एमपी-एमएलए में भारी तकरार, मंत्री सिद्धार्थनाथ बुक्‍का फाड़े हैरान

बिटिया खबर
: बस्‍ती के विधायक ने उठाया समाजसेवी युवको की रात में गिरफ्तारी पर सवाल : सोशल मीडिया के दो पत्रकारों व समाजसेवियों पर कार्रवाई पर ऐतराज : किस आधार पर कप्‍तान ने युवकों को घर से उठाया, यह गंभीर मामला है :

बीएन मिश्र
बस्‍ती : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह बने रहे मूक दर्शक, जब यहां के विधायक ने समाज सेवी युवको की रात में गिरफ्तारी का उठाया था।सांसद ने कहासुनी और पुलिस ने अमानवीय व्यवहार की बात नकारी।
आयुक्त सभागार में बुधवार को सूबे के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के सामने सांसद हरीश द्विवेदी व विधायक कप्तानगंज सीए चंद्रप्रकाश शुक्ल में तेज आवाज में नोकझोंक होने से हलचल मच गई। हालांकि बैठक में मौजूद अन्य विधायकों के हस्तक्षेप से मामला शांत हो गया। कप्तानगंज के विधायक का आरोप था कि सोशल मीडिया के दो पत्रकारों व समाज सेवीयो पर जो कार्रवाई हुई वह गलत है। इससे सांसद नाराज हो गए।
प्रभारी मंत्री की बुधवार को यहां पांचों विधायक व सांसद के साथ बैठक हो रही थी। विधायक सीए चंद्रप्रकाश शुक्ल ने मंत्री के सामने मुद्दा उठाते हुए कि मंगलवार रात सोशल मीडिया पर लिखने वाले दो पत्रकारों को व समाज सेवी युवको गिरफ्तार किया गया है, यह गलत है। उनकी बात से मंत्री भी सहमत हुए और पुलिस की कार्रवाई को गलत बता दिया। इसी बात पर सांसद हरीश द्विवेदी व विधायक में तेज आवाज में कहासुनी शुरू हो गई। इससे बैठक में हलचल मच गई।
विधायक चंद्रप्रकाश शुक्ल ने सांसद से कहासुनी की बात स्वीकारते हुए कहा कि मैंने सोशल मीडिया पर लिखने वाले दो पत्रकारों व समाज सेवी को आईटी एक्ट में निरुद्ध कर पुलिस मंगलवार रात जिस अमानवीय ढंग से ले गई, उसे मंत्री के सामने रखा। यह कानूनन भी अनुचित था। हालांकि मैने व सदर विधायक ने रात में ही एसपी से बात कर दोनों को छुड़वा दिया था। मेरे तर्क से मंत्री सहमत हुए। इसी बात को लेकर सांसद हरीश द्विवेदी खफा हो गए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी को है। यदि ऐसा न होता तो कन्हैया कुमार का अफजल हम शर्मिंदा है… का बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं करार दिया जाता।

वहीं सांसद हरीश द्विवेदी ने ऐसी किसी भी घटना से इंकार करते हुए कहा कि मुझसे कहीं कोई नोकझोंक नहीं हुई है। एसपी दिलीप कुमार ने कहा कि रात में दो लोगों को पुलिस ने उठाया था उनके खिलाफ आईटी एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ है, लेकिन दफा 41 की नोटिस देकर उन्हें घर जाने दिया गया। पुलिस ने उनके साथ अमानवीय व्यवहार नहीं किया। यह आरोप निराधार है।

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