भाजपा में स्‍वाति: जलकुम्‍भी को पारिजात का ओहदा

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: दयाशंकर सिंह का वेश्‍या-काण्‍ड के बावजूद कैसे जातीय विद्वेशों से पार पायेगी भाजपा : खुद कुछ नहीं उगा पाये भाजपाई, लेकिन वेश्‍या, दर-वेश्‍या की समीकरण को भुनाने पर आमादा : स्‍वाति को महिला मोर्चा थमाने से साबित हुआ कि पार्टी में जुझारू कार्यकर्ता हमेशा हाशिये पर ही रहेंगे :

कुमार सौवीर

लखनऊ : इक छुटभैया नेता ने बसपा सुप्रीमो मायावती की तुलना किसी घनघोर वेश्‍या से कर दिया, तो बसपा की ओर से प्रतिक्रिया में दंगा-बवाल होने लगा। नसीमुद्दीन जैसे निरा-मूर्ख बसपाइयों ने राजधानी के हजरतगंज में भीड़ जुटायी और उस नेता की मां-बहन-बेटी को अश्‍लीलतम गालियां देना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, ज्‍यादा ही जोश में आ चुके नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे नेताओं ने यहां तक खुलेआम ऐलान कर दिया कि दयाशंकर की मां-बहन और पत्‍नी-बेटी को यहीं बुलाओ, उन्‍हें यहीं पर::::::

उस नेता के घिनौने बयान पर भाजपा तो पहले भौंचक्‍का हो चुकी थी। आनन-फानन पार्टी ने दयाशंकर सिंह को बर्खास्‍त कर दिया था। लेकिन जब हजरतगंज में बसपाइयों ने अपनी नंगई का प्रदर्शन किया तो भाजपा को स्‍वातिसिंह-प्रकरण एक अनमोल अस्‍त्र दिखा। उसने उस नेता की पत्‍नी और उसकी बेटी को आगे किया और भाजपा को बैकफुट पर खड़ा कर दिया। इन मां-बेटी को शिखंडी बना कर पीठ-पीछे भाजपा ने बसपा और मायावती पर जमकर गोला-बारूद छुड़ाया कर दशहरा मनाया और अब दीपावली की तैयारी के तहत अब स्‍वाति सिंह को उप्र भाजपा महिला मोर्चा का अध्‍यक्ष बना दिया।

यानी जो कहीं भी नहीं था, भाजपा ने उस जल-कुम्‍भी को तालाब से निकाल कर अपने राज्‍य मुख्‍यालय पर सुशोभित कर दिया। लेकिन इसके बाद से ही अब भाजपा पर बवंडर मचना तय हो चुका है। खास तौर पर उन क्षेत्रों और लोगों की ओर से जो अब तक भाजपा के निष्‍ठावान कार्यकर्ता रहे हैं। यूपी में हजारों-लाखों बेहद जोशीली और प्रतिभाशाली महिलाएं  लगातार सपा सरकार के खिलाफ जोरदार अभियान-संघर्ष छेडे हुए हैं। इनमें से अधिकांश में से तो ऐसी महिलाएं हैं, जो उन्‍होंने अपने परिवार और भविष्‍य तक को दांव पर लगा दिया। उनके पास संघर्ष का एक लम्‍बा-चौड़ा इतिहास है, जबकि प्र‍ाप्तियों की न्‍यूनतम उपलब्धियां। मगर स्वाति सिंह उस समय सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी और कहा था कि मायावती यूपी में किसी भी सामान्य सीट से चुनाव लड़ें, वो खुद उनके खिलाफ चुनाव लड़ेगी।

जाहिर है कि स्‍वाति को लेकर भाजपा में झोंटा-नुचव्‍वर भले ही सतह पर नहीं आ पाये, लेकिन भितरघात तो बेहिसाब होगा।

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