माया के चरण-चांपकर बीवियों को मंत्री बनाइये :

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: घरवालों में ही बंट रही है बसपा की रेवडि़यां :

: पतियों की वफादारी के इनाम में पत्नियों की चांदी :

: बडे ओहदों के लिए योग्‍यता केवल माया-मेम का चरण-चुंबन :

: ज्‍यादातर की तो हैसियत ही नहीं ऊंचे ओहदे सम्‍भालने की :

: मायावती ने अपने हर करीबी की बीवी को बख्‍शा ओहदा :

: मुख्‍यमंत्री का सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय का नारा बेनकाब :

यूपी की माया-सरकार में सरकार या किसी आयोग-निगम में लालबत्‍ती हासिल करने के लिए अब किसी योग्‍यता की आवश्‍यकता नहीं। बस आप में बहन जी की चापलूसी और चरण चांपने की कूवत होनी चाहिए। फिर आपको तो मलाई का दोना तो मिलेगा ही, आपकी बीवी-बच्‍चों या भाई-बहनों तक को राज्‍यमंत्री या मुख्‍य सचिव के बराबर का ओहदा अता फरमा दिया जाएगा। ताजा मामला है खदीजा-तुल-कुबरा का। यह मोहतरमा अब तक घर में चूल्‍हा-चक्‍की ही करती थीं। कोई सार्वजनिक जीवन नहीं। लेकिन अब वे प्रदेश के मुख्‍य सचिव के बराबर का ओहदा रखती हैं। तीन रोज पहले वह आम से खास हो गई हैं। वह राज्य सूचना आयुक्त बनाई गई हैं। यूपी की पहली महिला सूचना आयुक्त हैं। उनकी प्रोफाइल जानने को मीडिया ने नेट खंगाला डाला, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। हां, सरकारी सूत्रों ने इतनी भर जानकारी दी कि वह मोहम्मद जमील अख्तर की पत्नी हैं। जमील अख्तर का परिचय यह है कि वह बहुत पहले एक न्यूज एजेंसी के राजधानी में संवाददाता हुआ करते थे। कांशीराम के नजदीकी हुए। उसके बाद तो मायावती के बेहद विश्वासपात्र लोगों में शुमार होने लगे हैं। मुख्यमंत्री के पिछले तीन कार्यकाल में वहीं उनके सूचना सलाहकार होते हैं। फिलवक्त वह सूचना सलाहकार के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के अध्यक्ष भी हैं, उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। यहां यह भी उल्लेख प्रसांगिक है कि सूचना आयुक्त को मुख्य सचिव के समकक्ष दर्जा प्राप्त होता है।

जमील अख्तर अकेले नहीं हैं, जिन्हें उनकी वफादारी का यह इनाम मिला है। दरअसल उप्र में पतियों की वफादारी के इनाम में पत्नियों की चांदी है। कुछ को सीधे ओहदेदार बना दिया गया है और कुछ के लिए टिकट देकर सदन पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया गया। सबसे पहले नम्‍बर पर तो रहे मायावती के सोशल इंजीनियरिंग का चेहरा सतीशचंद्र मिश्र। वकालत से बसपा की ब्रह्मण राजनीति की कमान सम्‍भालने का जिम्‍मा इनके ही हिस्‍से में है। अब यह दीगर बात है कि ब्राह्मणों को तो वे बसपा से नहीं जोड सके, लेकिन अपनी बहन सहित कई रिश्‍तेदारों को सरकारी विभागों के सर्वोच्‍च पदों पर खपा जरूर दिया। अब चाहे महिला आयोग हो, मानवाधिकार आयोग हो, या फिर भंडारागार निगम, सभी जगहों पर मिश्र जी के ही रिश्‍तेदार छाये हुए हैं। हालांकि बसपा की ताजा सीढी में सतीशचंद्र मिश्र काफी नीचे तक उतार दिये गये हैं। उनके खासमखास रहे कानपुर के बसपा विधायक और प्रदेश के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनंत कुमार मिश्र अन्‍तू को हाल ही बर्खास्‍त करते हुए उन्‍हें पैदल कर दिया गया। लेकिन बसपा में मायावती अभी भी अपने खासमखास लोगों को सरकारी ओहदों से नवाजने में जुटी हुई हैं। आरए मित्तल बसपा के कार्यालय प्रभारी हैं। बसपा से बहुत अर्से से जुड़े हैं। उन्हें भी वफादारी का इनाम दिया जा चुका है। उनकी पत्नी राज लक्ष्मी मित्तल को मुख्‍यमंत्री का विशेष कार्याधिकारी बना दिया गया है।

बात अनिता तिवारी प्रधान की। वह महिला आयोग में रहीं और आज कल एक सहकारी बैंक की कमान उनके हाथ में सौंपी गई है। अनिता तिवारी प्रधान का परिचय यह है कि वह रामचंद्र प्रधान की पत्नी हैं। प्रधान का परिचय यह है कि लखनऊ विवि की छात्र राजनीति से उन्होंने बसपा में इंट्री की। इतना भरोसा जीता कि बसपा की पिछली सरकार में उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया, जिसे कैबिनेट मंत्री का दर्जा होता है। इस सरकार में उन्हें एमएलसी बनाया गया। राज्य सहकारी बैंक के भी अध्यक्ष हैं।

जुगुल किशोर को लीजिये। बसपा के कोआर्डीनेटर हैं। नेतृत्व के बेहद विश्वासपात्र। पहले उन्हें राज्यसभा में भेजा गया। फिर उनके काम से खुश पार्टी नेतृत्व ने उनकी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में टिकट दे दिया। वह जिला पंचायत अध्यक्ष हो गईं। जिला पंचायत अध्यक्ष राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त होता है। श्रीनाथ हैं उप्र के लेकिन उत्तराखंड में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। बहन जी के वह भी बहुत खास माने जाते हैं। पहले उन्हें एमएलसी बनाया गया। उसके बाद उन्हें राज्यसभा भेजा गया। इसके बाद उनकी पत्नी को भी जिला पंचायत अध्यक्ष का टिकट दे दिया। वह भी जीत गईं।

लालजी वर्मा, फतेह बहादुर सिंह, राम हेत भारती यह सब प्रदेश सरकार के मंत्री हैं। बसपा के पुराने सिपाहियों में शुमार होते हैं। पिछले दिनों इन सबकी पत्नियों को भी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में टिकट दे दिया गया। सभी जीत गईं। सीमा उपाध्याय, राज कुमारी चौहान, कौसर जहां ये बसपा की सांसद हैं। लेकिन यह इनका पर्याप्त परिचय नहीं है। सीमा उपाध्याय बसपा के पुराने सिपहसलार और प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय की पत्नी हैं। राज कुमारी चौहान मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह की पत्नी है और कौसर जहां विधायक मोहम्मद जासमीर की पत्नी हैं। नम्रता पाठक राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं। विधानसभा के लिए उनका टिकट लगभग तय है। नम्रता का परिचय यह है कि वह बृजेश पाठक की पत्नी हैं। बृजेश पाठक की गिनती भी बसपा खेमे में भरोसेमंद लोगों में होती है। 2004 के चुनाव में वह उन्नाव से सांसद थे। बाद उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया। मौजूदा समय वह राज्यसभा के सदस्य हैं। मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी भी विधान परिषद सदस्य हैं। साभार: दैनिक जागरण

 

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