहरे से सर्वथा प्रतिकूल रहे और अगले चुनावी युद्ध में अखिलेश यादव अपने खाते में कुछ ठोस हासिल कर सकें।

लेकिन जानकारों का कहना है कि पिछले पांच दिनों के भीतर अखिलेश यादव ने जो भी कदम उठाये हैं, वे सख्‍त तो हैं, लेकिन फिलहाल मारक होने के बावजूद वे उनके खाते में कोई खास लाभ नहीं दिला पायेंगे। बल्कि इसका हश्र केवल यह होगा कि समाजवादी पार्टी में हंगामा होगा, भगदड होगी और अन्‍तत: इसका नुकसान केवल समाजवादी पार्टी को ही लगेगा। और इतना नुकसान होगा, कि शायद रिकार्ड बन जाए।

सपा के ताजा बवंडर पर मुलायम सिंह यादव के भाई रामगोपाल यादव के बयान को गौर से देखिये तो आपको साफ पता चल जाएगा कि सपा में क्‍या हालत है और मुलायम सिंह यादव के बारे में क्‍या-क्‍या राय बनती जा रही है। रामगोपाल ने आज सुबह बयान दिया है कि यह सारी करतूत अमर सिंह की है, जिसका मकसद सपा को बर्बाद करना ही है। राम गोपाल यहां तक बोले हैं कि मुलायम सिंह ने अमर सिंह को इतनी ताकत देकर गलती की है।

अपने इसी बयान में रामगोपाल ने यह तक कह दिया कि मुलायम सिंह मूलत: सरल व्‍यक्ति हैं और उनकी सरलता का अनुचित लाभ बाकी लोग उठा ही लेते हैं। अमर सिंह जैसे लोग ऐसे ही लोगों में से एक हैं जिन्‍होंने मुलायम सिंह यादव जी की सरलता का नाजायज लाभ उठाया है और इसका नतीजा यह निकला कि समाजवादी पार्टी की चूलें हिल गयीं। वे मानते हैं कि इस भितरघात का भारी नुकसान सपा को मिलेगा। जाहिर है कि लोग खूब समझते हैं कि सरलता का मतलब सपा के प्रभावित लोगों के निजी हितों से है, सपा या आम आदमी की सरलता से नहीं। फिर सरलता का मतलब समग्रता से इस्‍तेमाल करना केवल बेमानी ही तो है। बोलिये, है कि नहीं ?

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