तीन बार तलाक की बपौती के खिलाफ औरतों की जंग

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

इस्‍लामी मंशा के खिलाफ भी है इस तरह की ज्‍यादतियां

पूरे देश में अलख जगायेंगी इस मसले पर मुस्लिम महिलाएं

मुस्लिम निजी कानूनों को संहिताबद्ध कर दिये जाने की मांग

नेता और मजहबी रहनुमा ही बने हैं औरतों की राह का रोडा

भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने आज साफ ऐलान कर दिया कि तीन बार तलाक कह कर किसी  भी महिला को उसके हक और हुकूक से महरूम कर देने की साजिश का पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। केवल तीन बार तलाक कह देना किसी की बपौती नहीं है। इस्‍लामी कानून सबके लिए बराबर है और सभी को उसका सम्‍मान करना ही चाहिए। यह महिलाएं इस्‍लामी कानूनों को संहिताबद्ध करने की भी मांग कर रही हैं ताकि महिलाओं के हितो की रक्षा की जा सके। वजह यह  कि निजी कानूनो में महिलाओं के लिए जो जगह छोडी गयी है वह कुरआन के सिद्धांतों के सर्वथा खिलाफ है। कुरआन में महिलाओं के अधिकार मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड में नजर ही नहीं आते। इन महिलाओं का कहना है कि अब इस मसले पर देशव्‍यापी आंदोलन छेडा जाएगा।

भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की ओर से कैसरबाग स्थित नारी नाट्य कला केंद्र में जुबानी एकतरफा तलाक के विरोध में अधिवेशन का आयोजन किया गया। इसमें लगभग 500 मुस्लिम महिलाओं ने भाग लिया। अधिवेशन में मुस्लिम निजी कानून को संहिताबद्ध किये जाने की मांग की गई। बीएमएम की संस्‍थापक साफिया नियाज ने कहा कि पाकिस्‍तान बांग्‍लादेश इंडोनेशिया इजिप्‍ट मोरक्‍को जैसे मुस्लिम देशों में निजी कानूनों को कोडीफाई किया जा चुका है लेकिन भारत में यह काम सरकार और मजहबी नेताओं और तथाकथित धार्मिक रहनुमाओं की साजिशों के चलते ठप है। कार्यक्रम में भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की संस्थापक सदस्य नाइश हसन ने कहा कि बांग्लादेश पाकिस्तान इंडोनेशिया मिस्र मोरक्को में मुस्लिम निजी कानून को संहिताबद्ध किया जा चुका है लेकिन हमारे देश में मजहबी रहनुमाओं के चलते अभी तक ऐसा नहीं हो सका है। सरकार भी वोट बैंक की सियासत के कारण मुस्लिम महिलाओं के हितों की अनदेखी कर रही है।

इस मौके पर अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की नेता सुभाषिनी अली ने कहा कि एक तरफा जुबानी तलाक के विरोध में समस्त मुस्लिम महिलाओं को संगठित होकर आवाज उठाने की जरूरत है। अधिवेशन में भरतीय महिला फेडरेशन की महासचिव आशा मन्नी बेगम नाज रजा हाशमी औलिया आफरीन समेत कई लोग मौजूद रहे!

 

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